एक प्यारी सी बेटी
हर एक लम्हा आये याद उस दिन का
जब आई मेरी नन्ही परी सुन्दर नाजुक कोमल कोमल मानो कोई खिली थी नन्ही सी कली देख देख मैं मन ही मन खुश होती लहराती मेरे मन की बगिया एक अनूठे आनंद से भर जाती मैं ,और सहज मुस्कुराती मेरी अँखियाँ मातृत्व का पद देकर तुमने , मुझको बेटी पूर्ण किया अबोध ,निस्वार्थ निष्पाप सहजता बस इसका ही तुझमे मैंने दर्श किया। अपने प्यार को तूने हम सब पर बरसा कर, धन्य किया जीवन मेरा श्रद्धा सुमन समर्पित कर आज मनाएं जन्म दिन तेरा |
Re: एक प्यारी सी बेटी
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Re: एक प्यारी सी बेटी
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.madhur smritiyan hi kabhi kabhi jine ka sahara ban jati hain bhai or bas thoda sa likh diya kartin hain ye smritiyan .. |
Re: एक प्यारी सी बेटी
सुन्दर कविता।
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Re: एक प्यारी सी बेटी
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Re: एक प्यारी सी बेटी
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Re: एक प्यारी सी बेटी
रवि सागर जी , प्रसंशात्मक टिपण्णी के लिए धन्यवाद
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Re: एक प्यारी सी बेटी
सुंदर भावना से भरी रचना के लिए धन्यवाद !
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