पर्वतीय पर्यटक स्थल: ऊटी
पर्वतीय पर्यटक स्थल: ऊटी
(आलेख आभार: मनोज कुमार) https://encrypted-tbn2.gstatic.com/i...Gg8X9wPK1lC42g^https://encrypted-tbn2.gstatic.com/i...FCKhNYf0U3m3pA स्वच्छंदता से घूमने-फिरने और रोमांस के लिए जस्ट मैरिड (नवविवाहित जोड़ों) की पसंदीदा रोमांटिक जगहों की भारत में कमी नहीं है। फिर भी मुझे लगता है कि सबसे अधिक वे पर्वतीय प्रदेशों में जाना पसंद करते हैं। इठलाती-मचलती नदी, अपनी ताज़गी से मदमाता प्राकृतिक सौन्दर्य, ऊंची-ऊंची बर्फ़ीली पर्वत चोटियां, सुंदर पशु-पक्षियों का समूह, हरे-भरे जंगलों से आच्छादित घाटी, चट्टानों पर गिरते झरने और फलों से लदे बाग, हनीमून मनाने के लिए लोगों की पहली पसंद तो होगी ही। |
Re: पर्वतीय पर्यटक स्थल: ऊटी
दक्षिण भारत में ऊटी भी इसी तरह का स्थल है! इस हिल-स्टेशन को कुदरत ने सदाबहार ख़ूबसूरती से नवाज़ा है। गरमी हो या सर्दी, यहां हर मौसम में मस्ती, रोमांस, रोमांच का एक संपूर्ण पैकेज मौज़ूद रहता है। इस जगह पर आकर हमें तो काफ़ी सुकून भरे एहसास का अनुभव हुआ। जीवन के सफ़र की शुरुआत करने वालों के लिए तो यह एक बहुत ही हसीन जगह है, जहां रंग-विरंगे फूलों की कतारें, हरी चादर से ढकी धरती स्वप्नलोक सरीखी लगती है। इसमें कोई शक नहीं कि नवदंपत्ती के लिए एक-दूसरे को समझने, एक-दूसरे के लिए समर्पण की भावना जगाने, तथा एक-दूसरे के दिल की गहराइयों में जगह बना लेने में ऊटी की सुरम्य वादियां निश्चित रूप से मददगार साबित होती होंगी।
नीलगिरी की पहाड़ियों में बसी नगरी ऊटी को दक्षिण भारतीय ‘पर्वतों की रानी’ कहते हैं। नीलगिरी संसार के सबसे पुराने पर्वत श्रेणियों में से एक है। यह हिमालय से भी पुराना है। दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक की संधि-स्थल पर स्थित यह पश्चिमी घाटपर्वत श्रृंखला अपने विशिष्ट जैव-विभिन्नता के लिए जाना जाता है। 36 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला यह हिल स्टेशन समुद्र तल से 2,240 मीटर की ऊंचाई पर है। गर्मियों में यहां का औसत तापमान 10 से 25 c और जाड़े में 0 से 21 c होता है। यहां की सैर के लिए अप्रेल से जून और सितम्बर से नवम्बर अनुकूल मौसम होता है। गर्मी में तो हलके ऊनी वस्त्र से काम चल सकता है पर जाड़े में मोटे ऊनी वस्त्रों की ज़रूरत पड़ती है। यहां की सादगी भरी सुंदरता में ऐसा ग़जब का आकर्षण है कि यह देखने वालों को चकित कर देती है। |
Re: पर्वतीय पर्यटक स्थल: ऊटी
कोलाकाता की, शहरी भाग-दौड़ की ज़िन्दगी, तपती गरमी और उमस भरे वातावरण से हटकर ऊटी जैसे सुरम्य हिल स्टेशन पहुंचना हमारे लिए एक असीम आनंद की अनुभूति प्रदान करने वाला था। प्रकृति के सान्निध्य में कुछ क्षण सुकून के बिताने का अवसर वर्णनातीत है। अंग्रेज़ों ने तो जिस जगह की जलवायु और मौसम को इंगलैंड के ही समान माना था, उस जगह की सुरम्य वादियों का अनछुआ नैसर्गिक सौन्दर्य बरबस ही हमारा मन मोह ले रहा था। धुंध से ढ़की घाटियां और शीतलता प्रदान करता वातावरण मन में रूमानी अनुभूतियों का मेला सा लगाता प्रतीत होता रहा।
इस नगर को पहले ऊटकमंडलम के नाम से जाना जाता था। बाद में बिगड़कर के ऊटी हुआ। ऊटी के जिन स्थलों को हमने देखा उनमेंबोटेनिकल गार्डेनने काफ़ी प्रभावित किया। ट्वीडेल के मार्कुएस ने 1897 में 55 एकड़ में फैले इस उद्यान की नींव रखी थी। पेड़-पौधों में रुचि रखने वालों के लिए यह तो स्वर्ग ही है। इस उद्यान में 650 से अधिक प्रजातियों के पौधे हैं। कुछ तो बहुत ही दुर्लभ प्रजाति के हैं। इसमें बीस मीलियन वर्ष पुराना एक फ़ौसिल भी है। पूरा बाग बहुत ही करीने से सजाया गया है। इसके सैर करने की लुत्फ़ बड़ा ही मनभावन है। |
Re: पर्वतीय पर्यटक स्थल: ऊटी
रोज़ गार्डेनऊटी शहर की शान में चार चांद लगाता है। ऐसा दावा किया जाता है कि जितने अधिक किस्म के गुलाब इस गार्डेन में हैं उतने देश में अन्यत्र किसी गार्डेन में नहीं है। मंत्रमुग्ध होकर हम तो इसके क़रीब 2,500 क़िस्म के गुलाबों का नज़ारा करते रहे।
1897 में स्थापितटॉय ट्रेनसे आप मेट्टुपलयम से ऊटी तक की इन हसीन वादियों में 45 किलोमीटर की यात्रा कर सकते हैं। इस यात्रा में 16 गुफाओं से यह ट्रेन गुज़रती है। बलखाती पहाड़ियों पर सुरंगों से गुज़रती ट्वाय ट्रेन जब धीरे-धीरे आगे बढ़ती है तो मन अद्भुत रोमांच से भर जाता है। बोट हाउसयहां का सबसे प्रसिद्ध स्थल है। 1894 में ऊटी के तत्कालीन कलक्टर जॉन सुल्लिवान द्वारा इस कृत्रिम झील का निर्माण किया गया था। ऊटी के सुहाने मौसम का भरपूर आनंद इस झील में बोटिंग कर के कई गुना बढ़ जाता है। पानी की लहरों पर बोट चलाना एक असीम आनंद देने वाला अनुभव होता है। कुछ लोग मोटर बोट से भी मज़ा उठाते हैं पर पैडल बोट की आनंद ही कुछ और है! |
Re: पर्वतीय पर्यटक स्थल: ऊटी
बोट हाउस की दूसरी तरफ़थ्रेड गार्डेनहै। इसआश्चर्य जनक कारीगरी को गिन्नीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज़ किया गया है। 60 मीलियन मीटर की एम्ब्रॉयडरी की कारीगरी 50 कुशल कारीगरों द्वारा 12 वर्षों में तैयार हुई थी।
ऊटी से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थितडोड्डाबेट्टानीलगिरी की सबसे ऊंची चोटी है। पूर्व और पश्चिम घाट की संधि-स्थल पर स्थित यह पहाड़ी समुद्र तल से 2,623 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां से पूरे प्रदेश का विहंगम दृश्य देखने का सुख ही अलग है। इस ऊंची चोटी से अन्य चोटियों को और नीचे घाटी और समतल की ओर देखने का सुख ही अलग है। इस जगह से ढ़लती सांझ क नज़ारा देखने लायक होता है। इस पर एक टेलिस्कोप घर भी है। यहां से ऊटी की अद्भुत प्राकृतिक सुषमा देख कर इसी पर्वतीय-प्रदेश में बस जाने का मन करता है। |
Re: पर्वतीय पर्यटक स्थल: ऊटी
डोड्डाबेट्टा के रास्ते मेंटी म्यूज़ियमपड़ता है। यह सबसे ऊंची जगह पर बनी चाय की फ़ैकटरी है। यहां चाय की पत्ती के निर्माण की प्रक्रिया के बारे में जानने का अविस्मरणीय अनुभव हुआ। इसे हम अगली पोस्ट में साझा करेंगे। इस फ़ैक्ट्री से पूरे ऊटी शहर का नज़ारा मन को हर्षित कर गया।
हर क़दम पर यहां भरपूर सौंदर्य बिखरा पड़ा है। इसे छोडकर जाने का मन तो करता नहीं, पर अपनी मज़बूरी वापस तो जाना ही था। ऊटी से 105 कि.मी. का सफ़र सड़क से तय कर हम कोयंबटूर पहुंचे और वहां से हवाई यात्रा से वापस कोलकाता आ गए। वापसी के समय जिस मोटर कार से कोयंबटूर एयरपोर्ट की तरफ़ जा रहे थे उसमें यह गीत बज रहा था और हम मन ही मन गाए जा रहे थे: दिल ढूंढता है फिर वही, फुरसत के रात दिन..... ** |
Re: पर्वतीय पर्यटक स्थल: ऊटी
|
Re: पर्वतीय पर्यटक स्थल: ऊटी
|
Re: पर्वतीय पर्यटक स्थल: ऊटी
ऊटी की मनोरम दृश्यावली
|
Re: पर्वतीय पर्यटक स्थल: ऊटी
|
All times are GMT +5. The time now is 12:03 PM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.