"अकेला बादल" मेरी पसंदीदा नवलकथा - २
कोई नवलकथा किसी की मनपसंद क्युं हो सकती है? कोई नवल कथा सेंकडो दिलों पर क्युं छा जाती है? क्युं होलीवुड में नोवेल पर से पुरी फिल्म बनती है? क्युं नोवेल पर से बनाई गई फिल्में ज्यादातर हीट होती है? आखिर क्या होता है वह सस्ते कागज़, काली स्याही, धागे और लेह से बने सपनों में?
'अकेला बादल' एक मित्र के बड़े भाई से मुझे मिली थी। मुझे पता नहीं था की यह नोवेल मुझे ईतनी पसंद आएगी की वह मैं लोटाउंगा ही नहीं! अभी तक वह ना लौटाई हुई नोवेल मेरे पास रखी हुई थी...संभाल कर। लेकिन अधिक संभाल कर रख देने के बाद अब मुझे दो महिने से वह नोवेल मिल ही नहीं रही! जब भी मुझे मिलेगी मै जरुर कुछ हिस्से पोस्ट करुंगा । ईस सुत्र के किसी भी हिस्से को में कभी भी एडिट/अपडेट करता रहुंगा। |
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वसंत एक धनाढ्य बिझनस मेन है जो अपने अकेलेपन से उब चुका है। वह किशोरावस्था में अपने मा-बाप खो चूका है और अपने पिता का बिझनस संभाल कर उसको आगे बढाता है। लेकिन वह बहुत संवेदनशील ईन्सान है। तनहाईयों से बचने के लिए क्लब जोईन कर के रखा है जहां ढेर सारे मित्र बना कर रखें है। लेकिन फिर भी उसे संतोष नहीं मिल रहा। कई बार रातो को नींद से जाग जाता है और अपने आप से सवाल-जवाब करता रहेता है। सफल बिझनस मेन होने के कारण क्ल्ब में ई लडकीयां उस से दोस्ती-शादी के सपने पाले हुए है, लेकिन वसंत सबसे बच कर रहता है। |
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उक्त भूमिका से बहुत जिज्ञासा बन रही है. इंतज़ार रहेगा, दीप जी.
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वसंत कितना भावुक है ईसका पता तब लगता है जब कहानी में एक पात्र उजागर होता है....वसंत का पुराना दोस्त। वह एक खुद्दार टेक्सी ड्राईवर है जो बसंत की कोई मदद नहीं लेना चाहता। दोनों बचपन के मित्र होने के कारण आत्मीयता गहरी है। वसंत कभी अपने आप से थक कर उससे मिलने को चला जाता है। वहां उसकी मां के हाथो का खाना बड़े चाव से खाता है।
https://i1.sndcdn.com/artworks-00000...5-t200x200.jpghttp://www.google.co.in/url?sa=i&sou...39312118695745http://images.8tracks.com/cover/i/00...ax&w=200&h=200 (एक धनवान की एसी ही मनवांछना फिल्म ' जब वी मेट ' के नायक की थी। होलिवुड की कई फिल्मों में भी एसे ही भावुक लोग दिखाई दिए है जो कहने को तो सफल और धनवान है लेकिन उनकी चाहतें आम आदमी जैसी होती है। '५० शेड्स ओफ ग्रे' में भी बिझनस मेन 'क्रिश्चीयन ग्रे' एक सामान्य लडकी से आकर्षित होता है। 'ट्विलाईट' में एक धनाढ्य वेम्पायर फेमिली का राजकुमार एक सामान्य लडकी से प्रेम कर बैठता है। ) |
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एक दिन बहुत बारिश हो रही थी और वसंत को बिझनस मिटींग में जाना था। एसे में बारिश की वजह से उसकी कार रास्ते मैं ही खराब हो गई। संयोग से उसका वही पुराना टेक्सी ड्राईवर वहां से गुज़रा और वसंत को देख कर रुक गया। कार को चेक करने पर लगा की बात बनेगी नहीं। वसंत का कोट गिला हो चुका था और कार चैक करने के चककर में शर्ट भी जरा बिगड गई थी। वसंत को मिटींग में जाना था, वह अपने दोस्त की टेक्सी ड्राईव कर के आगे बढ गया। अंधेरा होने को था, बारिश भी बढती जा रही थी। |
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बारिश की मोटी चादर के बीच से एक चहेरा दिखाई दिया । वह लडकी था उठा कर टेक्सी रोक रही थी। वसंत ने अनायास ब्रेक लगा दिये। लडकी दरवाजा खोलने लगी तो वसंत ने पुछा कहां जाना है? लडकी झुंझला जाती है। कहती है की पहले टेक्सी में बैठने तो दो! बसंत मुक्सुरा कर दरवाजा खोलता है। वह लडकी वसंत को टेक्सी ड्राईवर जो समज़ लेती है! वह बसंत को थोडी खरी-खोटी भी सुना देती है। वसंत उसे एक ड्राईवर की तरह ही उसके बताए हुए पते पर ड्राईव करने लगता है। बसंत को यह संयोग अच्छा लगता है। बेक-व्यु मिरर में वह उस लडकी को ध्यान से देखता है। वह वाकई में सीदी-सादी और सुंदर लग रही थी। http://oi67.tinypic.com/1433z8m.jpg |
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रास्ते में अचानक टेक्सी पंचर हो जाती है। ओर कोई टेक्सी न मिलने के कारण बसंत भीगते हुए पहिया चेन्ज करने लगता है। बसंत को भीगते हुए काम करते देख कर लडकी को थोडी हमदर्दी होती है। उसे अपने खरी-खोटी सुनाने पर शायद अफसोस भी होता है। गाडी ठीक कर के फिर से वह आगे बढते है। एक तंग गली के बाहर लडकी गाडी रोकने को कहती है। अब मज़े की बात यह थी की बसंत को मीटर देखना नहीं आता था और जेब में खुल्ले पैसे होने का तो सवाल ही नहीं था! लडकी उतर कर मीटर देखते हुए किराया पुछती है। बसंत ने ईधर-उधर ढुंढ कर रेट-कार्ड निकाला। फिर एसे ही कुछ रकम कह दी। लडकी ने नोट निकाला थो वसंत ने कहा की खुल्ले नहीं है! लडकी को परेशान होते हुए देखनें में उसे अच्छा लग रहा था! बाद में वसंत ने कहा की वह बाद में पैसे दे देगा। लडकी ने उसे उसके स्कूल पर आने को कहा जहां वह पढाती थी। और कहा की गेटमेन से कहना की मिस. कामना को बुला ले। फिर वह चली गई। |
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दुसरे दिन वह अपने मित्र को मिलता है और टेक्सी मांगता है। ड्राईवर के कपडे पहन कर वह उसी स्कुल के आगे खडा हो जाता है। स्कुल छुट गया लेकिन कामना बहुत देर से बाहर आई। तब तक बसंत कई अंदाजे लगा चुका था की वह स्कुल आई होगी या नहीं, बिमार तो नहीं हो गई वगैरह। वह अपने चेन्ज ले कर चलने लगी तो बसंत ने पुछा की टेक्सी में नहीं चाहिए? कामना ने कहा की वह बस से आती जाती है, कल तो बारिश की वजह से टेस्की में जाना पडा। ईस पर बसंत को निराशा होती है। कामना आगे बढ जाती है। बसंत का दिल डुबने लगता है! |
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एसे में अचानक कामना के पांव में मोच आ जाती है। वह कराह उठती है। बसंत धीरे से टेक्सी ले कर पास से गुजरता है। कामना उसे रोकती है। दरअसल मोच बडी दर्दनाक थी। बसंत भी उसला दर्द देख कर मचल जाता है। वह उसे टेक्सी में बैठा कर ले चलता है। रास्ते में बसंत कहता है की उसे थोडे दिन टेक्सी में ही जाना चाहिए तो कामना मान जाती है। बसंत खुशी से झुम उठता है! |
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दोनों के संवाद आगे बढते है। बसंत अपना नाम राजा बताता है। मासुम और भोला भाला ईन्सान बन के मीठी बातों से कामना को मनाने की कोशिश करता रहता है। अपने दोस्त से कह कर उसने एक अलग टेक्सी ले जिस से वह रोज कामना को मिल सके।
(एसी ही परिस्थिती फिल्म गजनी में दिखाई दी, जहां एक बिझनस मेन एक सीदी-सादी लडकी के लिए सीदासादा ईन्सान बन जाता है।) राजा बने हुए बसंत को उमीद थी के वह किसी तरह कामना के मन में खुद के प्रति प्रेम प्रस्थापित कर ले उस के बाद अपने धनवान होने का रहस्य कामना को बताएगा तो वह अधिक खुश होगी। लेकिन यहां कहानी में एक ओर रोचक मोड सामने आता है! |
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बसंत को बातोंबातों में पता चलता है की कामना को धनवानों से नफरत है! भला एसी भी कोई लडकी हो सकती है? थोडे समय बाद ईसका कारण भी सामने आता है की किस तरह पैसों की वजह से कामना के मां-बाप अलग हो गए। किस प्रकार पैसों के लिए उस की मां ने उसे छोड़ कर किसी अमीर आदमी के साथ चली गई वगैरह। ईसी कारण से उसके पिता भी गुजर गए और उनके गरीब दोस्त ने कामना को अपनी बच्ची बना कर अपना लिया।
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कामना को अब पैसे और पैसेवालों से नफरत हो चूकी थी। ड्राईवर बना बसंत अब बड़ी उलझन में फंस गया था। लेकिन उसका प्रेम ईतनी हद तक बढ चुका था की वह कामना के लिए सब कुछ छोड कर ड्राईवर बना रहता! |
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ईस बीच बसंत बिझनस भी चालु रखता है। क्लब के एक मेम्बर ने उसे देख भी लिया था...ड्राईवर के स्वांग मेंं!
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ईस उलझनों मैं...कामना की सहेली कहानी मे साक्षात भगवान बन कर आती है। वह कभी कभी कामना के साथ टेक्सी में आती थी। उस की चंचलता के कारण बसंत को लगता है की कामना भी बसंत के बारे में सोच रही है। अब बसंत के मन में कुछ उम्मीद जगती है। |
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बसंत दो-चार बार टेक्सी खराब होने का बहाना निकाल कर रास्ते में रुक जाता था। जहां उसे बातो का ओर समय मिल जाता था। एक महिने बाद कामना का पैर ठीक हो गया था। उस दिन लोटते वक्त कहा की उसे टेक्सी की जरुरत नहीं है। बसंत उसे दुसरे रास्ते कहीं ओर ले गया, कामना उसे रोकती रही लेकिन वह नहीं रुका। जब किसी जगह वह बात करने को रुका तब कामना ने कोई बात नहीं की बस रोती रही। तब बसंत अपने प्रेम का इज़हार करता है और कहता है की अगर वह ड्राईवर है क्या ईस लिय कामना उसे नहीं स्वीकार कर सकती? वापस लौटते समय दोनों चुप थे, कामना शायद कुछ सोच रही थी। अगले दिन स्कुल में छुट्टी थी। बसंत ने उसको पुछा के क्या वह कल मिलने आएगी? तब कामना "हां" कह कर उतर जाती है! बसंत के जीवन में सच में बसंत खिल गई थी! |
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पहली मुलाकात सपने की तरह हुई। दोनों एसी ही सडकों पर घुमते रहे। एसे ही एक -दो बार दोनों घुमते रहे। एक बार भुख लगने पर बसंत ने किसी होटल या रेस्टोरंंट मे जाना चाहा। लेकिन कामना उसे एक ढाबे पर ले गई जहां बसंत को दाल-रोटी खानी पडी। सोचिए कोई अरबोंपति प्यार के लिए ढाबे पर बैठे रोटी तोड रहा है! लेकिन बसंत बहुत खुश था। उसे लगता था की किसी तरह वह कामना के दिल से अमीरों के प्रति घृणा निकाल देगा।
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लेकिन हुआ ईसका ठीक उल्टा। एक कामना के पालक पिता जो किसी फेक्टरी में काम करते थे वे फेक्टरी के एक गंभीर अकस्मात में गुजर जाते है। कामना पर मुसीबत का पहाड टुट पडता है। पालक मां, छोटे भाई की जिम्मेदारी उस पर आ पडी।
https://s-media-cache-ak0.pinimg.com...575d742c31.jpg मुसीबतों के ओर कई पहाड कामना पर तुटने वाले थे....और बसंत का बेपनाह प्रेम और धन भी उसे रोक नहीं सकते थे। |
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थोडे ही दिनों के बाद कामना की सहेली उसे जबरन एक बिझनस एक्जीबीशन में ले जाती है। वहां उन्हें बसंत दिख जाता है। बसंत जो सुट बुट में सज्ज फर्राटेदार अंग्रेजी में अपने क्लायन्ट्स को अपने बिझनस के बारे में स्पीच दे रहा था।
http://footage.framepool.com/shotimg...nchen-riem.jpg यहां कामना का दिल मानों किसी ने नीचोड़ दिया हो एसा दुःख हुआ। लेकिन अब बसंत के पास ओर कोई चारा नहीं था। वह अंजान बनने का नाटक करते हुए बोलता रहा। कामना तैश में आ कर उस से कुछ बोलने गई, लेकिन वसंत बडे शान्दार अभिनय से उसे किसी अन्जान की तरह ही बात करता रहा। उस ने कहा की शायद वह उसके भाई राजा की बात कर रही है । कामना को पहले तो यकीन न हुआ। लेकिन उनके पास भी ओर कोई रास्ता न था। एक्जीबीशन के बाहर ही उन्हें राजा यानी की बसंत ड्राईवर के स्वांग में मिल गया। वहां कामना और उसकी सहेली ने उसे ईसका कारण पुछा....कि क्युं उसने अपने ईतने अमीर भाई के बारे में बताया नहीं। राजा यानी की बसंत ने खुद्दारी, अनबन वगैरह का बहाना निकाल कर उन्हें समजा दिया। कामना अब खुश थी के राजा भी उसकी ही तरह पैसे से नफरत करता है। |
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क्लब में आई नई मेम्बर मिसिज. सहग्ल ईन दिनों चर्चा में थी। अपने तीसरे पति की वे तीसरी पत्नी थी! उनकी मित्रता बसंत से थी। पैसो की अहमीयत के विषय में दोनो की चर्चा हुई तो बसंत ने कहा की सभी के लिए पैसे ईतने मायने नहीं रखते। लेकिन मिसिज सहगल की सोच ठीक विपरीत थी। उन्ही ने बसंत को कामना के साथ ड्राईवर बने घुमते देख लिया था। |
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एक बार मिसिज सहगल गेस्ट बन कर कामना की स्कुल के प्रोग्राम में गई। जहां स्टेज पर कामना अपनी गज़ल प्रस्तुत कर रही थी.... मिसिज सहगल अपने साथ बैठी स्कुल की प्रिन्सीपल से कामना की झुठी शिकायत की। उसने कहा की उसने कई बार पार्टी में बडे आदमीयों के साथ कामना को देखा है। सबुत के लिए मिसिज सहगलने कहा कामना के गले में जो हीरों का हार है वह बहुत किमती है, वह कहां से लाई है? दरअसल वह हार बसंत ने दिया था, यह कह कर की नकली हीरों का हार है। मिसिज सहगल तो निकल गई, प्रिन्सीपल साहिबा ने कामना से पुछताछ की। हीरो के हार की बात से तो वह भी अन्जान थी। लेकिन अपने आप पर लगे भद्दे ईल्जाम से वह सीदी सादी लडकी तुट गई। उसे नोकरी से तुरंत बर्खास्त कर दिया गया। बसंत और कामना की सहेली ने उसे बहुत सहारा दिया। दो-तीन दिन के बाद जा कर कामना जरा संभली। |
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ईस दौरान बसंत को बिझनस के सिलसीले में बाहर जाना पडा। मिसिज सहगल ने किसी तरह कामना का कोन्टेक्ट कर लिया और उसे अपनी किसी कंपनी में छोटी नौकरी दे दी। कामना को पता नहीं था की मिसिज सहगल ने ही उसे स्कुल से निकलवाया था। वह अबोध सी वहां नौकरी करने गई। उसे अपने परिवार को भी पालना था। एक दो दिन के बाद जानबुझ कर मिसिज सहगल ने उसे एक नंबर दे कर के वहां मि.बसंत से बात करवाने को कहा। कामना को पता था की बसंत तो राजा का भाई है। ईसलिए वह ईस बात को ईन्टरकोम पे सुनने से अपने आपको रोक न सकी। मिसिज सहगल फोन पर बसंत को बातों बातों मे अपनी प्रियतमा और स्वाग बदलने के बारे में पुछती है। बसंत कहता है की वह सब ठीक कर देगा। |
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कामना समज जाती है की राजा और बसंत एक ही ईन्सान है। वह सीधी बसंत के ओफिस पहूंच जाती है। बसंत से वह पुछताछ करती है केबिन में रखी ड्राईवर की वर्दी देख कर साबित हो जाता है की बसंत ही राजा है। कामना का दिल तुट जाता है। वह वहां से रोती हुई चली जाती है। बहुत ही कम समय में उस पर बहुत दुख बीता था। पालक पिता का गुजर जाना, नौकरी से बदनामी की वजह से निकाल दिया जाना ऑर अब अपने राजा का यह रुप। |
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मिसिज सहगल की ओफिस एक एसा व्यक्ति आता है, जो मिसिज सहगल को ब्लेक मेईल किया करता था। दरअसल मिसिज सहगल ने उस व्यक्ति से अपने पुर्वपति की हत्या करवाई थी। जिसके कुछ सबुत दिखा कर वय व्यक्ति मिसिज सहगल को ब्लेक मेईल कर रहा था।
कामना को देख कर उस गुंडे की नियत बिगडती है। वह मिसिज सहगल से उस लडकी का सौदा करता है। मिसिज सहगल भी दोनो से छुटकारा ही चाहती थी। वह दोनों एक योजना बनातें है। |
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बसंत कामना के दुख से बहुत दुखी है। उपर से उसका झुठ उजागर होना और कामना का साथ खो देना उसके लिए और भी दुखद हो जाता है। वह अपने टेक्सी ड्राईवर मित्र के घर जा कर अपना दिल हलका करता है। वहां उसने कामना की सहेली से मिल कर उसे सारी सच्चाई बताते है। वह भी सच्चाई जान कर चोंक जाती है। वह कामना को जा कर बहुत समझाती है और बसंत के प्रेम की सच्चाई बयां करती है। कामना मान जाती है, लेकिन उसे मिसिज सहगल ने थोडी देर के लिए घर बुलाया था। उसे वहां जाना पडता है। |
Re: "अकेला बादल" मेरी पसंदीदा नवलकथा - २
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मिसिज सहगल के घर पर कामना को ओफिस की फाईल देखनी होती है। मिसिज सहगल बाह्र चली जाती है। यह एक योजना थी। मिसिज सहगल के कहने पर वह गुंडा घर में आ धमकता है। कामना के साथ वह जबरजस्ती करने की कोशिस करता है। मेज पर पिस्तोल ईस तरह रखी हुई थी की वह कामना के हाथ में आ गई और कामना गोली चला देती है। वह गुंडा वही ढेर हो जाता है। उसी वक्त मिसिज सहगल आ धमकती है और पुलिस बुलवा कर कामना को पकडवा देती है। |
Re: "अकेला बादल" मेरी पसंदीदा नवलकथा - २
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अदालत में मिसिज सहगल कहती है की कामना के संबंध पहले से ही उस गुंडे के साथ थे। बसंत उलझन में पड जाता है। कामना से कस्टडी में ईस के बारे में पुछने पर कामना झुंझला जाती है। उसे बेहद दुख होता है। लेकिन अब बसंत को मिसिज सहगल पर शक होने लगता है। ------------- दुसरी सुनवाई में कामना की पालक मां का सामना मिसिज सहगल से हो जाता है। वह तैश में ही मिसिज सहगल को सच्चाई बताती है....कि जिस को वह बदनाम कर के जेल में भीजवाया है वह कामना असल में उसी की बेटी है। मिसिज सहगल पछतावे में डुब जाती है। उसे यह एहसास होता है की उसने कितना बडा गुनाह किया है। आखिरकार वह अपना बयान जज को सुनाती है कि कैसे उसने कामना को बुलाया, गुंडे को भेजा और भरी हई बंदुक को मेज़ पर रखा था। अदालत मिसिज सहगल को सजा सुनाती है |
Re: "अकेला बादल" मेरी पसंदीदा नवलकथा - २
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कामना और उसकी असली मां मिसिज सहगल एक दुसरे को गले मिलते है। सारे शिकवे-गीले भुला दिए जाते है। कामना और बसंत अपनी कार में निकल जाते है,..आगे थी जीवन की लंबी राहें! |
Re: "अकेला बादल" मेरी पसंदीदा नवलकथा - २
मेरी दोनों नोवलकथा के बारे में यहां फोरम पर शेयर कर के मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। पता नहीं मैने कथा साथ साथ उसके अंत बता कर उचित किया है या नहीं । आशा है की मित्रों को यह कहानीयां अच्छी लगेंगी। जल्द ही नोवेल के कवर और बहेतरीन पृष्ठ पोस्ट करने का प्रयत्न करुंगा।
अस्तु। |
Re: "अकेला बादल" मेरी पसंदीदा नवलकथा - २
और जैसे की वादा किया था...ईस नोवेल के कुछ पन्ने पोस्ट किए है। धन्यवाद।
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