मर गए भैया सर्दी में
मर गए भैया सर्दी में
अच्छी खासी शीत लहर है, मर गए भैया सर्दी में. बुरा हाल हो गया हमारा.......मौसम की बेदर्दी में. पसरा कोहरे का आलम है, ऊंघ रहा पूरा पालम है; धूप कहीं पर दुबक गई है, हवा बनी बरछी बल्लम हैं. सुबह शाम व रात नज़र, आते हैं धुंधली वर्दी में. अच्छी खासी शीत लहर है, मर गए भैया सर्दी में. घर के बाहर जायें कैसे, सौदा सुलफ़ा लायें कैसे; कट बिजली का लागू है, हीटर भी सुलगायें कैसे. हमदर्द मेरे भी ठिठुर रहे हैं, आज मेरी हमदर्दी में. अच्छी खासी शीत लहर है, मर गए भैया सर्दी में. |
Re: मर गए भैया सर्दी में
वाह वाह बहुत खूब!
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Re: मर गए भैया सर्दी में
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Re: मर गए भैया सर्दी में
बहुत ही बढ़िया कविता है रजनीश जी. मौसम के अनुरूप. :bravo:
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Re: मर गए भैया सर्दी में
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Re: मर गए भैया सर्दी में
श्री आकाश महेशपुरी की सर्दी विषयक ताजा कविता से मुझे अपनी उक्त कविता याद आ गयी. आशा है पाठकगण इसका भी आनंद लेना चाहेंगे.
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