अनन्त
इस संसार में कुछ भी अनन्त नहीं। लोग आकाश को अनन्त मानते हैं, किन्तु हमारा यह कहना है कि यह एक मिथक है। आकाश का भी एक अन्त है। बस हम उस अन्त को देख नहीं पाते। जो चीज़ हम देख नहीं पाते उसे अनन्त कह देना न्यायसंगत नहीं। टेलीफ़ोन या मोबाइल पर अनन्त वार्तालाप करने की कोशिश करने वाले भी नेटवर्क फेल हो जाने के कारण अक्सर नाकाम हो जाते हैं। दिग्गज बल्लेबाज़ भी अनन्त रन नहीं बना पाते। या तो सौ रन बनाकर आऊट हो जाते हैं और या फिर सौ रन बनाने के चक्कर में आउट हो जाते हैं। अतः अनन्त प्राप्ति की परिकल्पना मात्र से थरथराना कैसा? अनन्त प्राप्ति की परिकल्पना से भयभीत होने के स्थान पर अनन्त प्राप्ति के लिए प्रयास करने मात्र से आपको इतनी विशाल उपलब्धि प्राप्त होती है जिससे आपको असीमित आनन्द की प्राप्ति होती है।....
edit note आपत्तिजनक पंक्तियों को हटा दिया गया है. |
Re: अनन्त
आपके एडिट के कारण रचना से हास्य का प्रभाव विलुप्त हो चुका है। फिर भी अच्छा किया आपने हटा दिया नहीं तो लेख पढ़कर कुछ लोग अपने मन में अनावश्यक रूप से 'बहुत बड़ी' गलतफहमी पाल लेते। फिर भी हमारे पाठकों के लिए संशोधित भाग को शीघ्र ही हमारे ब्लॉग पेज पर प्रकाशित किया जा रहा है, जिसकी सूचना ट्विटर पर दी जाएगी।
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Re: अनन्त
Quote:
एक ठो करेकशन है स्वामी जी... लाल किए गए शब्दो को कुछ ऐसे पढ़ा जाये 'अनंत' गलतफहमी :think: |
Re: अनन्त
आपसे सहमत हु, अनंत एक परिकल्पना है जिसका उद्देश्य शुन्य के अस्तित्व को समझाना है, ये एक गणित के माथापच्ची है.संभवतः अनंत का अविष्कार भी अर्याभात्त ने शुन्य के साथ ही किया हो.परन्तु शुन्य तो होता है, इस लिए अनंत भी होता हो शायद, क्युकी अगर शुन्य न होता तो अर्याभात्त न होते पर आर्याभात्त तो है, खीर ये सब तो दर्शन शास्त्र के चक्कर है कहा निकल पाया इनसे आज तक कोई भी.
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