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-   -   प्रेम, प्रणय और धोखा (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=1207)

Kalyan Das 12-11-2010 09:14 AM

प्रेम, प्रणय और धोखा
 
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ज़िंदा है शाहजाहाँ की चाहत अब तक, गवाह है मुमताज़ की उल्फत अब तक !
जाकर देखो इक बार ताज को दोस्तों, पत्थर पत्थर से टपकती है मुहब्बत अब तक !!

munneraja 12-11-2010 05:19 PM

गुड वर्क अनुज प्रेत
लेकिन इसमें जल्दी जल्दी कुछ प्रविष्टियाँ कीजिये
ताकि मजे का मीटर तेज चलने लगे

aksh 12-11-2010 08:49 PM

अच्छा सूत्र है कल्याण जी. कृपया इसी तरह कार्य करते रहे. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ और चित्र. मेरे विचार से खाली चित्र देने के स्थान पर आपने जो दो पंक्तियाँ लिख दीं उसने इनका प्रभाव दस गुना कर दिया.

arvind 13-11-2010 10:07 AM

भूत भाई,
बहुत देर कर दी मेहरबान आते-आते.......
अब आ ही गए है, तो दिखाईए अपना जलवा....

Hamsafar+ 16-11-2010 06:43 PM

Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
 
भूत भाई ताजमहल दिखा कर कहा चले गए ??:bike:

jai_bhardwaj 16-11-2010 11:31 PM

Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
 
सब अपनी बीवी को चाहें, सूरत से और शिद्दत से :iloveyou:/

नारि परायी पर जा अटकें, मर्द बेशरम इस आदत से //:cry::bang-head:




अब ऐसे इंसा लाखों हैं, जो हर साल बना दें ताजमहल /:bravo:

'जय' वैसे अब ना शाहजहाँ, ना वैसी अब मुमताजमहल // :omg:

ndhebar 17-11-2010 05:55 AM

Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
 
इश्क ने यहाँ कितनों को कोई और मुकद्दर दिया
दिल को तन्हाई तो आँखों को समंदर दिया

इबादत-ए-इश्क में जिसे पूजते रहे खुदा मान कर
उस कातिल को इस इश्क ने ही तो खंजर दिया

arvind 17-11-2010 10:32 AM

Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
 
Quote:

Originally Posted by bhaaiijee (Post 15230)
सब अपनी बीवी को चाहें, सूरत से और शिद्दत से :iloveyou:/
नारि परायी पर जा अटकें, मर्द बेशरम इस आदत से //:cry::bang-head:

अब ऐसे इंसा लाखों हैं, जो हर साल बना दें ताजमहल /:bravo:
'जय' वैसे अब ना शाहजहाँ, ना वैसी अब मुमताजमहल // :omg:


ताजमहल की इमारत हर आशिक को
मुहब्बत की मिशाल नजर आती है।
मै किस-किस के लिए ताज बनवाउ,
मुझे तो हर लड़की मुमताज़ नज़र आती है। :gm:

प्यार तो हमें भी करना था,
पर कुछ खास नहीं हुआ।
ताजमहल तो हमे भी बनाना था,
पर अफसोस..........

लोन पास ही नहीं हुआ। :cry:

Kalyan Das 17-11-2010 11:28 AM

Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
 
1 Attachment(s)
http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1289978604

न जाने क्यूँ गले से लिपट कर रोने लगा,
जब हम बरसों बाद मिले,
जाते हुए जिसने ने कहा था ....
की "तुम जैसे लाखों मिलेंगे"…!!!

Hamsafar+ 17-11-2010 08:29 PM

Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
 
भूत भाई बहुत कम ही फोरम पे आ रहे हो. क्या समय की कोई पाबन्दी है या कुछ और बात !


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