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bindujain 03-03-2013 04:53 PM

सांची : मध्य प्रदेश
 
http://upload.wikimedia.org/wikipedi...ya_Pradesh.jpg


सांची भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले, में स्थित एक छोटा सा गांव है। यह भोपाल से ४६ कि.मी. पूर्वोत्तर में, तथा बेसनगर और विदिशा से १० कि.मी. की दूरी पर मध्य-प्रदेश के मध्य भाग में स्थित है। यहां कई बौद्ध स्मारक हैं, जो तीसरी शताब्दी ई.पू से बारहवीं शताब्दी के बीच के काल के हैं। सांची में रायसेन जिले की एक नगर पंचायत है। यहीं एक महान स्तूप स्थित है। इस स्तूप को घेरे हुए कई तोरण भी बने हैं। यह प्रेम, शांति, विश्वास और साहस के प्रतीक हैं। सांची का महान मुख्य स्तूप, मूलतः सम्राट अशोक महान ने तीसरी शती, ई.पू. में बनवाया था। इसके केन्द्र में एक अर्धगोलाकार ईंट निर्मित ढांचा था, जिसमें भगवान बुद्ध के कुछ अवशेष रखे थे। इसके शिखर पर स्मारक को दिये गये ऊंचे सम्मान का प्रतीक रूपी एक छत्र था

bindujain 03-03-2013 04:55 PM

Re: सांची : मध्य प्रदेश
 
इतिहास

http://t3.gstatic.com/images?q=tbn:A...GasPbHOMUfXvpA

शुंग काल

इस स्तूप में एक स्थान पर दूसरी शताब्दी ई.पू. में तोड़फोड़ की गई थी। यह घटना शुंग सम्राट पुष्यमित्र शुंग के उत्थान से जोड़कर देखी जाती है। यह माना जाता है कि पुष्यमित्र ने इस स्तूप का ध्वंस किया होगा, और बाद में, उसके पुत्र अग्निमित्र ने इसे पुनर्निर्मित करवाया होगा। [क]। शुंग वंश के अंतिम वर्षों में, स्तूप के मूल रूप का लगभग दुगुना विस्तार पाषाण शिलाओं से किया गया था। इसके गुम्बद को ऊपर से चपटा करके, इसके ऊपर तीन छतरियां, एक के ऊपर दूसरी करके बनवायीं गयीं थीं। ये छतरियां एक वर्गाकार मुंडेर के भीतर बनीं थीं। अपने कई मंजिलों सहित, इसके शिखर पर धर्म का प्रतीक, विधि का चक्र लगा था। यह गुम्बद एक ऊंचे गोलाकार ढोल रूपी निर्माण के ऊपर लगा था। इसके ऊपर एक दो-मंजिला जीने से पहुंचा जा सकता था। भूमि स्तर पर बना दूसरी पाषाण परिक्रमा, एक घेरे से घिरी थी। इसके बीच प्रधान दिशाओं की ओर कई तोरण बने थे। द्वितीय और तृतीय स्तूप की इमारतें शुंग काल में निर्मित प्रतीत होतीं हैं, परन्तु वहां मिले शिलालेख अनुसार उच्च स्तर के अलंकृत तोरण शुंग काल के नहीं थे, इन्हें बाद के सातवाहन वंश द्वारा बनवाया गया था। इसके साथ ही भूमि स्तर की पाषाण परिक्रमा और महान स्तूप की पाषाण आधारशिला भी उसी काल का निर्माण हैं।

bindujain 03-03-2013 04:58 PM

Re: सांची : मध्य प्रदेश
 
सातवाहन काल



http://www.sanchi.org/images/slide/sanchi01.jpg
तोरण एवं परिक्रमा ७० ई.पू. के पश्चात बने थे, और सातवाहन वंश द्वारा निर्मित प्रतीत होते हैं। एक शिलालेख के अनुसार दक्षिण के तोरण की सर्वोच्च चौखट सातवाहन राजा सतकर्नी की ओर से उपहार स्वरूप मिली थी: "यह आनंद, वसिथि पुत्र की ओर से उपहार है, जो राजन सतकर्णी के कारीगरों का प्रमुख है।"[3] स्तूप यद्यपि पाषाण निर्मित हैं, किंतु काष्ठ की शैली में गढ़े हुए तोरण, वर्णात्मक शिल्पों से परिपूर्ण हैं। इनमें बुद्ध की जीवन की घटनाएं, दैनिक जीवन शैली से जोड़कर दिखाई गईं हैं। इस प्रकार देखने वालों को बुद्ध का जीवन और उनकी वाणी भली प्रकार से समझ में आता है।[4] सांची और अधिकांश अन्य स्तूपों को संवारने हेतु स्थानीय लोगों द्वारा भी दान दिये गये थे, जिससे उन लोगों को अध्यात्म की प्राप्ति हो सके। कोई सीधा राजसी आश्रय नहीं उपलब्ध था। दानकर्ता, चाहे स्त्री या पुरुष हों, बुद्ध के जीवन से संबंधित कोई भी घटना चुन लेते थे, और अपना नाम वहां खुदवा देते थे। कई खास घटनाओं के दोहराने का, यही कारण था। इन पाषाण नक्काशियों में, बुद्ध को कभी भी मानव आकृति में नहीं दर्शाया गया है। बल्कि कारीगरों ने उन्हें कहीं घोड़ा, जिसपर वे अपने पिता के घर का त्याग कर के गये थे, तो कहीं उनके पादचिन्ह, कहीं बोधि वृक्ष के नीचे का चबूतरा, जहां उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी, के रूप में दर्शाया है। बुद्ध के लिये मानव शरीर अति तुच्छ माना गया था।[4] सांची की दीवारों के बॉर्डरों पर बने चित्रों में यूनानी पहनावा भी दर्शनीय है। इसमें यूनानी वस्त्र, मुद्रा और वाद्य हैं जो कि स्तूप के अलंकरण रूप में प्रयुक्त हुए हैं।

bindujain 03-03-2013 05:00 PM

Re: सांची : मध्य प्रदेश
 
बाद के काल

http://www.sanchi.org/images/slide/sanchi07.jpg

आगे की शताब्दियों में अन्य बौद्ध धर्म, और हिन्दू निर्माण भी जोड़े गये। यह विस्तार बारहवीं शताब्दी तक चला। मंदिर सं.१७, संभवतः प्राचीनतम बौद्ध मंदिर है, क्योंकि यह आरम्भिक गुप्त काल का लगता है। इसमें एक चपटी छत के वर्गाकार गर्भगृह में द्वार मंडप और चार स्तंभ हैं। आगे का भाग और स्तंभ विशेष अलंकृत और नक्काशीकृत है, जिनसे मंदिर को एक परंपरागत छवि मिलती है, किंतु अंदर से और शेष तीनों ओर से समतल है और अनलंकृत है। भारत में बौद्ध धर्म के पतन के साथ ही, सांची का स्तूप अप्रयोगनीय और उपेक्षित हो गया, और इस खंडित अवस्था को पहुंचा

bindujain 03-03-2013 05:01 PM

Re: सांची : मध्य प्रदेश
 
पाश्चात्य पुनरान्वेषण

http://www.sanchi.org/images/slide/sanchi02.jpg


एक ब्रिटिश अधिकारी जनरल टेलर पहले ज्ञात इतिहासकार थे, इन्होंने सन १८१८ में, सांची के स्तूप का अस्तित्व दर्ज किया। अव्यवसायी पुरातत्ववेत्ताओं और खजाने के शिकारियों ने इस स्थल को तक खूब ध्वंस किया, जब सन १८१८ में उचित जीर्णोद्धार कार्य नहीं आरम्भ हुआ। १९१२ से १९१९ के बीच, ढांचे को वर्तमान स्थिति में लाया गया। यह सब जॉन मार्शल की देखरेख में हुआ। आज लगभग पचास स्मारक स्थल सांची के टीले पर ज्ञात हैं, जिनमें तीन स्तूप और कई मंदिर भी हैं। यह स्मारक १९८९ में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित हुआ है।

bindujain 03-03-2013 05:04 PM

Re: सांची : मध्य प्रदेश
 
http://www.sanchi.org/images/slide/sanchi03.jpg

bindujain 03-03-2013 05:05 PM

Re: सांची : मध्य प्रदेश
 
http://upload.wikimedia.org/wikipedi...century_BC.jpg

bindujain 03-03-2013 05:06 PM

Re: सांची : मध्य प्रदेश
 
http://upload.wikimedia.org/wikipedi...px-Sanchi2.jpg

bindujain 03-03-2013 05:08 PM

Re: सांची : मध्य प्रदेश
 
http://upload.wikimedia.org/wikipedi...39/Sanchi3.jpg

bindujain 03-03-2013 05:08 PM

Re: सांची : मध्य प्रदेश
 
http://www.sanchi.org/images/slide/sanchi04.jpg


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