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soni pushpa 25-01-2017 01:37 AM

ईश्वर का घर*
 
🌻🌼🌻🌼🌻श्री हरि🌻🌼🌻🌼🌻
🌻🌹🌻*ईश्वर का घर* 🌻🌹🌻

एक बार भगवान दुविधा में पड़ गए, लोगों की बढ़ती साधना वृत्ति से वह प्रसन्न तो थे पर इससे उन्हें व्यवहारिक मुश्किलें आ रही थीं । कोई भी मनुष्य जब मुसीबत में पड़ता, तो भगवान के पास भागा-भागा आता और उन्हें अपनी परेशानियां बताता । उनसे कुछ न कुछ मांगने लगता ।
भगवान इससे दु:खी हो गए थे ।
अंतत: उन्होंने इस समस्या के निराकरण के लिए देवताओं की बैठक बुलाई और बोले - “देवताओं, मैं मनुष्य की रचना करके कष्ट में पड़ गया हूं । कोई न कोई मनुष्य हर समय शिकायत ही करता रहता हैं, जिससे न तो मैं कहीं शांति पूर्वक रह सकता हूं, न ही तपस्या कर सकता हूं । आप लोग मुझे कृपया ऐसा स्थान बताएं, जहां मनुष्य नाम का प्राणी कदापि न पहुंच सके ।“
प्रभू के विचारों का आदर करते हुए देवताओं ने अपने-अपने विचार प्रकट किए ।
*गणेश जी* बोले - “आप हिमालय पर्वत की चोटी पर चले जाएं ।“
*भगवान ने कहा* - “यह स्थान तो मनुष्य की पहुंच में हैं । उसे वहां पहुंचने में अधिक समय नहीं लगेगा ।“
*इंद्रदेव* ने सलाह दी कि “वह किसी महासागर में चले जाएं ।
*वरुण देव* बोले -"आप अंतरिक्ष में चले जाइए ।“
*भगवान ने कहा* - “एक दिन मनुष्यवहां भी अवश्य पहुंच जाएगा ।“ भगवान निराश होने लगे थे । वह मन ही मन सोचने लगे- “क्या मेरे लिए
कोई भी ऐसा गुप्त स्थान नहीं हैं, जहां मैं शांतिपूर्वक रह सकूं ।“
अंत में *सूर्य देव* बोले- “ प्रभू ! आप ऐसा करें कि मनुष्य के हृदय में बैठ जाएं । मनुष्य अनेक स्थान पर आपको ढूंढने में सदा उलझा रहेगा, पर वह यहाँ आपको कदापि न तलाश करेगा ।“
*ईश्वर को सूर्य देव की बात पसंद आ गई* । उन्होंने ऐसा ही किया और वह मनुष्य के हृदय में जाकर बैठ गए ।
उस दिन से मनुष्य अपना दुख व्यक्त करने के लिए *ईश्वर* को *ऊपर, नीचे, दाएं, बाएं, आकाश, पाताल में ढूंढ रहा है पर वह मिल नहीं रहें* ।
*मनुष्य अपने भीतर बैठे हुए ईश्वर को नहीं देख पा रहा हैं* ।
जय श्री कृष्ण
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