मेरी कलम से.....
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कभी-कभी सोचती हूँ कि क्यों चाहती हूँ तुम्हें? तुम मेरे "हमसफर" हो इसलिये या मेरे हमसफर "तुम" हो इसलिये..... http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1429381739 |
Re: मेरी कलम से.....
Jabardast hai.
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Re: मेरी कलम से.....
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खुद जल के कर सकूँ तुम्हें रौशन तुम्हारे दिये की बाती होना चाहती हूँ तुम्हारी सुगन्ध के झोखों में बह सकूँ पेड से टूटी वो पाती होना चाहती हूँ तुम्हारे साँचे में ढल कर बन जाऊँ तुम्हारे जैसी बढा सकूँ तुम्हारी वो ख्याति होना चाहती हूँ तुम्हारे दिये की बाती होना चाहती हूँ http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1429553197 |
Re: मेरी कलम से.....
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Re: मेरी कलम से.....
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आप दोनों का बहुत बहुत धन्यवाद .....मुझे नहीं पता कि वास्तव में मैंने अच्छा लिखा है या नहीं पर आप लोगों से मिली प्रेरणा का ही असर है कि मैंने कविता लिखने का प्रयास किया ......वरना आप भी जानते ही हैं कि कोशिश और इच्छा तो बहुत समय से थी पर इतनी योग्यता नहीं थी..... |
Re: मेरी कलम से.....
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Re: मेरी कलम से.....
मुझे पता था कि आपकी वापसी ज़रूर होगी और आप निःसन्देह रूप से कविता लिखना सीखने का ही प्रयत्न कर रही होंगी, क्योंकि आपको पता ही है कि आपको कविता लिखना न आने के कारण मुझे बहुत सदमा पहुँचा था! किन्तु अफ़सोस, आपको कविता लिखना अब आ गया है, किन्तु मेरा सदमा कम होने की जगह अब दोगुना हो गया है. कारण- आपकी कविता वर्ष १९५९ में लोकार्पित हिन्दी फ़ीचर फिल्म 'धूल का फूल' के गीत 'तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ... वफ़ा कर रहा हूँ, वफ़ा चाहता हूँ...' की धुन पर है. दिया और बाती वाला कॉन्सेप्ट मुझे पसन्द है, मगर बाती बनने से क्या होगा? दीपक में रौशनी ही कितनी होती है? पेट्रोमैक्स का फिलामेंट बनने का उदाहरण कविता में दिया जाता तो कितना अच्छा लगता? कितनी रोशनी होती और सारे संसार में प्रकाश छा जाता। चलिए कोई बात नहीं, आपकी कोशिश अच्छी है, प्रसंशनीय है. अब इस गीत के धुन पर कोई कविता लिखने का प्रयत्न करिए- 'हँस-हँस कर सहेंगे गम, ये प्यार न होगा कम, सनम तेरी क़सम.'
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Re: मेरी कलम से.....
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बहुत बहुत अछि तरह आपने ये पहली कविता लिखी है पवित्रा जी एइसे ही प्रयास जारी रखियेगा लिखना न छोड़ियेगा देखना कितना सुन्दर आप आगे भी लिखोगे आपकी पहली कविता इतनी अछि है तो आगे तो आप बहुत अच्छा लिख सकते हो बहुत बहुत अभिनन्दन इस कविता के लिए हमे इंतजार रहेगा आपकी दूसरी कविता का ...धन्यवाद और ढेर सारी बधाइयाँ स्वीकार कीजियेगा अपनी इस नवीन रचना के लिए . |
Re: मेरी कलम से.....
उत्साहवर्धन के लिये आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद....... :)
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Re: मेरी कलम से.....
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क्या फर्क पडता है कि किस-किस की नजर तुम पर है , मुझे तो बस परवाह है कि तुम्हारी निगाहों में कौन बसता है .... http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1430648090 |
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