Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
ईना मीना डीका, डाइ, डामोनिका माका नाका नाका, चीका पीका रीका
ईना मीना डीका डीका डे डाइ डामोनिका माकानाका माकानाका चीका पीका रोला रीका रम्पम्पोश रम्पम्पोश |
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ते मतिमंद जे राम तजि भजहि जाई प्रभु आन.. |
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ना माँगो सोना चान्दी, ना माँगो हीरा मोती
ये तेरे किस काम के |
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कैसी चली है अब के हवा, तेरे शहर में बन्दे भी हो गये हैं ख़ुदा, तेरे शहर में क्या जाने क्या हुआ कि परेशान हो गए इक लहज़ा रुक गयी थी सबा तेरे शहर में बन्दे भी हो गये... कुछ दुश्मनी का ढब है न अब दोस्ती के तौर दोनों का एक रंग हुआ तेरे शहर में बन्दे भी हो गये... शायद उन्हें पता था कि 'ख़ातिर' है अजनबी लोगों ने उसको लूट लिया तेरे शहर में बन्दे भी हो गये... |
Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
[quote=aspundir;364525]
कैसी चली है अब के हवा, तेरे शहर में बन्दे भी हो गये हैं ख़ुदा, तेरे शहर में क्या जाने क्या हुआ कि परेशान हो गए इक लहज़ा रुक गयी थी सबा तेरे शहर में बन्दे भी हो गये... कुछ दुश्मनी का ढब है न अब दोस्ती के तौर दोनों का एक रंग हुआ तेरे शहर में बन्दे भी हो गये... शायद उन्हें पता था कि 'ख़ातिर' है अजनबी लोगों ने उसको लूट लिया तेरे शहर में ** बन्दे भी हो गये... मेरे मौला मेरी आँखों को समंदर दे दे चार बूंदों से गुज़ारा नहीं होगा मुझसे |
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[QUOTE=rajnish manga;364591]
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सायोनारा सायोनारारात जब आसमान खुलता है एक कपड़े का थान खुलता है (गुलज़ार) |
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हाल कैसा है जनाब का
क्या खयाल है आपका तुम तो मचल गये, हो हो हो यूँही फ़िसल गये, हा हा हा |
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क्या किया मैंने कि खुद इजहारे-तमन्ना कर दिया |
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भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी मुहल्ले की सबसे निशानी पुरानी वो बुढ़िया जिसे बच्चे कहते थे नानी वो नानी की बातों में परियों का डेरा वो चेहरे की झुरिर्यों में सदियों का फेरा भुलाए नहीं भूल सकता है कोई वो छोटी सी रातें वो लम्बी कहानी कड़ी धूप में अपने घर से निकलना वो चिड़िया वो बुलबुल वो तितली पकड़ना वो गुड़िया की शादी में लड़ना झगड़ना वो झूलों से गिरना वो गिर के सम्भलना वो पीतल के छल्लों के प्यारे से तोहफ़े वो टूटी हुई चूड़ियों की निशानी कभी रेत के ऊँचे टीलों पे जाना घरौंदे बनाना बनाके मिटाना वो मासूम चहत की तस्वीर अपनी वो ख़्वाबों खिलौनों की जागीर अपनी न दुनिया का ग़म था न रिश्तों के बंधन बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िंदगानी |
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