बाल कविता ~ मदारी का खेल
रामू , सलमा , जस्सी ,विक्टर , भूल जाओ सब गम ;:elephant:
आओ दोस्तों तुम्हें सुनाएँ बात मजे की हम . एक बार की बात , मदारी निकला इक बन - ठन ;:banalema: साज - धाज में उसकी बन्दरिया नहीं थी उससे कम . मदारी ने डमरू बजाया , डम -डम -डम -डम -डम ;:crazyeyes: बन्दरिया ने खींस निपोरी , खी -खी -खी -खी -खी . मदारी ने छड़ी को पटका , पट -पट -पट -पट -पट ;:kissing: डर के बन्दरिया लगी नाचने , छम -छम -छम -छम -छम . दर्शक बच्चे हँसे जोर से , हा -हा -हा -हा -हा ;:horse: और मस्त हो पैसे फेंके , खन -खन -खन -खन -खन . :gm: रचयिता~~~डॉ. राकेश श्रीवास्तव विनय खण्ड-२,गोमती नगर,लखनऊ. :bye: |
Re: बाल कविता ~ मदारी का खेल
डॉ,साहेब आपकी रचना के कारण ये फोरम अब पूर्णतया पारिवारिक हो गया है,
अब बडो के साथ साथ बच्चे भी आपकी बाल रचना पढ़ कर खुश होंगे ! फोरम को एक नई उर्जा देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ! |
Re: बाल कविता ~ मदारी का खेल
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आपकी सोच आपका बड़प्पन है . आपका बहुत धन्यवाद . |
Re: बाल कविता ~ मदारी का खेल
सर्वश्री abhisays ji , arvind ji और n.dhebar ji ,
बाल दिवस पर विशेष रूप से लिखी गयी इस बाल कविता को आप लोगों ने सराहा , इस हेतु आप सभी का बहुत -बहुत शुक्रिया . |
Re: बाल कविता ~ मदारी का खेल
वास्तव में इस कविता में मुझे अपने बचपन में वापिस भेज दिया.. :fantastic::fantastic:
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Re: बाल कविता ~ मदारी का खेल
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आपने सदा पढ़ा और पसन्द किया , आपका शुक्रिया . आपको ये जानकार निश्चित ही ख़ुशी होगी कि आपके इस सदस्य साथी की इस रचना के साथ - साथ अन्य रचना 'मन के औज़ार' तथा 'एक दिवाली ऐसी हो' की प्रशंसा उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी अवार्ड ( सन १९९४ ) से सम्मानित मशहूर शायर काज़िम 'जरवली' जी ने भी एक अन्य फोरम पर की है . बावजूद इसके , मेरे लिए आपका अब तक का उत्कृष्ट योगदान अमूल्य और अविस्मर्णीय है . |
Re: बाल कविता ~ मदारी का खेल
सिकंदर खान जी ,
आपने पढ़ा , आपका शुक्रिया . |
Re: बाल कविता ~ मदारी का खेल
मित्र मनीष कुमार जी ; कविता पढ़ने व पसंद करने के लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूँ .
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Re: बाल कविता ~ मदारी का खेल
डॉ. श्रीवास्तव जी, बाल गीत लिखना बड़े जीवट का काम है यही वजह है कि अपने यहाँ स्तरीय बाल साहित्य बहुत कम लिखा जा रहा है. आपकी कविता में अलग अलग आवाजों का प्रयोग बहुत बढ़िया हुआ है. यूँ लगता है जैसे ये आवाजें सुनाई दे रहीं हों. आश्चर्य नहीं कि इसे उद्भट विद्वानों द्वारा सराहा गया है.
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