My Hindi Forum

My Hindi Forum (http://myhindiforum.com/index.php)
-   Religious Forum (http://myhindiforum.com/forumdisplay.php?f=33)
-   -   विष्णु पुराण (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=3745)

aspundir 08-12-2011 11:30 PM

विष्णु पुराण
 
विष्णु पुराण

श्रीपराशर ऋषि द्वारा प्रणीत यह पुराण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा प्राचीन है। इसके प्रतिपाद्य भगवान विष्णु हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं। इस पुराण में आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, सूर्य आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है। भगवान विष्णु प्रधान होने के बाद भी यह पुराण विष्णु और शिव के अभिन्नता का प्रतिपादक है। विष्णु पुराण में मुख्य रूप से श्रीकृष्ण चरित्र का वर्णन है, यद्यपि संक्षेप में राम कथा का उल्लेख भी प्राप्त होता है।
अष्टादश महापुराणों में श्रीविष्णुपुराण का स्थान बहुत ऊँचा है। इसके रचयिता श्रीपराशरजी हैं। इसमें अन्य विषयों के साथ भूगोल, ज्योतिष, कर्मकाण्ड, राजवंश और श्रीकृष्ण-चरित्र आदि कई प्रंसगों का बड़ा ही अनूठा और विशद वर्णन किया गया है। भक्ति और ज्ञान की प्रशान्त धारा तो इसमें सर्वत्र ही प्रच्छन्न रूप से बह रही है। यद्यपि यह पुराण विष्णुपरक है तो भी भगवान शंकर के लिये इसमे कहीं भी अनुदार भाव प्रकट नहीं किया गया। सम्पूर्ण ग्रन्थ में शिवजी का प्रसंग सम्भवतः श्रीकृ्ष्ण-बाणासुर-संग्राम में ही आता है, सो वहाँ स्वयं भगवान् कृष्ण महादेवजी के साथ अपनी अभिन्नता प्रकट करते हुए श्रीमुखसे कहते हैं-
“त्वया यदभयं दत्तं तद्दत्तमखिलं मया। मत्तोऽविभिन्नमात्मानं द्रुष्टुमर्हसि शङ्कर।
योऽहं स त्वं जगच्चेदं सदेवासुरमानुषम्। मत्तो नान्यदशेषं यत्तत्त्वं ज्ञातुमिहार्हसि। अविद्यामोहितात्मानः पुरुषा भिन्नदर्शिनः। वन्दति भेदं पश्यन्ति चावयोरन्तरं हर॥„

aspundir 08-12-2011 11:32 PM

Re: विष्णु पुराण
 
विस्तार
इस पुराण में इस समय सात हजार श्लोक उपलब्ध हैं। वैसे कई ग्रन्थों में इसकी श्लोक संख्या तेईस हजार बताई जाती है। विष्णु पुराण में पुराणों के पांचों लक्षणों अथवा वर्ण्य-विषयों-सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर और वंशानुचरित का वर्णन है। सभी विषयों का सानुपातिक उल्लेख किया गया है। बीच-बीच में अध्यात्म-विवेचन, कलिकर्म और सदाचार आदि पर भी प्रकाश डाला गया है।
कथा
यह एक वैष्णव महापुराण है, यह सब पातकों का नाश करने वाला है। इसकी कथा निम्नलिखित भागों मे वर्णित है-
पूर्व भाग-प्रथम अंश
इसके पूर्वभाग में शक्ति नन्दन पराशर ने मैत्रेय को छ: अंश सुनाये है, उनमें प्रथम अंश में इस पुराण की अवतरणिका दी गयी है। आदि कारण सर्ग देवता आदि जी उत्पत्ति समुद्र मन्थन की कथा दक्ष आदि के वंश का वर्णन ध्रुव तथा पृथु का चरित्र प्राचेतस का उपाख्यान प्रहलाद की कथा और ब्रह्माजी के द्वारा देव तिर्यक मनुष्य आदि वर्गों के प्रधान प्रधान व्यक्तियो को पृथक पृथक राज्याधिकार दिये जाने का वर्णन इन सब विषयों को प्रथम अंश कहा गया है।
पूर्व भाग-द्वितीय अंश
प्रियव्रत के वंश का वर्णन द्वीपों और वर्षों का वर्णन पाताल और नरकों का कथन,सात स्वर्गों का निरूपण अलग अलग लक्षणों से युक्त सूर्यादि ग्रहों की गति का प्रतिपादन भरत चरित्र मुक्तिमार्ग निदर्शन तथा निदाघ और ऋभु का संवाद ये सब विषय द्वितीय अंश के अन्तर्गत कहे गये हैं।
पूर्व भाग-तीसरा अंश
मन्वन्तरों का वर्णन वेदव्यास का अवतार,तथा इसके बाद नरकों से उद्धार का वर्णन कहा गया है। सगर और और्ब के संवाद में सब धर्मों का निरूपण श्राद्धकल्प तथा वर्णाश्रम धर्म सदाचार निरूपण तथा माहामोह की कथा,यह सब तीसरे अंश में बताया गया है,जो पापों का नाश करने वाला है।
पूर्व भाग-चतुर्थ अंश
सूर्यवंश की पवित्र कथा,चन्द्रवंश का वर्णन तथा नाना प्रकार के राजाओं का वृतान्त चतुर्थ अंश के अन्दर है।
पूर्व भाग-पंचम अंश
श्रीकृष्णावतार विषयक प्रश्न,गोकुल की कथा,बाल्यावस्था में श्रीकृष्ण द्वारा पूतना आदि का वध,कुमारावस्था में अघासुर आदि की हिंसा,किशोरावस्था में कंस का वध,मथुरापुरी की लीला, तदनन्तर युवावस्था में द्वारका की लीलायें समस्त दैत्यों का वध,भगवान के प्रथक प्रथक विवाह,द्वारका में रहकर योगीश्वरों के भी ईश्वर जगन्नाथ श्रीकृष्ण के द्वारा शत्रुओं के वध के द्वारा पृथ्वी का भार उतारा जाना,और अष्टावक्र जी का उपाख्यान ये सब बातें पांचवें अंश के अन्तर्गत हैं।
पूर्व भाग-छठा अंश
कलियुग का चरित्र चार प्रकार के महाप्रलय तथा केशिध्वज के द्वारा खाण्डिक्य जनक को ब्रह्मज्ञान का उपदेश इत्यादि छठा अंश कहा गया है।
उत्तरभाग
इसके बाद विष्णु पुराण का उत्तरभाग प्रारम्भ होता है,जिसमें शौनक आदि के द्वारा आदरपूर्वक पूछे जाने पर सूतजी ने सनातन विष्णुधर्मोत्तर नामसे प्रसिद्ध नाना प्रकार के धर्मों कथायें कही है,अनेकानेक पुण्यव्रत यम नियम धर्मशास्त्र अर्थशास्त्र वेदान्त ज्योतिष वंशवर्णन के प्रकरण स्तोत्र मन्त्र तथा सब लोगों का उपकार करने वाली नाना प्रकार की विद्यायें सुनायी गयीं है,यह विष्णुपुराण है,जिसमें सब शास्त्रों के सिद्धान्त का संग्रह हुआ है। इसमे वेदव्यासजी ने वाराकल्प का वृतान्त कहा है, जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।

aspundir 09-12-2011 09:30 PM

Re: विष्णु पुराण
 
https://lh5.googleusercontent.com/-6.../vishnu000.gif

aspundir 09-12-2011 09:32 PM

Re: विष्णु पुराण
 
https://lh3.googleusercontent.com/-n.../Vishnu001.gif

aspundir 09-12-2011 09:32 PM

Re: विष्णु पुराण
 
https://lh3.googleusercontent.com/-8.../Vishnu002.gif

aspundir 09-12-2011 09:34 PM

Re: विष्णु पुराण
 
https://lh3.googleusercontent.com/-i.../Vishnu003.gif

aspundir 09-12-2011 09:34 PM

Re: विष्णु पुराण
 
https://lh5.googleusercontent.com/-u.../Vishnu004.gif

aspundir 09-12-2011 09:35 PM

Re: विष्णु पुराण
 
https://lh5.googleusercontent.com/-N.../Vishnu005.gif

aspundir 09-12-2011 09:36 PM

Re: विष्णु पुराण
 
https://lh5.googleusercontent.com/-j.../Vishnu006.gif

aspundir 09-12-2011 09:36 PM

Re: विष्णु पुराण
 
https://lh6.googleusercontent.com/-0.../Vishnu007.gif


All times are GMT +5. The time now is 01:31 AM.

Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.