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-   -   मोटु-पतलु (लोटपोट) (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=13804)

Deep_ 25-09-2014 08:32 AM

Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
 
अगर किसी को पढ़ने में तकलिफ हो तो मुझे अवज्ञत कराईएगा। ओर अच्छे Resolution उपलब्ध है।

abhisays 26-09-2014 11:43 PM

Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
 
बहुत ही लाजवाब सूत्र है. बचपन की याद दिलाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

yash1 15-06-2015 10:23 AM

Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
 
very nice

Deep_ 14-07-2015 04:01 PM

Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
 
5 Attachment(s)
बहुत दिनों बाद मोटुपतलु का एक ओर कारनामा प्रस्तुत है।

Deep_ 14-07-2015 04:06 PM

Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
 
5 Attachment(s)
यह कारनामा प्यारेटुन्स नाम की वेबसाईटसे लिया गया है। पुरानी मेगझीन और कोमिक्स के फेन्स यह सब संभाल कर रखतें है, ईन्हे स्केन कर कर अपलोड करना भी झंझट वाला काम है। सो उन्हें हम क्रेडिट्स / धन्यवाद तो दे ही सकतें है। :hello:

manishsqrt 14-07-2015 04:32 PM

Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
 
आपने बचपन की यादें ताज़ा करदी, शयद जितना मज़ा कॉमिक्स में आता था उतना कार्टून में नहीं आता, खैर ये तो अपनी अपनी पसंद भी हो सकती है, हो सकता है आज के बच्चो को कॉमिक्स से ज्यादा अच्छे कार्टून लगते हो. पर बचपन की यादो की बात ही कुछ और होती है, शायद ही किसी प्रकाशक की कॉमिक्स हमसे छुटती हो, राज कॉमिक्स से लेके डायमंड तक लोट पॉट से लेके परमाणु सीरीज तक सब अपने कलेक्शन में थे,नानी के घर जाने का एक बहाना ये भी था की मम्मी रेलवे स्टेशन पर कॉमिक्स दिलवाएगी और लौटते वक़्त मामा या नाना दिलवाएँगे

Deep_ 17-07-2015 06:08 PM

Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
 
Quote:

Originally Posted by manishsqrt (Post 553227)
आपने बचपन की यादें ताज़ा करदी, शयद जितना मज़ा कॉमिक्स में आता था उतना कार्टून में नहीं आता, खैर ये तो अपनी अपनी पसंद भी हो सकती है, हो सकता है आज के बच्चो को कॉमिक्स से ज्यादा अच्छे कार्टून लगते हो. पर बचपन की यादो की बात ही कुछ और होती है, शायद ही किसी प्रकाशक की कॉमिक्स हमसे छुटती हो, राज कॉमिक्स से लेके डायमंड तक लोट पॉट से लेके परमाणु सीरीज तक सब अपने कलेक्शन में थे,नानी के घर जाने का एक बहाना ये भी था की मम्मी रेलवे स्टेशन पर कॉमिक्स दिलवाएगी और लौटते वक़्त मामा या नाना दिलवाएँगे

मेरा उपद्रवी दिमाग भी यही कहता है की कार्टुन कोई ठोस चीज़ नहीं है। समय के जाते जाते सिर्फ उसके केरेक्टर्स याद रह जाते है और कुछ अच्छी कहानी के टुकडे।

लेकिन पुस्तक या कॉमिक्स एक ठोस चीज़ है। हम उस पर हाथ फिरा कर पढते थे! अगर कोई चीज़ समज़ में ना आई या ज्यादा पसंद आई तो वापस उस पन्ने पर जा कर पढ सकते थे। उसे देख कर अपनी नोटबुक में चित्र बनाया करते थे! :giggle:

कोमिक्स का कलेक्शन या एक्का-दुक्का कोमिक्स भी हमारा एचीवमेन्ट होती थी। उसे हम दोस्तों को दिखा सकते थे, पढने को देते थे या मांगते थे!:hug:

आज कल के बच्चों के अलग शौख है, बड़े हो कर वे उनके शौख याद करेंगे। लेकिन अपना बचपन भी कुछ कम नहीं था! :egyptian:

:think:

Deep_ 28-10-2015 02:15 PM

Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
 
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Deep_ 28-10-2015 02:16 PM

Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
 
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internetpremi 28-10-2015 03:53 PM

Re: मोटु-पतलु (लोटपोट)
 
Enjoyed it.
कृप्या सूत्र जारी रखिए.
आज ही देखा

GV


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