चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
मित्रो, कांग्रेस उपाध्यक्ष पद की नई जिम्मेदारी संभालने के बाद राहुल गांधी ने गत रविवार को जयपुर (राजस्थान) में आयोजित एआईसीसी की बैठक में अपना पहला भाषण दिया। वे पहले काफी देर अंग्रेज़ी में बोले, फिर हिन्दी में और फिर अंत में काफी देर एक बार फिर अंग्रेज़ी में। इसे अनूदित करते हुए कुछ विशेष शब्द मैंने मूल अंग्रेज़ी में ही छोड़ दिए हैं, क्योंकि बात का प्रभाव उन्हीं से है। मैं यहां इसे इसलिए पेश कर रहा हूं कि राहुल गांधी द्वारा दिया गया यह भाषण इस रूप में यादगार बना रहेगा कि आमजनों, कांग्रेसजनों, विशेष रूप से छात्र-छात्राओं और युवाओं को इससे उन्हें समझने में मदद मिलेगी। आपने इसके अंश इधर-उधर समाचारों के रूप में अवश्य देखे-पढ़े होंगे, लेकिन सम्पूर्ण रूप में यह अब तक नेट पर कहीं नहीं है, कांग्रेस की वेबसाइट पर भी नहीं, अतः इंटरनेट पर पहली प्रस्तुति का गौरव अपनी फोरम के नाम करने पर मुझे अतीव प्रसन्नता है। उम्मीद है, आप सभी को यह भाषण पठनीय और उपयोगी लगेगा। धन्यवाद। |
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Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
मैं आप सभी का स्वागत करता हूं और मुझे दिए गए समर्थन के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। हमारे बहुत से कार्यकर्ता ऐसे हैं जो आज यहां उपस्थित नहीं है। मैं उन्हें भी उनके कार्य के लिए तथा पार्टी के लिए वे जो खून-पसीना बहाते हैं उसके लिए धन्यवाद देता हूं।
प्रारम्भ करने से पूर्व मैं यह कहना चाहूंगा कि यह मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है। पिछले 8 वर्षों में इस पार्टी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। मैंने पार्टी के वरिष्ठ लोगों से एवं युवा सदस्यों से बहुत सीखा है। इसलिए मैं सभी को तहेदिल से उनकी मदद तथा मुझे जो दिशा दी गई है उसके लिए धन्यवाद देता हूं। दक्षिण भारत के लोग चाहेंगे कि मैं अंग्रेजी में बोलूं और उत्तर भारत के लोग चाहेंगे कि मैं हिन्दी में बोलूं। अत: मैं पार्टी की परम्परा के अनुसार अंग्रेजी में बोलूंगा और फिर हिन्दी में। वर्ष 1947 में भारत को हथियारों द्वारा आजादी नहीं मिली थी बल्कि लोगों की आवाज बुलंद होने के कारण मिली। अन्य देशों में हिंसक लड़ाईयां हुई, हथियारों से लड़ाईयां हुई और मौतें भी हुई। भारत में अहिंसा से लड़ाई हुई और लोगों की आवाज से लड़ाई हुई। |
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प्रत्येक व्यक्ति ने हमें बताया कि यह किया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति ने कहा कि यदि आप ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्त होना चाहते हैं तो आपको हिंसा का सहारा लेना होगा किन्तु कांग्रेस पार्टी ने कहा कि हम हिंसा का सहारा नहीं लेंगे। इस प्रकार हमने बिना हिंसा के भी उस समय के सबसे बड़े साम्राज्य को हरा दिया और अंग्रेजों को घर भेज दिया। आजादी के आन्दोलन के पीछे लाखों-करोड़ों लोगों की आवाज की ऊर्जा थी। गांधी जी के उत्तराधिकारियों,जिनका नेतृत्व जवाहरलाल नेहरू ने किया, उन्होंने प्रत्येक भारतीय की आवाज को आजादी दी और यह सुनिश्चित किया कि लोकतंत्र ही हमारे संविधान की आधारशीला बने। प्रत्येक भारतीय की आवाज का अथक प्रतिनिधित्व करना कांग्रेस का हमेशा ही सार तत्व रहेगा। मैं किसी एक जाति अथवा धर्म के भारतीय की बात नहीं कर रहा हूं। मैं दोहराना चाहूंगा कि कांग्रेस पार्टी प्रत्येक भारतीय का सहयोग करेगी चाहे वह कहीं भी हो और कोई भी हो। यदि वह भारतीय है तो हम उसके लिए काम करेंगे।
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आइए, हम पिछले 60 वर्षों की भारत की सफलता पर नजर डालते हैं। यह सभी सफलताएं हमें इसलिए मिली हैं क्योंकि हमने हमारे लोगों को आवाज दी। हरित क्रांति ने किसानों की आवाज को पुन: स्थापित किया। बैंकों के राष्ट्रीयकरण ने गरीब की आवाज को पुन: स्थापित किया और आज उसे बाजार में उधार पैसा मिलने लगा है। सूचना तकनीकी और टेलीकॉम क्रान्तियों ने भी लोगों को आवाज दी है, लाखों-करोड़ों लोगों को आवाज दी हैं। यह उसी क्रांति का परिणाम हैं कि आज आपकी जेब में मोबाइल फोन है। यह हमारे लिए सम्मान की बात है कि श्री मनमोहन सिंह जी हमारे बीच बैठे हैं क्योंकि उन्होंने ही एक अन्य क्रांति का नेतृत्व किया। वर्ष 1991 में उद्यमिता के क्षेत्र के हजारों लोगों को सिंह ने आवाज दी और इस देश की सूरत को हमेशा के लिए बदल दिया।
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यूपीए सरकार ने गांधीजी के मॉडल को अपनाया है। सरकार ने उन लोगों को मंच उपलब्ध कराया है जिनकी आवाज को देश की राजनीतिक व्यवस्था में नकारा गया है। देश के इतिहास में पहली बार लोगों को मूलभूत अधिकारों-सामाजिक और आर्थिक अधिकारों- की गारंटी मिली है। खाद्य सुरक्षा बिल यह सुनिश्चित करेगा की कोई भी मां अपने बच्चे को रात में भूखा सोते हुए नहीं देखे। आरटीआई के माध्यम से प्रत्येक भारतीय व्यक्तिगत तौर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ सकता है। महानरेगा ने देश के लाखों-करोड़ों लोगों को अपने कार्य के प्रति गर्व का भाव दिया है। शिक्षा का अधिकार प्रत्येक बच्चे को महान बनने की आकांक्षा के योग्य बनाएगा। यह सभी क्रांतिकारी नवाचार कांग्रेस तथा यूपीए द्वारा जो विकास किया गया है,उसके कारण संभव हो सके हैं।
किन्तु हमारे सामने आगे अनेक चुनौतियां हैं। आज लाखों-करोड़ों भारतीयों की आवाजें हमें यह कह रही है कि वे सरकार, राजनीति और प्रशासन में भागीदारी चाहते हैं। यह आवाजे हमें यह कह रही है कि उनके जीवन की दिशा बन्द कमरों में बैठे मुट्ठी भर लोगों द्वारा तय नहीं की जा सकती क्योंकि यह मुट्ठी भर लोग स्वयं के प्रति भी पूर्ण रूप से जवाबदेही नहीं है। यह आवाजें हमें कह रही हैं कि भारत का सरकारी तंत्र भूतकाल में ही अटका और फंसा पड़ा है। सरकारी तंत्र एक ऐसा तंत्र बन गया है जो लोगों से उनकी आवाज को छीन लेता है और लोगों को सशक्त करने की बजाय उनके अधिकार छीन रहा है। |
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हम ऐसी स्थिति में क्यों है? मैं आप से पूछता हूं कि ऐसा क्यों है कि हमारे मंत्रालय पंचायतों में काम करें? सुप्रीम कोर्ट भी निचले स्तर के न्यायालयों के कार्यभार को क्यों हैण्डल करे? मुख्यमंत्री को एक शिक्षक को नियुक्त करने की क्यों जरूरत है? वाइस चांसलर्स की नियुक्ति ऐसे लोगों द्वारा क्यों की जाती है जिनका शिक्षण व्यवस्था से दूर-दूर तक लेना-देना नहीं है। आप चाहे किसी भी राज्य को देख लें, किसी भी राजनीतिक पार्टी को देख लें, ऐसा क्यों है कि केवल मुट्ठी भर लोग ही इस पूरी पार्टी पर नियंत्रण रखते हैं? हमारे देश में सत्ता का घोर केन्द्र्रीकरण हो गया है। हम व्यवस्था के शीर्ष पर बैठे लोगों को ही सशक्त बनाते हैं। हम नीचे तक के सभी लोगों को सशक्त करने में विश्वास नहीं करते।
मैं प्रतिदिन ऐसे लोगों से मिलता हूं जिनमें अपार सोच होती है, जिनमें गहरी अर्न्तदृष्टि होती है किन्तु जिन्हें कोई आवाज नहीं मिलती। हम सभी ऐसे लोगों से मिलते हैं। ऐसे लोग सभी जगह होते हैं किन्तु प्राय: हमेशा ही ऐसे लोगों को व्यवस्था से बाहर रखा जाता है। कोई भी उनकी आवाज नहीं सुन सकता है। वे चाहे बोलने का कितना भी प्रयास कर लें किन्तु उनकी बात को कोई नहीं सुनता। मैं ऐसे लोगों से भी मिलता हूं जो उच्च पदों पर होते हैं और जिनकी ऊंची आवाज भी होती है किन्तु ज्वलंत मुद्दों के प्रति उनकी कोई सोच अथवा समझ नहीं होती। |
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ऐसा क्यों होता है? ऐसा इसलिए होता क्योंकि हम ज्ञान का सम्मान नहीं करते। हम पद का सम्मान करते हैं। यदि आपके पास चाहे कितना भी ज्ञान हो किन्तु यदि आपके पास कोई पद नहीं है तो आपको कोई भी नहीं पूछेगा, आपका कोई मतलब नहीं रहेगा, आप कुछ भी नहीं है। यही भारत की त्रासदी है।
आज हमारा युवा आक्रोशित क्यों है? आज युवा सड़कों पर क्यों आ रहे हैं? युवा इसलिए आक्रोशित है क्योंकि वह अलग-थलग पड़ गया है और उसे राजनीतिक वर्ग से बाहर कर दिया गया है। जब शक्तिशाली लोग लाल बत्तियों की गाड़ियों में घूमते हैं तो देश का युवा किनारे खड़ा होकर उन्हें देखता है। महिलाएं क्यों पीड़ित है? महिलाएं इसलिए पीड़ित है क्योंकि उनकी आवाज को वह लोग कुचल देते हैं जो उनके जीवन पर एक तरफा अधिकार रखते हैं। गरीब आज भी गरीबी और शक्तिहीनता तक क्यों सीमित है? क्योंकि उनके जीवन के बारे में निर्णय तथा उन्हें जिन सेवाओं की आवश्यकता है उनके बारे में निर्णय ऐसे लोगों द्वारा लिए जाते हैं जो गरीबों के प्रति जवाबदेही से कोसों दूर है। |
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इस देश में हम तब तक कुछ भी परिवर्तन नहीं कर सकते हैं जब तक हम लोगों के ज्ञान और समझ का सम्मान नहीं करेंगे और उन्हें सशक्त नहीं करेंगे। हमारी सभी सार्वजनिक व्यवस्थाएं-प्रशासन, न्याय, शिक्षा, राजनीतिक व्यवस्था- ये सभी इस प्रकार बनाई गई ताकि ज्ञानवान लोग व्यवस्था से बाहर हो जाएं। ये सभी व्यवस्थाएं बन्द कमरों की तरह हैं। इन व्यवस्थाओं के चलते कम ज्ञानवान लोग प्रमोट हो जाते हैं तथा निर्णयों पर भी कम ज्ञानवान लोग हावी रहते हैं। अर्न्तज्ञान और अच्छी सोच रखने वाली आवाजें उन लोगों द्वारा कुचल दी जाती है जिनके पास न तो समझ है और न ही करूणाभाव है।
इन व्यवस्थाओं के चलते सफलता लोगों को ज्ञानवान बनाकर प्राप्त नहीं की जाती बल्कि उन्हें बाहर निकालकर प्राप्त की जाती है। ऐसी व्यवस्था में सफलता लोगों को आगे बढ़ाकर नहीं बल्कि उन्हें पीछे धकेल कर प्राप्त की जाती है। प्रत्येक दिन यथास्थिति बनाए रखने के लिए प्रयासों की हत्या कर दी जाती है। हम हमारे सहयोगियों की तारीफ नहीं करते हैं और न ही उनकी अच्छाइयों को देखते हैं। हम सभी, हम में से प्रत्येक, ऐसा ही करता है। हम दूसरे लोगों की तारीफ नहीं करते हैं। हम लोगों से पूछते हैं कि भैया तुम्हारी कमजोरी क्या है? हम उन्हें बेअसर करने के तरीकों पर देखने लग जाते हैं। प्रतिदिन हम में से सभी को व्यवस्था के इस पाखंड का सामना करना पड़ता है। यह हम सभी देखते हैं। इसके बावजूद भी हम यह बहाना बनाते हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं है। जो लोग भ्रष्ट हैं वे सीना तानकर चलते हैं और भ्रष्टाचार को मिटाने की बात करते हैं। इसी प्रकार जो लोग प्रतिदिन महिलाओं का अपमान करते हैं वे ही लोग महिलाओं के अधिकारों की बातें करते हैं। |
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इसलिए जब तक हम लोगों के ज्ञान और उनकी सोच का सम्मान नहीं करेंगे, उन्हें सशक्त नहीं करेंगे तब तक हम देश को बदल नहीं सकते। हमें आम आदमी की राजनीति में भागीदारिता की आवश्यकता है। आज जब यह बात मैं आप से कह रहा है तो इस समय भी आम आदमी के भविष्य का निर्णय बन्द कमरों में लिया जा रहा है। आज का भारत युवा और अधीर है और यह भारत देश के भविष्य में अपनी अधिक भागीदारिता की मांग कर रहा है। मैं यह बात आपको बता देना चाहता हूं कि आम आदमी अब सब कुछ चुपचाप देखने वाला नहीं है। हमारी प्राथमिकताएं स्पष्ट है।
समय आ गया है जब केन्द्रीकृत, गैर-जवाबदेही निर्णय प्रक्रिया, प्रशासन, और राजनीति पर प्रश्न उठाए जाएं। इन प्रश्नों का जवाब यह नहीं है कि लोग यह कहते है कि हमें व्यवस्था को बेहतर तरीके से चलाने की आवश्यकता है। व्यवस्था को बेहतर तरीके से चलाना इन प्रश्नों का जवाब नहीं है। इन प्रश्नों का जवाब है कि हम व्यवस्था को अमूलचूल तरीके से बदले। |
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