Re: मंटो ने कहा था
मंटो / स्याह हाशिया /निगरानी
‘क’ अपने ‘ख’ को अपना हम-मज़हब जाहिर कर के उसे उसके मुकाम पर पहुंचाने के लिए मिलिटरी के एक दस्ते के साथ रवाना हुआ. रस्ते में ‘ख’ ने जिसका मज़हब जान बूझ कर बदल दिया गया था, मिलिटरी वालों से पूछा, “क्यों जनाब आसपास कोई वारदात तो नहीं हुयी ?” जवाब मिला, “कोई ख़ास नहीं .. फलां मोहल्ले में एक कुत्ता मारा गया.” सहम कर ‘ख’ ने पूछा, “कोई और खबर?” जवाब मिला, “ख़ास नहीं .. नहर में तीन कुटियों की लाशें मिलीं.” ‘क’ ने ‘ख’ की खातिर मिलिटरी वालों से कहा, “मिलिटरी कुछ इंतज़ाम नहीं करती?” जवाब मिला, “क्यों नहीं ... सब काम उसी की निगरानी में होता है.” ** |
Re: मंटो ने कहा था
मंटो / स्याह हाशिया /मीठा पानी
लूटा हुआ माल बरामद कराने के लिए पुलिस ने छापे मारने शुरू किये. लोग डर के मारे लूट का माल अपने घरों से बाहर फेंकने लगे. एक आदमी को बहुत दिक्कत पेश आयी. उसके पास शक्कर के दो बोरियां थी जो उसने पंसारी की दूकान से लूटी थीं. एक बोरी तो जैसे तैसे वह पास वाले कुएं में फेंक आया, लेकिन जब दूसरी बोरी उस में फेंकने लगा, तो लड़खड़ा कर खुद भी कुए में गिर पड़ा. शोर सुन कर लोग जमा हो गए. कुए में रस्से लटकाए गए. दो आदमी नीचे उतरे और उस आदमी को बाहर निकाल लाये. कुछ ही देर बाद वह मर गया. दूसरे दिन जब लोगों ने कुएं में से पानी निकाला, तो वह मीठा था. उस रात उस आदमी की कब्र पर दिए जल रहे थे. ** |
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मंटो / स्याह हाशिया /वारे-न्यारे
मुजरा खत्म हुआ. तमाशाई चले गए. उस्ताद ने कहा, “सब कुछ लुटा कर यहां आये थे, लेकिन अल्ला मियां ने चंद दिनों में ही वारे न्यारे कर दिए हैं.” ** |
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मंटो / स्याह हाशिया /यह भी चोर है
वह अपने घर का सारा जरूरी सामान एक ट्रक में लदवा कर दूसरे शहर जा रहा था कि रास्ते में लोगों ने उसे रोक लिया. एक आदमी ने ट्रक पर लदे माल को ललचाई नज़रों से देखते हुए कहा, “देखो यार, किस मजे से इतना माल अकेला उड़ाए चला जा रहा है.” सामान के मालिक ने मुस्कुरा कर कहा, “यह माल मेरा अपना है.” “हम सब जानते हैं.” एक आदमी ने कहा. “लूट लो,” दूसरे आदमी ने कहा, “यह अमीर आदमी है, जो अलग किस्म की चोरियां करता है.” ** |
Re: मंटो ने कहा था
मंटो / स्याह हाशिया /थर्मस
दस राऊंड चलाने और तीन आदमियों को ज़ख़्मी करने के बाद पठान भी आखिर सुर्खरू हो गया. चारों तरफ अफरा तफरी मची थी. लोग एक दूसरे पर गिर रहे थे. छीना-झपटी हो रही थी. मार-धाड़ जारी थी. ऐसी हालत में पठान अपनी बन्दूक लिए एक घर में घुसा और काफी देर की छीना झपटी के बाद थर्मस- बोतल पर हाथ साफ करने में कामयाब हो गया. पुलिस आई तो सब भाग खड़े हुए. पठान भी भागा. एक गोली उसके दायें कां को चाटती हुयी निकल गई. पठान ने उसकी कोई परवाह न की और सुर्ख रंग की बोतल को अपने हाथ में मजबूती से थामे रहा. अपने दोस्त के पास पहुँच कर उसने बड़े गर्व से वह बोतल उन्हें दिखाई. एक दोस्त ने मुस्कुरा कर कहा, “यह क्या उठा लाये हो?” “क्यों?” पठान ने एक नज़र बोतल को देख कर कहा. “यह तो ठंडी चीजें ठंडी और गरम चीजें गरम रखने वाली बोतल है.” पठान ने बोतल अपनी जेब में रख ली और कहा, “ख्वाम इसमें नसवार डालेगा – गर्मियों में गर्म रहेगी, सर्दियों में सर्द.” ** |
Re: मंटो ने कहा था
आज 11 मई सआदत हसन मंटो के जन्मदिन पर हम उन्हें याद करते हैं और हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं
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