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rajnish manga 02-03-2015 10:42 PM

पता नहीं बेटा
 
पता नहीं बेटा

जब मैं छोटा था (यह सन 62-63 की बात है), हमारे घर में हिंदी का एक साप्ताहिक अखबार 'ब्लिट्ज़' आया करता था. काफी समय तक यह अखबार चलता रहा जो बाद में छपना बन्द हो गया. ब्लिट्ज़ और उसके सम्पादक आर.के.करंजिया दोनों ही अपने विशेष तेवरों के कारण मशहूर थे. यह अखबार तीन भाषाओं - इंग्लिश, हिंदी और उर्दू में छपता था. तीनों संस्करणों में एक 'पॉकेट कार्टून' छपता था जिसमें तत्कालीन घटनाओं पर 2-3 छोटे छोटे मजेदार डायलॉग होते थे. हिंदी में इसका नाम था - पता नहीं बेटा. उसी की तर्ज़ पर यह सूत्र आरम्भ किया जा रहा है. आशा है आपको पसंद आएगा.

rajnish manga 02-03-2015 10:47 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पता नहीं बेटा

पिता जी!
हाँ, बेटा?
क्या बिहार के अच्छे दिन आने वाले हैं?
कैसे बेटा?
नितीश कुमार फिर से जो बिहार के मुख्यमंत्री बन गए हैं.
हाँ, यह सत्य है, बेटा!
लेकिन मेरा विचार कुछ और है, पिता जी.
वह क्या, बेटा?
बिहार का तो पता नहीं. हाँ, नितीश जी के अच्छे दिन ज़रूर आ गए हैं.
पता नहीं, बेटा !!



rajnish manga 02-03-2015 10:55 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पता नहीं बेटा

पिता जी!
हाँ, बेटा?
प्रधान मंत्री मोदी और मुफ्ती मोहम्मद सईद पहले दिल्ली में और फिर श्रीनगर में गले मिले.
हाँ, मिले तो थे बेटा!!
और जम्मू - कश्मीर में नई सरकार ने कार्यभार सम्हाल लिया है.
हाँ, बेटा. तुम ठीक कहते हो.
पहली बार वहाँ पीडीपी - बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार बनी है.
हाँ, यह उत्साहवर्धक समाचार है, बेटा.
पहले दिन ही मुख्यमंत्री सईद ने विवादास्पद बयान दे दिया.
(मुख्यमंत्री ने जम्मू कश्मीर के शांतिपूर्ण चुनावों के लिए हुर्रियत समेत पाक को श्रेय दिया है)
यह उनकी मजबूरी थी, बेटा.
और दूसरे दिन भी उनकी पार्टी के विधायकों ने विवादित बयान दिए.
(उन्होंने संसद पर आतंकवादी हमले के दोषी ज़िम्मेदार अफज़ल गुरु के विषय में बयान दिया है)
हाँ, बेटा यह उनका व्यक्तिगत विचार था.
क्या यह न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत किया गया??
पता नहीं, बेटा.

rajnish manga 02-03-2015 10:58 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पता नहीं बेटा

पिता जी!
हाँ, बेटा ?
प्रधानमंत्री ने आज ऐतिहासिक कदम उठाया!
वह क्या बेटा?
उन्होंने आज संसद की कैंटीन में आकर खाना खाया!
यह उनकी सादगी का प्रमाण है, बेटा.
वहां उन्होंने 29 रूपए के बिल का भुगतान भी किया.
हां, बेटा. 10 रू. का सूप, 18 रू. का खाना और 1 रू. का सलाद. यानी कुल 29 रू.
क्या हम भी वहाँ जा कर खाना खा सकते हैं, पिता जी ??
पता नहीं बेटा!

rajnish manga 03-03-2015 09:37 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पता नहीं बेटा

पिता जी!
हाँ, बेटा ?
साधु संतों और साध्वियों का क्या काम होता है पिता जी?
वे सबको मानवता व प्रेम का सन्देश देते हैं और लोगों को जोड़ने का काम करते हैं, बेटा.
तो फिर वो ऐसे वैसे बयान क्यों देते हैं??
कैसे बयान, बेटा?
कोई कहता है हर हिंदु दंपत्ति को चार बच्चे पैदा करने चाहियें, कोई कहता है 10 पैदा करो.
यह उनका अपना विचार है बेटा, देश स्वतंत्र है.
साध्वी प्रज्ञा ने एक और विवादास्पद बयान दिया है.
वह क्या बेटा?
उन्होंने कहा है की सभी बच्चों को अपने कमरों में लगाये गए सलमान खान, शाहरुख खान व आमिर खान के पोस्टर उखाड़ कर फेंक देने चाहियें या जला देने चाहियें!!
सुना तो मैंने भी है, बेटा!!
क्या इससे आपसी सद्भाव और भाईचारा बढ़ जाएगा, पिता जी.
पता नहीं, बेटा.

soni pushpa 03-03-2015 10:31 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
सबसे पहले इतना अच्छा सूत्र शुरू करने के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय रजनीश जी ,...कई कटाक्ष के साथ सुन्दर व्यंग से भरी कहानियां हैं सब, जिससे नेताओं के बारे में, गरीबी के बारे में, और साधू संतो के कथन को लेकर अछि चर्चा हो गई. छोटी कहानिया मन को छू जाने वाली हैं .. आपने गागर में सागर वाली कहावत को यहाँ साबित किया है .

Arvind Shah 03-03-2015 10:36 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
मजेदार !! चुंटीली चुटकियां !

rajnish manga 03-03-2015 10:57 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
Quote:

Originally Posted by soni pushpa (Post 548944)
सबसे पहले इतना अच्छा सूत्र शुरू करने के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय रजनीश जी ,...कई कटाक्ष के साथ सुन्दर व्यंग से भरी कहानियां हैं सब, जिससे नेताओं के बारे में, गरीबी के बारे में, और साधू संतो के कथन को लेकर अछि चर्चा हो गई. छोटी कहानिया मन को छू जाने वाली हैं .. आपने गागर में सागर वाली कहावत को यहाँ साबित किया है .

आपको मेरा यह प्रयास पसंद आया, यह जान कर अच्छा लगा. मेरा हौंसला बढाने के लिए आपका धन्यवाद, सोनी जी.

rajnish manga 03-03-2015 11:02 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
Quote:

Originally Posted by arvind shah (Post 548945)
मजेदार !! चुंटीली चुटकियां !


1. आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, अरविंद शाह जी.

2. मित्र भीम द्वारा भी इस सूत्र पर अपनी मोहर लगायी गई, उन्हें भी धन्यवाद कहना चाहता हूँ.

bheem 04-03-2015 10:37 AM

Re: पता नहीं बेटा
 
Very good thread

Deep_ 04-03-2015 04:08 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
हर एक कटाक्ष बहेतरीन है! बहुत ही अच्छी प्रस्तुति...कृपया आगे जारि रखें!

rajnish manga 04-03-2015 09:33 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
Quote:

Originally Posted by bheem (Post 548948)
very good thread

Quote:

Originally Posted by deep_ (Post 548961)
हर एक कटाक्ष बहेतरीन है! बहुत ही अच्छी प्रस्तुति...कृपया आगे जारि रखें!

उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिए आप दोनों महानुभाव का अतिशय धन्यवाद.


rajnish manga 04-03-2015 09:35 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पता नहीं बेटा

पिता जी!
हाँ, बेटा ?
क्या यह सही है की हमारे प्रधानमंत्री के पास एक ऐसा सूट था जिसके कपड़े की धारियों में उनका नाम बुना हुआ था.
हाँ, बेटा. यह कीमती सूट उन्होंने 25 जनवरी के दिन अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा से मुलाक़ात के समय पहना था.
तो उसकी नीलामी क्यों करवा दी?
बेटा, नीलामी से प्राप्त पैसे को गंगा सफाई अभियान पर खर्च किया जाएगा.
लेकिन उस काम के लिए तो पहले से व्यवस्था की गयी है?
सो तो ठीक है, बेटा. परन्तु प्रधानमन्त्री चाहते हैं कि यह पैसा भी इस शुभ काम में लगाया जाये.
ताकि यह अभियान जल्द से जल्द पूरा हो सके??
पता नहीं, बेटा.

rajnish manga 04-03-2015 10:29 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पता नहीं बेटा

पिता जी?
कहो, बेटा!!
कांग्रेस उपप्रधान राहुल गाँधी की छुट्टी के बारे में लोग तरह तरह के प्रश्न उठा रहे हैं?
हाँ, बेटा सुना है वो किसी अज्ञात स्थान पर विचार मंथन कर रहे हैं.
संसद के बजट अधिवेशन के बाद नहीं जा सकते थे?
बेटा, विशेष प्रयोजन हो तो जाना ही पड़ता है.
वो बता कर भी तो जा सकते थे?
बेटा, सार्वजनिक जीवन में काम करने वाले व्यक्तियों को लोग और मीडिया अकेला नहीं रहने देते.
जब वो वापिस आयेगे तो क्या मीडिया वाले उन्हें आराम से बैठने देंगे?
पता नहीं बेटा.

Pavitra 04-03-2015 10:37 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
:bravo: बहुत ही अच्छा सूत्र है रजनीश जी...... :)

rajnish manga 05-03-2015 09:11 AM

Re: पता नहीं बेटा
 
Quote:

Originally Posted by pavitra (Post 549005)
:bravo: बहुत ही अच्छा सूत्र है रजनीश जी...... :)


इस प्रशंसात्मक टिप्पणी हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद, पवित्रा जी.

rajnish manga 24-03-2015 04:44 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पिता जी!
हाँ बेटा?
आज क्रिकेट वर्ल्ड कप सेमीफाइनल मैच में न्यूज़ीलैंड ने साउथ अफ्रीका को हरा दिया!!
हाँ, बेटा. इस रोमांचक जीत के बाद न्यूज़ीलैंड ने 29 मार्च को खेले जाने वाले फाइनल में जगह बना ली है!!
इतने कड़े मुकाबलों के दौर में 26 मार्च को भारत की क्या रणनीति होगी, पिता जी?
क्यों बेटा? भारत अब तक के अपने सारे मैच जीत चुका है!!
क्या ऑस्ट्रेलिया से जीतना भारत के लिए मुश्किल नहीं होगा?
ऐसी कोई बात नहीं है. भारत को मुश्किलों का सामना करने की पुरानी आदत है!!
हरेक जीत के बाद राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने भी तो बधाईयाँ भेज कर टीम का उत्साह बढ़ाया है !!
हाँ, बेटा!! भारत के हरेक न्यूज़चैनल पर रोजाना कई घंटे क्रिकेट परही चर्चा होती है और रणनीति बनाई जाती है !!
तो क्या भारत अपना सेमीफाइनल मैच जीत जायेगा?
हाँ, हाँ, क्यों नहीं!!
पक्का??
पता नहीं, बेटा!!

Deep_ 24-03-2015 09:05 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
ईस सुत्र पर आपने बहूत दिनों बाद आपने अपडेट्स दिए है। लेकिन बढिया है!

soni pushpa 25-03-2015 01:41 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 549743)
पिता जी!
हाँ बेटा?
आज क्रिकेट वर्ल्ड कप सेमीफाइनल मैच में न्यूज़ीलैंड ने साउथ अफ्रीका को हरा दिया!!
हाँ, बेटा. इस रोमांचक जीत के बाद न्यूज़ीलैंड ने 29 मार्च को खेले जाने वाले फाइनल में जगह बना ली है!!
इतने कड़े मुकाबलों के दौर में 26 मार्च को भारत की क्या रणनीति होगी, पिता जी?
क्यों बेटा? भारत अब तक के अपने सारे मैच जीत चुका है!!
क्या ऑस्ट्रेलिया से जीतना भारत के लिए मुश्किल नहीं होगा?
ऐसी कोई बात नहीं है. भारत को मुश्किलों का सामना करने की पुरानी आदत है!!
हरेक जीत के बाद राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने भी तो बधाईयाँ भेज कर टीम का उत्साह बढ़ाया है !!
हाँ, बेटा!! भारत के हरेक न्यूज़चैनल पर रोजाना कई घंटे क्रिकेट परही चर्चा होती है और रणनीति बनाई जाती है !!
तो क्या भारत अपना सेमीफाइनल मैच जीत जायेगा?
हाँ, हाँ, क्यों नहीं!!
पक्का??
पता नहीं, बेटा!!

:laughing:बहुत अच्छा शीर्षक है " पता नहीं बेटा "...
पर फाइनल क्रिकेट मैच(वर्ल्ड cup) अपना इंडिया ही जीतेगा क्यूंकि हम सबकी शुभकामनाएं और हमारे प्लेयर्स की मेहनत अपना रंग दिखाएगी ही.
मेरा भारत महान है

kuki 25-03-2015 02:46 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
बहुत ही बढ़िया सूत्र है रजनीश जी ,इन छोटी -छोटी बातों में कई बड़ी बातें छुपी हैं ,आपका धन्यवाद।

abhisays 27-03-2015 07:36 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
एक बहुत ही शानदार सूत्र शुरू करने के लिए रजनीश जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद. :bravo::bravo:

rajnish manga 27-03-2015 10:24 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
Quote:

Originally Posted by abhisays (Post 549899)
एक बहुत ही शानदार सूत्र शुरू करने के लिए रजनीश जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद. :bravo::bravo:


आपको यह सूत्र पसंद आ रहा है, यह जान कर मुझे प्रसन्नता हुयी. आपका धन्यवाद, अभिषेक जी.



Deep_ 13-06-2015 10:16 AM

Re: पता नहीं बेटा
 
ईस सुत्र में हमें नए अपडेट्स चाहिए...:scratchchin:

rajnish manga 13-06-2015 03:10 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पिता जी!

हाँ बेटा?

बिहार में जनता दलों का परिवार एकजुट हो गया है.

हाँ बेटा, सुना है सभी जनता दल और कांग्रेस मिल कर आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी को टक्कर देंगे. यह उनके लिए करो या मरो का सवाल बन गया है.

और लालू जी ने कहा है कि बीजेपी को हराने के लिये वह ज़हर तक पीने के लिए तैयार हैं.

हाँ बेटा, क्योंकि कई बार दुश्मनों से भी हाथ मिलाना पड़ जाता है. इस बार उन्हें अपनी जीत पर पूरा भरोसा है.

लेकिन यदि उनके मोर्चे को विधानसभा चुनाव में शिकस्त का सामना करना पड़ा तो उस हालत में लालू जी क्या पियेंगे, पिता जी?

पता नहीं बेटा!!


rajnish manga 13-06-2015 03:45 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पिता जी!

हाँ बेटा?

दिल्ली में सरकार किसकी है?

"आप" पार्टी की, बेटा! यह तो सभी जानते हैं.

लेकिन पिता जी, दिल्ली के सी.एम. कहते हैं कि बीजेपी की केन्द्र सरकार एल.जी. के माध्यम से दिल्ली की सरकार चला रही है और चुने हुए लोगों को कोई पूछता ही नहीं है.

दिल्ली सरकार के कानून मंत्री तोमर इस पर चर्चा कर रहे थे, बेटा.

लेकिन वो तो आजकल स्वयं दिल्ली से भागलपुर तक चर्चित हो रहें हैं, पिता जी.

सुना है, दोनों पक्षों के अनुरोध पर भारत के कानून विशेषज्ञ इस मसले पर अलग अलग खेमों में बैठ कर चिंतन कर रहे हैं, बेटा.

पिता जी, क्या यह पूरा मामला उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ को नहीं सौंप दिया जाना चाहिये?

पता नहीं, बेटा!

manishsqrt 13-06-2015 05:08 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
aapne kafi rachnatmak shuruat ki hai, vyang ki ye nai shailey kafi rochak hai aasha karta hu baki pathak aur swayam mai isme aur pragati karunga.

Deep_ 13-06-2015 05:26 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
:bravo::bravo:

rajnish manga 13-06-2015 08:01 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
Quote:

Originally Posted by manishsqrt (Post 552169)
aapne kafi rachnatmak shuruat ki hai, vyang ki ye nai shailey kafi rochak hai aasha karta hu baki pathak aur swayam mai isme aur pragati karunga.

Quote:

Originally Posted by deep_ (Post 552172)
:bravo::bravo:



बहुत बहुत धन्यवाद, मित्रो. सूत्र पर आपका हार्दिक स्वागत है.

rajnish manga 17-06-2015 06:31 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पिता जी!

हाँ, बेटा?

क्या मानवीय आधार पर किसी की मदद करना गलत है?

नहीं, बेटा!

तो फिर सुषमा आंटी ने जब मानवीय आधार पर ललित मोदी की मदद की तो इतना बावेला क्यों मचाया जा रहा है जबकि उनकी पार्टी उन्हें निर्दोष मानती है?

बेटा, ललित मोदी पर आईपीएल क्रिकेट को ले कर आर्थिक अनियमितताओं के गंभीर आरोप हैं और पिछले पांच वर्षों से इनकम टैक्स विभाग का एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट उन्हें पूछताछ के निमित्त पेश होने के लिए नोटिस पर नोटिस जारी कर रहा है, लेकिन वो पिछले पांच वर्ष से इंग्लैंड में रह रहे हैं और भारत आ कर सहयोग नहीं कर रहे. भारतीय विदेश मंत्री द्वारा ऐसे व्यक्ति की मदद करना प्रश्नों के घेरे में है.

ललित मोदी की मदद करने वालों में कई और लोगों के नाम भी सामने आये हैं. इन लोगों पर क्या एक्शन लिया जाएगा, पिता जी?

पता नहीं, बेटा!

rajnish manga 28-06-2015 07:55 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पता नहीं बेटा

पिता जी!

हाँ, बेटा?

मानसून देश के कई इलाकों में पहुँच गया है. देश के बहुत से इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन गई है.
सो तो है, बेटा!

अभी तो यह शुरूआत है, पिता जी. पूरे मानसून में क्या होगा? सरकार कुछ करती क्यों नहीं?

सरकार तो, बेटा, आज़ादी के बाद से ही जी तोड़ कोशिशें कर रही है. लेकिन ऊपर वाले के आगे इनका जोर नहीं चलता.

पिता जी! जो भी समस्या नियंत्रण से बाहर हो जाती है, उसके बारे में नेता लोग यह कह देते हैं कि उपर वाले के आगे सब बेबस हैं.

प्राकृतिक आपदा हद से बाहर चली जाये तो ऐसा ही कहा जाता है, बेटा?

लेकिन हमारे यहाँ तो हर आपदा शुरूआत में ही हद से बाहर हो जाती है, जैसे मुंबई में मानसून की पहली बारिश के साथ ही ट्रैफिक जाम, जल भराव, लोकल ट्रेन बंद, स्कूल बंद, बिजली का करंट लगने से मौतें, जन-जीवन अस्त-व्यस्त आदि परेशानियाँ शुरू हो जाती हैं.

हर शहर में यही दृश्य दिखाई देता है, बेटा!

जब सरकारें कुछ कर ही नहीं सकतीं तो सरकारों की जरुरत क्या है, पिता जी???

पता नहीं, बेटा !!!

Deep_ 28-06-2015 08:29 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 552610)
पता नहीं बेटा
जब सरकारें कुछ कर ही नहीं सकतीं तो सरकारों की जरुरत क्या है, पिता जी???

:bravo:
दुखती रग पर चोट कर दी रजनीश जी!

Dr.Shree Vijay 28-06-2015 10:17 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 552610)
पता नहीं बेटा


इस सुंदर से सूत्र ने बचपन की यादेँ ताजातरीन करदी.........


rajnish manga 29-06-2015 08:11 AM

Re: पता नहीं बेटा
 
Quote:

Originally Posted by deep_ (Post 552616)
:bravo:
दुखती रग पर चोट कर दी रजनीश जी!

Quote:

Originally Posted by dr.shree vijay (Post 552628)
इस सुंदर से सूत्र ने बचपन की यादेँ ताजातरीन करदी.........


आपकी सुंदर टिप्पणियों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, दीप जी व डॉ श्री विजय जी.

rajnish manga 29-06-2015 10:28 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पता नहीं बेटा

पिता जी!

हाँ, बेटा?

तिहाड़ (जेल) को तो सुरक्षा की दृष्टि से भारत की सबसे मजबूत जेल माना जाता है न?

हाँ, बेटा! यही वजह है कि कुख्यात से कुख्यात अपराधी भी तिहाड़ के नाम से घबराते हैं.

मगर, पिता जी? अगर वहाँ इतनी अधिक सुरक्षा है तो वहाँ चोरी छुपे मोबाइल फोन या ड्रग्स कैसे पहुँच जाते हैं?

इसमें तो, बेटा ! अंदर वालों की ही मिलीभगत हो सकती है !! कुछ कर्मचारी पैसों के लालच में अपना ज़मीर तक बेचने को तैयार रहते हैं.

पिता जी, हद तो यह हुई कि दो कैदी इसी तिहाड़ जेल की मजबूत दीवारों को फांद कर निकल भागने में सफल हो गये. यह तो गनीमत हुयी कि एक कैदी बाहरी दिवार से लगे नाले में गिर गया और पकड़ा गया. दूसरा अभी लापता है. इसकी चार दीवारों में से तीन तो 13 फुट ऊँची और बाहरी दीवार 16 फुट ऊँची है. बताया जाता है कि उन्होंने एक सुरंग भी बनाई थी. वे वाच टावर के संतरियों की नज़र से बचने में भी सफल रहे.

हाँ, बेटा! यह तो बड़ी चिंता का विषय है. दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल दोनों ने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं. केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने भी रिपोर्ट तलब की है.

क्या जाँचकर्ता अधिकारी सुरक्षा में हुई इस भयंकर चूक व कोताही की तह तक पहुँच पायेंगे? क्या सभी दोषियों को कानून द्वारा दंडित किया जायेगा? क्या बड़े अधिकारी भी जिम्मेदार ठहराये जायेंगे? क्या नैतिक आधार पर सम्बंधित मंत्री को इस्तीफ़ा नहीं देना चाहिये??

पता नहीं, बेटा!!!


Dr.Shree Vijay 29-06-2015 10:58 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 552669)
पता नहीं बेटा

क्या जाँचकर्ता अधिकारी सुरक्षा में हुई इस भयंकर चूक व कोताही की तह तक पहुँच पायेंगे? क्या सभी दोषियों को कानून द्वारा दंडित किया जायेगा? क्या बड़े अधिकारी भी जिम्मेदार ठहराये जायेंगे? क्या नैतिक आधार पर सम्बंधित मंत्री को इस्तीफ़ा नहीं देना चाहिये??

पता नहीं, बेटा!!!


नग्न सत्य !


rajnish manga 01-07-2015 12:29 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पिता जी!

हाँ, बेटा?

आज मैंने एक कहानी लिखी है.

वाह ..... बेटा ! तुमने तो कमाल कर दिया ! .... पढ़ कर सुनाओ ...

पिता जी, कहानी इस कागज़ पर लिखी है. आप खुद पढ़ लें....

लाओ .... बेटा .... इधर दो ....

फिर पिता जी कहानी पढ़ने में मशगूल हो गये जो नीचे दी जा रही है -

दिल्ली की जनता परेशान थी. एक दिन हार कर उसने विशेषज्ञ डाक्टर से सलाह लेने का निश्चय किया. उसने डॉ संविधान स्वरूप को फोन कर मिलने का समय लिया. निश्चित समय पर दिल्ली की जनता डॉ साहब के नर्सिंग होम में जा पहुंची. डॉ साहब visit निबटा कर अभी लौटे थे. दोनों की बातचीत कुछ इस प्रकार चली-

“डॉ साहब, नमस्कार. हम दिल्ली की जनता हैं. हमारा आज का अपॉइंटमेंट था.”

“ओ .... हाँ ... हाँ. लेकिन क्या आप सभी को एक ही बिमारी है.”

“हाँ डॉक्टर साहब ! हम ‘आल इन वन’ हैं.”

“बताइये .... ?”

“हमारी बीमारी “सीएम छोटे पापा” और “एलजी बड़े पापा” से जुड़ी है. दोनों ही हमारे भारी शुभचिन्तक हैं और दोनों ही हमारी सेवा करने को कृत-संकल्प हैं. होता यह है कि आजकल हर आदेश डुप्लीकेट में निकलता है- एक सीएम ऑफिस से और दूसरा एलजी ऑफिस से. मुख्य सचिव की नियुक्ति करनी है तो दो-दो नाम सामने आ जायेंगे. एंटी-करप्शन-ब्यूरो के चीफ की नियुक्ति होनी है तो दो-दो चीफ दफ्तर सम्हाल लेंगे. छोटे पापा और बड़े पापा दोनों एक-दूसरे को कानून की किताबें दिखाते रहते हैं. इसका परिणाम यह हुआ है कि प्रशासन जैसी कोई चीज नहीं रह गयी. सारी व्यवस्था ठप पड़ी है. हम बेहाल हैं साहब.”

“ऐसा कब से है?”

“जब से नई सरकार सत्ता में आयी है, हुजूर !!”

“उससे पहले कैसे काम चलता था?”

“उससे पहले तो एक आंटी थीं, जो दंगल हारने के बाद जंगल में चली गयीं.”

“क्या उस समय भी ऐसी समस्या थी?”

“नहीं, जनाब! पिछले तीस साल में कभी ऐसा नहीं हुआ, चाहे सरकार किसी पार्टी की रही हो.”

“क्या अन्य राज्यों में भी ऐसा देखने में आया है?”

“नहीं, डॉक्टर साहब. कभी सुना नहीं.”

“इसका मतलब है, यहाँ सत्ता के दो-दो केन्द्र बन गए हैं. दोनों में संवादहीनता की स्थिति है. जब-जब एक ही स्थान पर सत्ता के दोहरे केन्द्र स्थापित होते हैं, तब-तब अव्यवस्था फैलती है. निर्णय प्रक्रिया सुस्त पड़ जाती है.”

“हाँ, डॉक्टर साहब, यही लगता है. परन्तु, इसका इलाज क्या है?”

“समस्या गंभीर है. आप अभी अपने घर जाओ. मैं अपने ऑपरेशन थिएटर में जा कर पहले तो “संघर्ष” और फिर “एक fool दो माली” की सीडी लगाता हूँ, उसके बाद फ्रायडवाद का डेटाबेस चैक करूँगा. मानसिक बिमारी भी हो सकती है. विचित्र समस्या का समाधान भी तो विचित्र होगा. जैसा भी होगा आपको बाद में सूचित करूँगा.”

“आपकी फ़ीस?”

“समाधान मिलने पर ले लूँगा.”

इतना कह कर डॉक्टर संविधान स्वरूप अंदर चले गये और हताश जनता बाहर आ गयी.

rajnish manga 11-07-2015 07:58 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पता नहीं बेटा

पिता जी!

हाँ, बेटा?

आजकल इफ़्तार पार्टियों की बहुत चर्चा है, पिता जी?

हाँ, बेटा! यह हमारे देश की गंगा-जमुनी संस्कृति की प्रतीक के रूप में जानी जाती हैं. दिन भर के रोज़े के बाद खाने की दावत को इफ़्तार की संज्ञा दी जाती है. जब रमज़ान के पवित्र माह में रोज़ा रखने वाले अपने मुस्लिम भाइयों के सम्मान में रोज़ा समाप्ति के बाद हमारे हिंदु भाई दावत का आयोजन करते हैं तो इससे आपसी भाई-चारे को बढ़ावा मिलता है. आजकल राजनैतिक हलकों में इनका चलन अधिक हो गया है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने 13 जुलाई को इफ़्तार की जो पार्टी आयोजित की है, उसमे उन्होंने लालू यादव को भी निमंत्रित किया था, लेकिन लालू जी उस दिन पटना में अपनी अलग इफ़्तार पार्टी रख रहे हैं. इस बात को ले कर भी कई प्रकार की अटकलें लगाई जा रही हैं.

नहीं, बेटा! यह तो महज़ एक इत्तफ़ाक है, इससे अधिक कुछ नहीं.

कहीं ऐसा तो नहीं कि लालूजी 13 के अंक से विचलित हो गए हों, पिता जी ?

पता नहीं, बेटा!!

rajnish manga 13-09-2015 10:08 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पता नहीं बेटा

पिता जी!

हाँ, बेटा?

आजकल समाचार चेनलों पर खूब गरमागरम बहसें और डिबेट दिखाए जा रहे हैं. आज तो एक चैनल पर लाइव बहस के दौरान दो मेहमानों के बीच हाथापाई और थप्पड़बाजी शुरू हो गई. ऐसी नौबत क्यों आई, पिता जी?

बेटा, चैनलों द्वारा बहस ले लिये अलग अलग क्षेत्र से ऐसे लोगों को बुलाया जाता है जो मुद्दे की अच्छी जानकारी और पकड़ रखते हैं. लेकिन कभी कभी बहस के दौरान वे भावनाओं में बह कर अपना आपा खो बैठते हैं. यही कारण है कि कई बार तो बहुत से मेहमान दूसरे मेहमान को चुप कराने की कोशिश करते हैं या एक साथ बोलने लगते हैं और ऐसे में किसी की बात भी पल्ले नहीं पड़ती. आज तो हद ही हो गई. हिंदु धर्म से जुड़े मेहमानों में जिसमे से एक हिंदु महासभा (ओ) के कर्ताधर्ता ओम जी और महिला धर्मगुरु दीपा शर्मा जी व ज्योतिषाचार्य वी. राखी जी के बीच चलती बहस में पहले तो गाली गलौच शुरू हुआ जो बाद में पहले वर्णित दो मेहमानों (ओम जी व दीपा शर्मा जी) के बीच हाथापाई पर पहुँच गया व थप्पड़बाजी भी होने लगी. बहस में राधे माँ के कार्यक्रमों की चर्चा पर गरमा गरमी हुई.

चैनल वालों ने इस बारे में खेद व्यक्त किया है और लिखा है कि हम ऐसी घटना की भर्त्सना करते हैं. वे चाहते हैं कि सामाजिक मुद्दों पर सार्थक बहस हो लेकिन मेहमानों को मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए.

तो पिता जी, सिर्फ ऐसे लोगों को ही क्यों न बहस में बुलाया जाये जो कभी उग्र रूप में न देखे गए हों? या जिनके पास अच्छे व्यवहार का प्रमाणपत्र हो?

बेटा, चैनल वाले तो कहते हैं कि ये मेहमान पहले भी उनके कार्यक्रमों की शोभा बढ़ा चुके हैं. लेकिन पहले कभी ऐसी बात नहीं हुई.

पिता जी, मैं इन सभी समाचार चैनलों को एक सुझाव देना चाहता हूँ ताकि ऐसी शर्मनाक घटनाएं भविष्य में न हों.

कैसा सुझाव, बेटा?

पिता जी, बहस के दौरान हर मेहमान को अलग अलग पिंजरे में पूरी सुख-सुविधा तथा सम्मान के साथ बिठाया जाये ताकि आपस में भिडंत की नौबत ही न पैदा हो. यह कैसा रहेगा, पिता जी?

पता नहीं, बेटा.



soni pushpa 14-09-2015 01:03 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
[QUOTE=rajnish manga;554700]पता नहीं बेटा

पिता जी![size=3]

[font=&quot]हाँ, बेटा?

[font=courier new]आजकल समाचार चेनलों पर खूब गरमागरम बहसें और डिबेट दिखाए जा रहे हैं. आज तो एक चैनल पर लाइव बहस के दौरान दो मेहमानों के बीच हाथापाई और थप्पड़बाजी शुरू हो गई. ऐसी नौबत क्यों आई, पिता जी?

बेटा, चैनलों द्वारा बहस ले लिये अलग अलग क्षेत्र से ऐसे लोगों को बुलाया जाता है जो मुद्दे की अच्छी जानकारी और पकड़ रखते हैं. लेकिन कभी कभी बहस के दौरान वे भावनाओं में बह कर अपना आपा खो बैठते हैं. यही कारण है कि कई बार तो बहुत से मेहमान दूसरे मेहमान को चुप कराने की कोशिश करते हैं या एक साथ बोलने लगते हैं और ऐसे में किसी की बात भी पल्ले नहीं पड़ती. आज तो हद ही हो गई. हिंदु धर्म से जुड़े मेहमानों में जिसमे से एक हिंदु महासभा (ओ) के कर्ताधर्ता ओम जी और महिला धर्मगुरु दीपा शर्मा जी व ज्योतिषाचार्य वी. राखी जी के बीच चलती बहस में पहले तो गाली गलौच शुरू हुआ जो बाद में पहले वर्णित दो मेहमानों (ओम जी व दीपा शर्मा जी) के बीच हाथापाई पर पहुँच गया व थप्पड़बाजी भी होने लगी. बहस में राधे माँ के कार्यक्रमों की चर्चा पर गरमा गरमी हुई.

चैनल वालों ने इस बारे में खेद व्यक्त किया है और लिखा है कि हम ऐसी घटना की भर्त्सना करते हैं. वे चाहते हैं कि सामाजिक मुद्दों पर सार्थक बहस हो लेकिन मेहमानों को मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए.

तो पिता जी, सिर्फ ऐसे लोगों को ही क्यों न बहस में बुलाया जाये जो कभी उग्र रूप में न देखे गए हों? या जिनके पास अच्छे व्यवहार का प्रमाणपत्र हो?

बेटा, चैनल वाले तो कहते हैं कि ये मेहमान पहले भी उनके कार्यक्रमों की शोभा बढ़ा चुके हैं. लेकिन पहले कभी ऐसी बात नहीं हुई.

पिता जी, मैं इन सभी समाचार चैनलों को एक सुझाव देना चाहता हूँ ताकि ऐसी शर्मनाक घटनाएं भविष्य में न हों.

कैसा सुझाव, बेटा?

पिता जी, बहस के दौरान हर मेहमान को अलग अलग पिंजरे में पूरी सुख-सुविधा तथा सम्मान के साथ बिठाया जाये ताकि आपस में भिडंत की नौबत ही न पैदा हो. यह कैसा रहेगा, पिता जी?

पता नहीं, बेटा.





कटाक्ष के साथ साथ सही सुझाव, " पता नहीं बेटा" में बहुत सही बाते लिखीं है आपने भाई ..

rajnish manga 30-10-2015 05:00 PM

Re: पता नहीं बेटा
 
पता नहीं बेटा

> पिता जी!
> हाँ, बेटा?
> पिता जी, आजकल बिहार के चुनाव में बड़े बड़े नेता फिल्मों के उदाहरण देने लगे हैं.
> हाँ बेटा, कई बार अच्छी फिल्मों से छोटे बड़े व्यक्तियों को गहरी प्रेरणा मिलती है. तुम किस फिल्म का ज़िक्र कर रहे हो?
> “थ्री इडियट्स”
> ज़रा इसका खुलासा करो.
> पिता जी, बिहार के सीएम नितीश कुमार ने एक जनसभा में इस फिल्म के एक गीत की मजेदार पैरोडी प्रस्तुत की. कुछ इसके बोल कुछ कुछ ऐसे थे:
गुजरात से आया था वो
कालाधन वापिस लाने वाला था
कहाँ गया
उसे ढूँढो!
इसके प्रत्युत्तर में एक अन्य जनसभा में प्रधानमन्त्री मोदी ने भी चुटकी ली.
> वह क्या, बेटा?
> पिता जी! उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि नितीश जी आजकल “थ्री इडियट्स” के बारे में ही सोचते हैं और उनके अनुसार ही काम करते है. उनका इशारा महागठबंधन के तीन प्रमुख घटकों की ओर था.
> हाँ बेटा, प्रभावशाली भाषण देने में उनका कोई जवाब नहीं है.
> लेकिन पिता जी! यह जरुरी तो नहीं कि जिस भाषा का प्रयोग विरोधी करते हैं उसी भाषा का इस्तेमाल प्रधानमंत्री भी करें?
> बेटा! युद्ध और प्यार में सब वाजिब है. भारत में यह बात चुनाव के सन्दर्भ में पूरी तरह लागू होती है. दूसरे, जनसभा में दूर दूर से जो लोग आते हैं, उनका मनोरंजन करना भी तो ज़रूरी है. इसमें छोटे बड़े नेता का कोई भेद नहीं है.
> एक अन्य बात और?
> वह क्या, बेटा?
> बीजेपी के नेता शत्रुघन सिंह को शिकायत है कि बिहारी नेता होने के बावजूद उन्हें बिहार के चुनाव प्रचार से दूर रखा जा रहा है. क्यों?
> बेटा! अंदर की बात तो पता नहीं. इसका उत्तर गडकरी जी ने यह कह कर दिया है कि राजनीति में आने वाले लोग किसी न किसी बात से हमेशा परेशान रहते हैं. टिकट न मिले तो परेशानी. चुनाव जीतने पर मंत्री न बनने की परेशानी. मंत्री बन गए तो मनपसंद विभाग न मिलने की परेशानी आदि आदि.
> लेकिन पिता जी. यदि वह चुनाव प्रचार में उतारे जायेंगे तो किस धड़े की ओर से प्रचार करेंगे?
> पता नहीं, बेटा !!


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