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Bond007 03-02-2011 06:05 AM

बिहार का इतिहास
 
बिहार का इतिहास

प्राचीन बिहार की जानकारी के लिये पुरातात्विक साहित्य, यात्रा वृतान्त व अन्य देशी स्त्रोत उपलब्ध हैं । प्राचीन शिलालेख, सिक्के, पट्टे, दानपत्र, ताम्र पत्र, राजकाज सम्बन्धी खाते-बहियों, दस्तावेज, विदेशी यात्रियों के यात्रा वृतान्त, स्मारक, इमारतें आदि विशेष महत्वपूर्ण होता है । ऐतिहासिक स्मारक या पुरातात्विक सामग्री व अन्य वस्तुएँ बिहार में उपलब्ध हैं ।

बिहार का उल्लेख वेदों, पुराणों, महाकाव्यों आदि ग्रन्थों में मिलता है । प्राचीन बिहार में मगध साम्राज्य के अनेक शासकों व जैन, बौद्ध धर्म सम्बन्धित जानकारियाँ ग्रन्थों से मिलती हैं । अनेक प्राचीन सामग्री का विवरण भारत के अनेक स्थानों एवं चीन, तिब्बत, अरब, श्रीलंका, बर्मा व दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों आदि में उपलब्ध होती हैं ।

छात्र एवं विदेशी यात्रियों के आगमन, बौद्ध-जैन धर्म के प्रचारकों, दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों से होने वाले व्यापार आदि के कारण प्राचीन बिहार के अनेक स्थानों, पाटलिपुत्र, वैशाली. बोधगया, नालन्दा, राजगीर, पावापुरी, अंग आदि से व्यापक सम्पर्क थे ।

Bond007 03-02-2011 06:07 AM

बिहार का इतिहास
 
पुरातात्विक स्त्रोत

बिहार में सिंहभूम, हजारीबाग, रांची, सन्थाल परगना, मुंगेर आदि में पूर्व एवं मध्य प्रस्तर युगीन अवशेष तथा प्राचीनतम औजार प्राप्त हुए हैं ।

मुंगेर और नालन्दा से पूर्व प्रस्तर एवं मध्य प्रस्तर युग के छोटे-छोटे औजार मिले हैं ।
सारण स्थित चिरॉद और वैशाली के चेचर से नव-पाषाणीय युग की सामग्री प्राप्त हुई है ।
ताम्र पाषाणीय युगीन सामग्री चिरॉद (सारण), चेचर (वैशाली), सोनपुर (गया), मनेर (पटना) से तत्कालीन वस्तुएँ एवं मृदभांड मिले हैं ।
मौर्यकालीन अभिलेख लौरिया नंदनगढ़, लौरिया अरेराज, रामपुरवा आदि स्थानों से प्राप्त हुए हैं तथा आहत सिक्के की प्राप्ति से गुप्तकालीन जानकारियाँ मिलती हैं । प्राचीन स्मारकों, स्तम्भों, अभिलेखों व पत्रों में प्राचीन बिहार की ऐतिहासिक झलक मिलती है ।

पुरातात्विक स्त्रोतों में राजगीर, नालन्दा, पाटलिपुत्र एवं बराबर पहाड़ियों की पहाड़ियों में प्राचीन कालीन प्रमुख स्मारक मिले हैं ।

Bond007 03-02-2011 06:08 AM

बिहार का इतिहास
 
साहित्यिक स्त्रोत

प्राचीन बिहार के ऐतिहासिक स्त्रोतों में साहित्यिक स्त्रोत अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं जो आठवीं सदी ई.पू. में रचित शतपथ ब्राह्मण, परवर्ती काल के विभिन्न पुराण, रामायण, महाभारत, बौद्ध रचनाओं में अंगतुर निकाय, दीर्घ निकाय, विनयपिटक, जैन रचनाओं में भगवती सूत्र आदि से प्राप्त होते हैं ।

बिहार का ऐतिहासिक स्त्रोत वेदों, पुराणों, महाकाव्यों आदि से प्राप्त होते हैं जो निम्न विवरणीय हैं|

Bond007 03-02-2011 06:10 AM

बिहार का इतिहास
 
वैदिक संहिता (साहित्य)

प्राचीन विश्व के सबसे प्राचीन माने जाने वाली कृति वेद संहिता है । ऋग्वेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद तथा सामवेद में बिहार का उल्लेख मिलता है ।

**वेदों के संहिता से रचित ब्राह्मण ग्रन्थ हैं जिसमें बिम्बिसार के पूर्व घटनाओं का ज्ञान प्राप्त होता है ।
**ऐतरेय, शतपथ, तैत्तरीय, पंचविश आदि प्राचीन ब्राह्मण ग्रन्थों में बिहार में अनेक राजाओं के नाम जुड़े हुए हैं । शतपथ में गांधार, शल्य, कैकय, कुरु, पंचाल, कोशल, विदेह आदि राजाओं का उल्लेख मिलता है ।
**बिहार का प्राचीनतम वर्णन अथर्ववेद तथा पंचविश ब्राह्मण में मिलता है जो सम्भवतः १०वीं-८वीं ई.पू. था और उस समय बिहार को ब्रात्य कहा गया है, जबकि ऋग्वेद में बिहार और बिहार वासियों को कीकर कहा गया है ।
**मगध शासकों की क्रूरता, वीरता एवं सैन्य शक्ति का उल्लेख जैन ग्रन्थ (भगवती सूत्र) में मिलता है ।
**आर्यों का विस्तार एवं आगमन का वर्णन शतपथ ब्राह्मण में मिलता है ।

Bond007 03-02-2011 06:11 AM

बिहार का इतिहास
 
पुराण - अठारह पुराणों में मत्स्य, वायु तथा ब्रह्मांड पुराण बिहार के ऐतिहासिक स्त्रोत के लिए महत्वपूर्ण हैं । इन पुराणों से शुंगवंशीय शासक पुष्यमित्र का वर्णन मिलता है जिसने ३६ वर्षों तक शासन किया । पुराणों में उत्तर युगीन मौर्ययुगीन शासकों के शासन की जानकारी प्राप्त होती है ।

पतंजलि महाभाष्य- मौर्य युगीन साम्राज्य की समाप्ति के बाद शुंग वंश का प्रतापी राजा पुष्यमित्र हुआ, जिसके पुरोहित पतंजलि थे । पतंजलि ने उनकी वीरता, कार्यकुशलता तथा भवनों पर आक्रमण की चर्चा अपनी महाभाष्य में की है ।

मालविकाग्निमित्रम्*- यह कालिदास द्वारा रचित नाटक है जिसमें शुंगकालीन राजनीतिक गतिविधियों का उल्लेखनीय वर्णन मिलता है । कालिदास यवन की आक्रमण का चर्चा करते हैं और पुष्यमित्र को अग्निमित्र के पुत्र सिन्ध पर आक्रमण कर यवन को पराजित किया था ।

येरावली- इसकी रचना जैन लेखक मेरुतुंग ने की थी । इसमें उज्जयिनी के शासकों की वंशावली है तथा पुष्यमित्र के बारे में उल्लेख किया गया है कि उसने ३६ वर्षों तक शासन किया था ।

दिव्यादान- इस बौद्धिक ग्रन्थ में पुष्यमित्र को मौर्य वंश का अन्तिम शासक बतलाया गया है ।

पाणिनी की अष्टाध्यायी- यह पाँचवीं सदी पूर्व संस्कृत व्याकरण का अपूर्व ग्रन्थ है ।

कौटिल्य का अर्थशास्त्र- यह ग्रन्थ मौर्यकालीन इतिहास का महत्वपूर्ण स्त्रोत है ।

मनुस्मृति ग्रन्थ- मनुस्मृति सबसे प्राचीन और प्रमाणित मानी गयी है, जिसकी रचना शुंग काल में हुई थी । यह ग्रन्थ शुंगकालीन भारत की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक दशा का बोध कराता है ।

मनुस्मृति के प्रमुख टीकाकार, भारवि, मेघातिथि, गोविन्दराज तथा कल्लण भट्ट हैं । यह टीकाकार हिन्दू समाज के विविध पक्षों के विषय में अच्छी जानकारी प्राप्त किये होते हैं ।


Bond007 03-02-2011 06:14 AM

बिहार का इतिहास
 
बौद्ध साहित्य

बौद्ध ग्रन्थों में त्रिपिटक, विनयपिटक, सुतपिटक तथा अभिधम्म पिटक महत्वपूर्ण हैं, जिसमें अनेकों ऐतिहासिक सामग्री उपलब्ध होती है । निकाय तथा जातक में बौद्ध धर्म के सिद्धान्त तथा कहानियों का संग्रह है । जातकों में बुद्ध के पूर्वजन्म की कहानी है ।

**दीपवंश तथा महावंश दो पालि ग्रन्थों से मौर्यकालीन इतिहास के विषय में जानकारी होती है ।
**नागसेन का रचित मिलिन्दह्नो में हिन्द यवन शासक मेनाण्डर के विषय में जानकारी मिलती है ।
**हीनयान का प्रमुख ग्रन्थ कथावस्तु में महात्मा बुद्ध के जीवन चरित्र के अनेक कथानकों के साथ वर्णन मिलता है ।
**दिव्यादान से अशोक के उत्तराधिकारियों से लेकर पुष्यमित्र शुंग तक के शासकों के विषय में जानकारी मिलती है तथा ह्वेनसांग ने नालन्दा विश्वविद्यालय में ६ वर्षों तक रहकर शिक्षा प्राप्त की ।
**इनके भ्रमण वृतान्त सि.यू. की पुस्तक में है जिसमें १३८ देशों का विवरण मिलता है ।
**इसके वृतान्त से हर्षकालीन भारत के समाज, धर्म तथा राजनीति पर सुन्दर विवरण प्राप्त होता है ।

Bond007 03-02-2011 06:17 AM

बिहार का इतिहास
 
ह्वेनसांग का मित्र हीली ने ह्वेनसांग की जीवनी से हर्षकालीन भारत की दशा की महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती हैं । इत्सिंग सातवीं शताब्दी के अन्त में भारत आया था । उसने अपने विवरण में नालन्दा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय तथा अपने समय के भारत की दशा का वर्णन किया है ।

**त्वानलिन नामक चीनी यात्री ने हर्ष के पूर्वी अभियान के विषय में विवरणों का उल्लेख किया है ।
**चाऊ जू कूआ चोल इतिहास के विषय में कुछ तथ्य प्रस्तुत करता है ।
**तिब्बती बौद्ध लेखक तारानाथ के ग्रन्थों कंग्युर तथा तंग्युर से भी भारतीय इतिहास के तथ्य ज्ञात होते हैं|
**वेनिस के प्रसिद्ध यात्री मार्कोपोलो ने तेरहवीं शती में पाण्ड्य शासकों के शासन का इतिहास के वृतान्त को लिखा है ।
**मेगस्थनीज जो सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था । उसने इण्डिका नामक पुस्तक में मौर्ययुगीन समाज तथा संस्कृति विषय को लिखा है ।
**इण्डिका से यूनानियों द्वारा भारत के सम्बन्ध का उल्लेख प्राप्त होता है ।
**डायमेकस, सीरिया नरेश अन्तियोकस का राजदूत था । वह बिम्बिसार के शासन काल में भारत आया था ।
**डायोनियख्यिस जो मिस्र नरेश टालमी फिलेडेल्फस का राजदूत था । वह अशोक के दरबार में आया था ।
**टालमी ने भारत का भूगोल लिखा, जबकि टिलनी द्वारा भारतीय पशुओं, पेड़-पौधों, खनिज पदार्थों आदि का वर्णन किया गया है । चीनी यात्रियों के विवरण से हमें ऐतिहासिक विवरण प्राप्त होते हैं ।
**ये चीनी यात्री बौद्ध मतानुयायी थे । इनके विवरण से ज्ञात होता है कि यह भारत में बौद्ध तीर्थस्थानों की यात्रा तथा बौद्ध धर्म के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए आये थे ।
**फाह्यान, सुंगयुंग, ह्वेनसांग तथा इत्सिंग विशेष रूप से प्रसिद्ध चीनी यात्री हैं ।

फाह्यान- यह गुप्त नरेश चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के दरबार में आया था ।

ह्वेनसांग- यह हर्षवर्धन के शासन काल में आया था तथा उसने १६ वर्षों तक निवास कर विभिन्*न स्थानों की यात्रा की ।

Bond007 03-02-2011 06:19 AM

बिहार का इतिहास
 
अरबी एवं फारसी साहित्य

अरब व्यापारियों तथा लेखकों के विवरण से पूर्व मध्यकालीन समाज एवं संस्कृति के विषय में जानकारी प्राप्त होती है ।

**अलबरूनी ने अपनी प्रसिद्ध रचनाओं में गणित, विज्ञान तथा ज्योतिष का वर्णन किया है । उसने भारतीय संस्कृति का अध्ययन किया था ।
**मध्यकाल में ऐतिहासिक जानकारी हेतु मिन्हाज की तबकाते नासिरी इखत्सान, देहलवी की वसातीनुल उन्स, शेख कबीर की अफसानाएँ, गुलाम हुसैन सलीम की रियाज, उस सलातीन गुलाम हुसैन तबतवाई की सियर, उल मुता खेरनी आदि बिहार से सम्बन्ध प्रमुख स्रोत प्राप्त होते हैं ।
**जियाउद्दीन बरनी की तारीखे फिरोजशाही, अबुल फजल की अकबरनामा, बाबर की तुजुके बाबरी एवं मिर्जानाथन की बहारिस्ताने गैवी आदि रचनाएँ बिहार के ऐतिहसिक प्रमुख स्रोत रही हैं ।
**फारसी भाषा में मुल्ला ताफिया, अब्दुल लतीफ, मोहम्मद सादिक और बहबहानी की यात्रा वृतान्त बिहार की इतिहास के लिए महत्वपूर्ण रचनाएँ हैं ।

Bond007 03-02-2011 06:20 AM

बिहार का इतिहास
 
अन्य साहित्यिक स्त्रोत

विद्यापति की रचनाएँ कीर्तिलता, कीर्तिपताका हैं, ज्योतिरीश्वर की वर्ण रत्नाकर एवं चन्द्रशेखर की रचनाएँ हैं जो उत्तरी बिहार के मिथिला क्षेत्र के इतिहास के स्रोत से प्राप्त होती हैं ।

पुरातत्व सम्बन्धी साक्ष्य- प्राचीन बिहार के ऐतिहासिक स्त्रोत का प्रमुख स्त्रोत पुरातत्व सम्बन्धी साक्ष्य भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है । पुरातत्व सम्बन्धी साक्ष्य में अभिलेख सम्बन्धी, मुद्रा सम्बन्धी तथा स्मारक सम्बन्धी तीन प्रमुख स्त्रोत हैं ।

अभिलेखीय स्त्रोत- अभिलेखों का ऐतिहासिक महत्व साहित्यिक साक्ष्यों में पाषाण शिलाओं, स्तम्भों, ताम्रपत्रों, दीवारों, मुद्राओं एवं प्रतिमाओं आदि पर खुदे हुए मिले हैं ।

**सबसे प्राचीन अभिलेखों में मध्य एशिया के बोधजकोई से प्राप्त अभिलेख हैं ।
**विभिन्न अभिलेखों से अशोक के शासन के विवरण मिलते हैं । अशोक के अनेक शिलालेख एवं स्तम्भ लेख देश के विभिन्न स्थानों से प्राप्त हुए हैं ।
**इन अभिलेखों से अशोक के साम्राज्य की सीमा, उसके धर्म तथा शासन नीति पर महत्वपूर्ण विवरण प्राप्त होते हैं ।
**गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त का प्रयाग स्तम्भ लेख, मालव नरेश यशोवर्मन का मन्दसोर अभिलेख, चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय का ऐहोल अभिलेख प्रमुख हैं ।

मन्दिर इमारतें, स्मारक आदि के तहत स्तम्भ, दुर्ग, राजप्रासाद, भग्नावशेष आदि इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं । इनसे राजनीतिक व धार्मिक व्यवस्था तथा राजव्यवस्था की जानकारी मिलती है ।

Bond007 03-02-2011 06:25 AM

बिहार का इतिहास
 
विविध स्त्रोत

बिहार के मध्यकालीन इतिहास की जानकारी हेतु अभिलेख, स्मारक, सिक्के, चित्र और अनेक प्राचीन ऐतिहासिक वस्तुएँ उपलब्ध हैं । विविध स्त्रोतों में जिला गजेटियर, लैण्ड सर्वे एवं सेटलमेण्ट रिपोर्ट आदि प्रमुख हैं ।

**प्रशासनिक महत्व के पत्रों के संकलन विशेषकर फोर्ट विलियम इण्डिया हाउस कॉरेस्पोंडेंस सीरीज, फ्रांसिस बुचानन द्वारा संकलित वृहत रिपोर्ट्स, राष्ट्रीय एवं राजकीय अभिलेखाकार में सुरक्षित सरकारी संचिकाएँ एवं अन्य कागजात भी इन सन्दर्भ में उपयोगी हैं ।
**बिहार से प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, विभिन्न भाषाओं की साहित्यिक कृतियाँ भी अनेक महत्वपूर्ण जानकारी देने में सहायक हैं ।
**स्वयंसेवी संस्थाओं, शैक्षिक केन्द्रों और अन्य संस्थाओं के कागजात भी ऐतिहासिक स्त्रोत हैं ।
**इनके साथ-साथ निजी पत्रों, चिट्ठियों, डायरियाँ, संस्मरणों आदि भी प्रमुख स्त्रोत हैं ।

इस प्रकार विविध स्रोतों में राजकाज की बहियाँ, खाते पट्टे, फरमान, सनद, फाइलें, राजकीय दस्तावेज, विभिन्न भाषाओं में रचित पत्र-पत्रिकाएँ व अन्य कागजात प्रमुख हैं ।

मुद्राएँ- प्राचीन ऐतिहासिक स्त्रोत में सिक्के प्रमुख स्त्रोत हैं, जिसकी प्राचीनता ८वीं शती ई.पू. तक मानी जाती है ।

आहत सिक्के सबसे प्राचीनतम सिक्के कहे जाते हैं जिन्हें साहित्य में कोषार्पण भी कहा गया है । बिहार के अनेक स्थानों से खुदाई में सिक्के मिले हैं, जिनसे बिहार के इतिहास की जानकारी मिलती है ।

स्मारक- ऐतिहासिक स्त्रोतों में स्मारक भी एक महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं । इनके अन्तर्गत प्राचीन इमारतें, मन्दिर, मूर्तियाँ, विहार, स्तूप आदि आते हैं ।

**ये सभी स्मारक विभिन्न युगों की सामाजिक, धार्मिक तथा आर्थिक परिस्थितियों का विवरण देते हैं ।
**मन्दिर, विहारों व स्तूपों से जनता की आध्यात्मिकता व धर्मनिष्ठता का पता चलता है ।
**खुदाई से बिहार के प्रमुख स्थलों का विवरण प्राप्त किया गया है जिसमें पाटलिपुत्र, राजगृह, नालन्दा, वैशाली, विक्रमशिला, ओदंतपुरी आदि हैं ।
**नालन्दा स्थित बुद्ध की ताम्रमूर्ति, पटना से प्राप्त यक्ष-यक्षिणी की मूर्ति हिन्दू कला और सभ्यता के विकसित होने का प्रमाण है ।
**बिहार में स्थित ऐतिहासिक स्थलों व स्मारकों की प्रचुरता इस बात की साक्षी है कि राजव्यवस्था, शिक्षा, शासन, सभ्यता व संस्कृति आदि विश्व स्तरीय केन्द्र थे ।


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