My Hindi Forum

My Hindi Forum (http://myhindiforum.com/index.php)
-   The Lounge (http://myhindiforum.com/forumdisplay.php?f=9)
-   -   अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो ! (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=3572)

Dark Saint Alaick 21-10-2011 11:04 AM

अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
आज भावनाजी द्वारा निर्मित सूत्र 'इनको देख के आप क्या कहेंगे' देख रहा था कि एक चित्र 'चोर बनिए की दुकान' देख कर एक आइडिया क्लिक हुआ ... और उसी का नतीजा है यह सूत्र ! लगभग हर शहर में आपको दुकानों, जगहों, इमारतों और कुछ शख्सियात के इस्मे-शरीफ (शुभ नाम) ऐसे मिल जाएंगे, जो आपको एकबारगी गुदगुदा ही जाते हैं और आप उन्हें ताजिंदगी नहीं भुला पाते ! आप सभी अपने शहर पर ज़रा एक बार फिर इस नज़रिए से नज़र दौड़ाइए और उसे इस सूत्र में प्रस्तुत कीजिए ! मज़ा का मज़ा रहेगा और हम सभी का ज्ञानवर्द्धन होगा, वह अलग ! धन्यवाद !

Dark Saint Alaick 21-10-2011 11:17 AM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
शुरुआत मैं ही करता हूं ! आप कभी जयपुर आए, तो नाहरगढ़ भ्रमण के लिए जाएंगे ही ! नाहरगढ़ रोड पर एक जगह है बून्सली की टूंटी ! यहां ज़रा ठहरें और आबाल-वृद्ध किसी से भी पूछें - भैया / बाबा / बेटी/ बहनजी / माताजी ! यह बूस्या की दुकान किधर है ! आपको ठीक-ठीक उत्तर तुरंत मिल जाएगा ! अब आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि श्रीमान बूस्या हलबाई हैं ! सिर्फ नमकीन बनाते हैं और इनका माल कढ़ाई से उतारते ही हाथों-हाथ बिक जाता है यानी कुछ खरीदने के लिए लाइन भी लगानी होती है ! बूस्या का अर्थ जानते हैं आप ? अर्थ है बुसा हुआ अर्थात बासी ! इनका यह नाम किसने रखा, क्यों रखा - पता नहीं, लेकिन ऐसा नाम होने के बावजूद ऎसी लोकप्रियता आश्चर्यचकित ही करती है !

malethia 21-10-2011 11:29 AM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
Quote:

Originally Posted by dark saint (Post 114519)
शुरुआत मैं ही करता हूं ! आप कभी जयपुर आए, तो नाहरगढ़ भ्रमण के लिए जाएंगे ही ! नाहरगढ़ रोड पर एक जगह है बून्सली की टूंटी ! यहां ज़रा ठहरें और आबाल-वृद्ध किसी से भी पूछें - भैया / बाबा / बेटी/ बहनजी / माताजी ! यह बूस्या की दुकान किधर है ! आपको ठीक-ठीक उत्तर तुरंत मिल जाएगा ! अब आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि श्रीमान बूस्या हलबाई हैं ! सिर्फ नमकीन बनाते हैं और इनका माल कढ़ाई से उतारते ही हाथों-हाथ बिक जाता है यानी कुछ खरीदने के लिए लाइन भी लगानी होती है ! बूस्या का अर्थ जानते हैं आप ? अर्थ है बुसा हुआ अर्थात बासी ! इनका यह नाम किसने रखा, क्यों रखा - पता नहीं, लेकिन ऐसा नाम होने के बावजूद ऎसी लोकप्रियता आश्चर्यचकित ही करती है !

मित्र,कहीं आप हरिश्चंद्र मार्ग वाले हलवाई की बात तो नहीं कर रहे ?
ये तो बिलकुल मेरे पडौस में ही है ............

Dark Saint Alaick 21-10-2011 11:34 AM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
नहीं, बन्धु ! वह कोई और है ! सड़क वही है ! यदि आप मुख्य सड़क पर चांदपोल की ओर मुंह करके खड़े होंगे तो हरिश्चंद्र मार्ग बाईं ओर है, और नाहरगढ़ रोड दाईं तरफ ! इसी पर एक चौराहा है बून्सली की टूंटी !

malethia 21-10-2011 11:40 AM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
वैसे रात को मैं भी पोलो विक्ट्री गया था ,वहां अनायास ही मेरी नजर एक बोर्ड पर पड़ी,और मैं हंसे बिना नही रह सका !
पोलो विक्ट्री के पीछे जमीदार ट्रावेल्स है और उसके ऊपर एक हकीम की दुकान और बगल में बूट की दूकान !
हाकिम जी का बोर्ड काफी बड़ा था जिसमे लिखा था शादी से पहले,ठीक उसके निचे जमीदार ट्रावेल्स ,
बाद में लिखा था शादी के बाद और ठीक उसके निचे शब्द था बूट
यानी शादी से पहले जमीदार ट्रावेल्स और शादी के बाद बूट ........:giggle::giggle::giggle::giggle:

amit_tiwari 21-10-2011 11:40 AM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
कानपुर में भी एक प्रतिष्ठान है ऐसा... काफी सारे लोग परिचित होंगे शायद इस नाम से "ठग्गू के लड्डू" इनकी दूकान पर ही लिखा है "ऐसा कोई सगा नहीं जिसको हमने ठगा नहीं"
इसके अलावा इन्ही की कुल्फी भी बिकती है जिसे "बदनाम कुल्फी" के नाम से बेचते है | कानपुर वासी जानते ही होंगे की अकेली कुल्फी जहां शुद्ध दूध की कुल्फी मिलती है और वो भी तौल में ना की कप और कोन के अनुसार |

malethia 21-10-2011 11:40 AM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
Quote:

Originally Posted by Dark Saint (Post 114525)
नहीं, बन्धु ! वह कोई और है ! सड़क वही है ! यदि आप मुख्य सड़क पर चांदपोल की ओर मुंह करके खड़े होंगे तो हरिश्चंद्र मार्ग बाईं ओर है, और नाहरगढ़ रोड दाईं तरफ ! इसी पर एक चौराहा है बून्सली की टूंटी !

इसे तो देखना पड़ेगा................:giggle::giggle:

amit_tiwari 21-10-2011 11:42 AM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
Quote:

Originally Posted by malethia (Post 114527)
यानी शादी से पहले जमीदार ट्रावेल्स और शादी के बाद बूट ........:giggle::giggle::giggle::giggle:


अच्छा अवलोकन है तारा भाई |
:giggle::giggle::tomato:

arvind 21-10-2011 02:38 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
चलो भाई, मै भी कुछ जानकारी फेक रहा हूँ।

विख्यात नाटककार शेक्सपियर ने भले ही कहा हो कि 'नाम में क्या रखा है' लेकिन झारखण्ड के गिरिडीह जिले में तो नाम में ही सब कुछ रखा है क्योंकि एक शब्द 'बेवकूफ' ने न केवल यहां के कई लोगों की किस्मत चमकाई है बल्कि अब यह शब्द यहां सफलता की गारंटी बनता जा रहा है।

गिरिडीह में कोर्ट रोड पर 20 मीटर के दायरे में छह होटलों के नाम 'बेवकूफ होटल' हैं।कोई बेवकूफ बादशाह है कोई श्री बेवकूफ। या फिर महा बेवकूफ या बेवकूफ नम्बर वन। शहर में कोई अन्य होटल बेवकूफ नाम की होटलों से ज्यादा कारोबार नहीं कर रहा है। हालात ये हैं कि जिस भी होटल का नाम बेबकूफ रखा जाता है वही चल निकलता है।

इन होटलों के यह नाम आमिर खान की फिल्म 3 इडियट बनने से कहीं पहले से हैं। 'थ्री इडियट' ने बेशुमार सफलता प्राप्त की और इडियट शब्द को ही पसंद किया जाने लगा। बेवकूफ शब्द ने कैसे यहां कई लोगों की किस्मत बदली। इस बारे में बताते हुए एक होटल मालिक सुनील अग्रवाल ने कहा, "हमारे होटल का नाम पहले वैष्णवी था लेकिन कारोबार चल नहीं रहा था। जब हमने एक और होटल खोला तब उसका नाम बेवकूफ बादशाह रखा जिसने बेहतरीन कारोबार किया।"

बेवकूफ बादशाह यहां बेवकूफ नाम की होटलों की श्रंखला की सबसे ताजा कड़ी है। इससे पहले कई होटलों के नाम बेवकूफ रखे जा चुके थे। गिरिडीह के ही ग्रामीण इलाकों ईसरी और राजधनवार में दो होटलों के नाम बेवकूफ पर रखे गए। बेवकूफ नाम रखने की यह शुरुआत 1971 से हुई। सबसे पुराने बेवकूफ होटल के मालिक बीरबल प्रसाद हैं।

प्रसाद ने आईएएनएस से कहा, "मेरे चाचा गोपी राम ने एक ढाबा शुरू किया था। यह ढाबा नहीं चला और हम गंभीर आर्थिक संकट में आ गए। तब हमने बेहद सस्ते दामों पर खाना देना शुरू किया इसलिए ग्राहकों ने हमें बेवकूफ कहना शुरू कर दिया। हमें बेवकूफ कहने के बावजूद भी वे हमारे ही होटल पर आते थे।"

उन्होंने कहा, "ग्राहक हमारे होटल को बेवकूफ होटल कहने लगे थे इसलिए जब हमने इस नई जगह पर होटल को स्थानांतरित किया तो इसका नाम बेवकूफ होटल रख दिया।"

बेवकूफ नाम की दूसरी होटल 1993 में खुली। इसके मालिक गोपी राम के भतीजे किरण भडानी हैं। भडानी ने इस होटल का नाम श्री बेवकूफ रखा।

भडानी ने कहा, "चाचा के साथ होटल चलाने के समय मैनें देखा कि किसी और होटल की बिक्री उनके बराबर नहीं है। इसलिए मैनें इस नाम की नकल की। मेरे चाचा इससे खुश नहीं थे लेकिन वह मुझे रोक नहीं सके।" इसके बाद बेवकूफ नाम से होटल खोलने का सिलसिला चल निकला।

arvind 21-10-2011 02:47 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
2 Attachment(s)
जरा कुछ बेवकूफ होटेलों के दीदार भी कर ले -


Dark Saint Alaick 24-10-2011 06:48 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
बन्धु अमित ! आपको चिंतित करने वाला एक समाचार आज ही एक एजेंसी ने ज़ारी किया है ! आपके लिए हाज़िर है !

‘ठग्गू के लडडू’ पर भी पड़ी दीपावली में मंहगाई की मार, दामों में इजाफा


कानपुर । दीपावली पर मिलावटी खोये से बचने और मेवे और सूखे मेवे के दामों में भारी बढ़ोतरी के कारण फिल्म ‘बंटी और बबली’ से मशहूर हुए कानपुर के ठग्गू के लडडू के दामों में बढ़ोतरी हो गयी है और इसके चलते इन मशहूर लड्डुओं का स्वाद लेने के लिए लोगों को अब पहले से अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है। इसी दुकान पर बनने वाली ‘बदनाम कुल्फी’ के दामों में भी इजाफा हुआ है। शहर के बड़े चौराहे के पास स्थित ‘ठग्गू के लड्डू’ की दुकान 1968 में खुली थी। फिल्म अभिनेता अभिषेक बच्चन और अभिनेत्री रानी मुखर्जी भी इसके जायके के प्रशंसक हैं। इन दोनों ने अपनी फिल्म बंटी और बबली की शूटिंग इसी दुकान में की थी। ‘ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं’ स्लोगन से चलने वाले ठग्गू के लड्डुओं पर भी अब दीपावली के त्योहार पर बढ़ती मंहगाई का असर दिखने लगा है और इसके मालिकों ने लड्डू की कीमत में काफी इजाफा किया है। ठग्गू के लडडू ब्रांड नेम का 2002 में पेटेंट कराने वाले दुकान के मालिक प्रकाश पांडेय ने बताया कि लडडुओं में पड़ने वाली हर वस्तु के दामों में इजाफा हो गया है, इसलिए हमें मजबूरन अपने लडडुओं और कुल्फी के दामों में भी बढ़ोतरी करनी पड़ी। काजू, सूजी, खोया, इलाइची और देशी घी वाले सामान्य लड्डुओं की पहले कीमत 240 रूपए प्रति किलो थी, जो अब 270 रूपये हो गई है।
पांडे बताते हैं कि स्पेशल पिस्ता लडडुओं की कीमत पहले 360 रूपये किलो थी, जो अब 390 रूपये प्रति किलो हो गई है। वह कहते हैं कि लडडुओं के दाम बढ़ाना उनकी मजबूरी थी, क्योंकि अगर दाम न बढ़ाते तो गुणवत्ता से समझौता करना पड़ता। वह कहते है कि दाम बढ़ाने का एक बड़ा कारण खोया (मावा) है। दीपावली के अवसर पर बाजार में हर तरफ मिलावटी खोए की भरमार है और वह बाजार में मिलने वाला खोया इस्तेमाल नहीं करते,खुद खोया बनवाते हैं। ठग्गू के लडडू के मालिक प्रकाश पांडे से जब पूछा गया कि क्या दाम बढ़ने से उनके लडडुओं की बिक्री पर कोई असर पड़ा, तो उन्होंने इससे इन्कार कर दिया। वह कहते हैं कि दुकान पर बिकने वाली केसर, खोया और दूध से बनी बादाम कुल्फी के दामों में भी बढ़ोतरी की गयी है। पहले यह कुल्फी 260 रूपए प्रति किलो मिलती थी, लेकिन अब दाम बढ़कर 280 रुपए प्रति किलो हो गये हैं। वह कहते हैं कि दीपावली के अवसर पर ठग्गू के लडडुओं की मांग कानपुर से ज्यादा बाहर होती है। यहां से दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बंगलूरू से लेकर अनेक शहरों तक यह लड्डू जाते हैं। उनका दावा है कि उनकी दुकान में कई विदेशी ग्राहक दुकान का नाम सुनकर आते हैं और फिर इन्हें पैक कराकर इंग्लैड, अमेरिका और यूरोप तक ले जाते है। पांडे दावा करते हैं कि फिल्म अभिनेता अभिषेक बच्चन की ऐश्वर्या राय से शादी के मौके पर वह पचास किलो लडडू लेकर मुंबई गए थे और वहां मेहमानों ने इसका जायका लिया था।

Dark Saint Alaick 24-01-2012 09:41 AM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
मुझे ताज्जुब है कि इतने सारे सदस्य ... उनके इतने सारे शहर और फिर भी विचित्रताओं से भरे इस संसार में किसी को भी अपने शहर में कोई अज़ब - गज़ब चीज़ नज़र नहीं आ रही ?

MrRamgarhia 14-04-2012 03:29 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
Hello all,How are you all,I am MrRamgarhia..

Sikandar_Khan 27-04-2012 08:44 AM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
महाराष्ट्र के नागपुर को हम सभी संतरा नगरी के नाम से जानते हैँ ! लेकिन नागपुर की एक और मशहूर चीज आज मै आपको बताता हूँ |
आप सभी ने "हल्दीराम" का नाम तो सुना ही होगा और इनके प्रोडक्ट का स्वाद चखा भी होगा ! आज के तकरीबन 23 वर्ष पहले नागपुर शहर के भंडारा रोड पर "हल्दीराम भुजियावाला" के नाम से एक फैर्क्टी और शोरूम खोला था ! उस समय वो केवल मिठाई और नमकीन का ही कारोबार करते थे !
आज उनके अनगिनत प्रोडक्ट पूरे विश्व स्तर पर धूम मचाए हुए हैँ ! लेकिन शायद "हल्दीराम भुजियावाला" की मिठाई का स्वाद केवल नागपुर शहरवासियोँ को ही मिल पाता है |

Sikandar_Khan 27-04-2012 08:53 AM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
"हल्दीराम भुजियावाला" के मिठाई के अतिरिक्त और भी प्रोड्क्ट जैसे , समोसा , कचौरी , गुझिया , ढोकला , रसमलाई ,पेठा, आईसक्रीम , दूध , दही , छाछ , ब्रेड , पाव और उनके विभिन्न रेस्टोरेँट मे बनाए जाने वाले व्यंजन का स्वाद केवल आपको नागपुर शहर के अतिरिक्त और कहीँ नही मिल पाएगा |

rajnish manga 09-08-2013 09:43 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
चूरू (राजस्थान) में एक हवेली ऐसी है जो "जलेबी चोरों की हवेली" के नाम से मशहूर है. वहां के किसी भी जानकार व्यक्ति से इसके बारे में पूछा जा सकता है. लेकिन इस नाम के इतिहास के बारे में कोई पुख्ता बात मालूम नहीं हो पाती.

rajnish manga 30-08-2013 01:08 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
1 Attachment(s)
रामपुरा की कुत्ता छत्री
(अंतर-जाल से)


बहुत समय पहले की बात है, रामपुरा में एक भील समाज का व्यक्ति निवास करता था, उसके एक कुत्ता था |दोनो एक दुसरे को बहुत प्यार करते थे | एक बार भील को कुछ पैसो की जरुरत पड़ी तो उसने गांव के सेठ से कुछ समय के लिये उधार लिये , परन्तु समय पर चुका नही पाया | तो भील समाज के व्यक्ति ने अपना कुत्ता बतोर जमानत सेठ को सोप दिया और कहाँ, कि सेठ जी मेरे पास जब पैसे आयेगे तो में आपके पैसे चुका दुगा और अपने कुत्ते को ले जाउगा तब तक के लिये यह कुत्ता आप के पास गिरवी रहेगा | आपके पुरे घर की रखवाली करेगा |

कुछ समय पश्चात एक रात सेठ के घर चोर आये , चोरों के पास भयानक हथियार देख कुत्ता कुछ नही बोला, चोर सेठ का सारा धन लेकर चले गये |कुत्ता सारा वृतान्त देखता रहा और चोरो का पीछा करता रहा , अन्त: चोरो ने जगंल में सुनसान जगह देख सारा धन छिपा दिया | कुत्ता सार नजारा देख दबे पांव वापस सेठ के घर आ गया |

जब सेठ को पता चला की चोरी हो गयी तो सेठ कुत्ते पर बहौत गुस्सा हुवां और कहाँ तेरे मालीक ने तो कहाँ था , कि तु वफादार है लेकिन तु तो किसी काम का नहि | यह सुन कुत्ता सेठ के कपड़े खिचता हुवा सेठ को जगंल लेगया और सेठ को सारा धन दिखाया | वापस मिला धन पाकर सेठ की खुशी का कोई ठिकाना नही था |

सेठ ने कुत्ते से कहा, “जा आज से तेरे मालिक का सारा कर्जा माफ किया, तु वापस अपने मालिक के पास जा सकता है, आज से तू मेरे बन्धन से मुक्त हुआ.” सेठ ने एक तख्ती लिख कर कुत्ते के गले में लटका दी , और कुत्ते को छोड़ दिया , कुत्ता खुशी खुशी अपने मालिक के पास जाने लगा |

उधर कुत्ते का मालिक पैसे की व्यवस्था कर कुत्ते को लेने सेठ के पास आ रहा था कि कुत्ता उसके मालिक को रास्ते में मिल गया | कुत्ता अपने मालिक को देख फूला नही समाया , लेकिन मालिक कुत्ते को देख आग-बबुला हो गया और कुत्ते से कह्ते हुवे इतनी क्या जल्दी थी, पैसो की व्यवस्था कर में तुझे लेने में आ ही रहा था. अब सेठ जी के सामने मैं क्या मुंह लेकर जाउगां; तुने मेरा भरोसा तोड़ दियाऔर आव देखा न ताव कुत्ते पर लाठी का ऐसा प्रहार किया कि कुत्ते ने वहीं अपने प्राण त्याग दिये | ततपश्चात्कुत्ते के मालिक ने कुत्ते के गले में लटकी तख्ती देखी तो उसके पास पश्चाताप के अलावा कुछ नही था |

यह स्थान आज भी यहाँ कुत्ता छत्री के नाम से फेमस है | जो भी व्यक्ति सच्चे मन से यहाँ मनोकामना करता है तो अवश्य पूरी होती है | अगर कोई बांझ महिला , बीमार व्यक्ति , स्टुडेंट , बेरोजगार व्यक्ति , परेशानियो से ग्रस्त मनुष्य सच्चे मन से मनोकामना करते है तो जल्दी से जल्दी पूरी होती है|

rajnish manga 06-12-2015 09:27 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
भड़भूँजा (Gujrat)
(रागिब अहमद के ब्लॉग से)

अफ़ज़लोद्दीन सय्यद जिनेह लोग लाला मियां के नाम से जानतें थे बड़ी बारसुख शख्सियत थी। रियासत गुजरात में उन का दबदबा था। भड़भूँजा उन का वतन था में ने खुद अपनी आँखों से देखा है के जब उनेह सफर करना होता भड़भूँजास्टेशन मास्टर से कह रखते उन के पहुचने तक ट्रैन भड़भूँजा स्टेशन पर रुकी रहती ,गार्ड ,टी सी उनेह फर्स्ट क्लास में बैठाते तब ट्रैन रवाना होती। आदिवासियों में उन का बड़ा अहतराम था ,गाँव के सरपंच थे ,गाँव में निकलना होता लोग बड़ी इज़्ज़त से उन से मिलते ,उन के पैरों पर गिरतें ,वह भी उन के दुःख सुख में बराबर शरीक होतें। खुदा झूट न बुलवाएं झाड फूँक कर लोगों का इलाज करते देखा हूँ। बिछउँ के काटने पर कईं बार दम किया पानी दिया लोगों को आराम होगया। अल्लाह उन की मग़फ़िरत करें।

ख़्वाब था जो कुछ के आँखों ने देखा था, अफ़साना था जो कुछ के सुना था.

(
भड़भूँजा उस व्यक्ति को कहते हैं जो चने, मूंगफली, मक्का भूनने / बेचने का काम करते हैं)

dailybazaar 01-02-2016 01:28 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
I am living in Lucknow and kinda love this city. It is the safest of all cities in the country in terms of earthquakes, terrorism, and other criminal activities. It is very convenient to do shopping as the shops provides products are comparatively cheap rates.

rajnish manga 01-02-2016 07:01 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
Quote:

Originally Posted by dailybazaar (Post 557272)
i am living in lucknow and kinda love this city. It is the safest of all cities in the country in terms of earthquakes, terrorism, and other criminal activities. It is very convenient to do shopping as the shops provides products are comparatively cheap rates.

लखनऊ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि भारत के ऐतिहासिक तथा अत्यंत खूबसूरत नगरों में से एक है. मुझे भी वहाँ जाने और भ्रमण करने का तीन तीन बार सौभाग्य मिला है.

व्यासायिक स्थलों में हज़रतगंज प्रमुख है. रेलवे स्टेशन की इमारतों से ले कर छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा जहाँ भूलभुलैया भी स्थित है. देखने के काबिल हैं. वहाँ की भाषा और तहज़ीब तो जगत प्रसिद्ध है ही. धन्यवाद.


dailybazaar 03-02-2016 12:53 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 557283)
लखनऊ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि भारत के ऐतिहासिक तथा अत्यंत खूबसूरत नगरों में से एक है. मुझे भी वहाँ जाने और भ्रमण करने का तीन तीन बार सौभाग्य मिला है.

व्यासायिक स्थलों में हज़रतगंज प्रमुख है. रेलवे स्टेशन की इमारतों से ले कर छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा जहाँ भूलभुलैया भी स्थित है. देखने के काबिल हैं. वहाँ की भाषा और तहज़ीब तो जगत प्रसिद्ध है ही. धन्यवाद.


Excellent explanation of the beauty of India. I completely agree with you.

rajnish manga 25-11-2017 09:25 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
नमक हराम की हवेली (चांदनी चौक, दिल्ली)


Namak Haram Ki Havel was possessed by Bhawani Shankar, one of the most reliable partners of Jaswant Rao an excellent Maratha enthusiast. Bhawani Shankar later abandoned him and went over to the British side. Thus he was known as a traitor and hence, the unusual name for his haveli.

rajnish manga 26-11-2017 08:42 AM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
नमक हराम की हवेली (चांदनी चौक, दिल्ली)

चांदनी चौक उस सूखे नारियल के समान है जिसे जितना छिलो कुछ नया ही मिलता जाएगा !! घुमक्कड़ी के क्रम में कई फतेहपुरी मस्जिद के पास कई दुकानदारों से पूछने के बाद जब इस हवेली का पता न लगा तो मन निराश होने लगा तभी फतेहपुरी मस्जिद के पास एक सज्जन ने नमक हराम की हवेलीका सही पता ठिकाना दिया !

आप हवेली का नाम पढ़कर अवश्य चौंक गए होंगे न !! जाहिर सी बात है, हवेलियों के नाम उसके मालिक के नाम पर या कोई सुकून बख्स भाव लिए ही होता है !

फतेहपुरी मस्जिद से दायें मुख्य सड़क से पहले कट से जा रही जिस गली से हमें दायें होना था व इतनी संकरी थी कि दिखी ही नहीं ! खैर, वापस आकर उस गली से अन्दर गए कुछ दूर आगे बढे. अब हम 154 - कूचा घासी राम, “ नमक हराम की हवेली के स्थानीय दुकानों से निकलने वाले धुंए के कारण काले पड़ चुके प्रवेश द्वार पर थे. हवेली के मुख्य द्वार के साथ लगे कमरे में मिठाई तैयार की जा रही थी तो तस्वीर में मेरे साथ खड़े सज्जन दौड़कर, स्नेह व आदरपूर्वक एक दोने में कई तरह की मिठाई ले आये.

हवेली के परिवर्तित रूप में हवेली के पुराने निर्माण को इंगित करने में में वहां उपस्थित लोगों ने हमारा पूर्ण सहयोग किया. हवेली के प्रथम तल पर कई किरायेदार हैं और किराया !! वही सत्तर के दशक के आसपास तय.... मात्र 5-10 रूपया !

अब मूल विषय पर आता हूँ. साथियों, मुग़ल काल के अंतिम दौर में मुग़ल स्थापत्य से बनी ये हवेली भवानी शंकर खत्री की थी, भवानी शंकर खत्री और मराठा योद्धा जसवंत राव बहुत अच्छे दोस्त थे और दोनों इंदौर के मराठा महाराजा यशवंत राव होल्कर के यहाँ सेवाएं देते थे, 1776 में जन्मे महाराजा होल्कर की वीरता पर इतिहासकार एन.एस ईमानदार ने उन्हें भारत का नेपोलियन भी कहा है. महाराजा होल्कर ने अंग्रेजों को कई युद्धों में हराया था और एक बार तो 300 अंग्रेज सिपाहियों की नाक काट दी थी. उनकी वीरता व प्रचंडता से भयभीत अंग्रेज उनको परास्त करने के लिए दूसरे राजाओं को अपने पक्ष में कर योजनायें बनांते रहते थे.

11 सितम्बर 1803 को मराठों ने सिंधिया के नेतृत्व में दिल्ली पटपडगंज इलाके में अंग्रेजों और मराठों का द्वितीय युद्ध हुआ. भवानी शंकर ने मराठों से गद्दारी की और अंग्रेजों का साथ दिया, इतिहास में पटपडगंज युद्ध से प्रसिद्ध इस युद्ध में मराठा परास्त हुए और पुरस्कार के तौर पर भवानी शंकर को दिल्ली में जागीर और ये हवेली दी गयी.

जब 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान दिल्ली के नागरिक अंग्रेजों के खिलाफ, बादशाह जफ़र के प्रति अपनी वफादारी जतला रहे थे तब स्थानीय लोगों ने इस हवेली का नाम नमक हराम की हवेली रख दिया जब भी भवानी शंकर गलियों से गुजरता लोग उसे नमक हराम होने का ताना देते .. तंग आकर कारण भवानी शंकर ने ये हवेली बेच दी थी.

ऐतिहासिक स्थान हमें कुछ न कुछ शिक्षा अवश्य देता है. इस हवेली और अन्य ऐतिहासिक दस्तावेजों से आसानी से इस निर्णय पर पहुंचा जा सकता है कि विदेशी आक्रमणकारी अपनी सैन्य शक्ति की अपेक्षा देश में रहने वाले गद्दारों के बल पर भारत को लूटने व यहाँ अपनी बादशाहत कायम रहे..

मैं इतिहासकार नहीं.. सम्बंधित स्थान पर रहने वाले लोगों और अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी को साझा करता हूँ.. उद्देश्य सिर्फ ये होता है कि हम अपने अतीत को जानें - समझें - सीख लें ..


(श्री विजय दियारा के ब्लॉग से साभार)

rajnish manga 04-12-2017 12:51 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
Kutta (Karnataka) कुत्ता (कर्नाटका)

Kutta is a small border town in the Kodagu (Coorg) district of Karnataka. Kutta is a destination that is a mix of forests and plantations in Coorg. A border town between Karnataka and Kerala, Kutta is part of Coorg, nestled deep inside the Western Ghats at the southern end of the coffee country. Yet for the usual visitors to Coorg in monsoons, it rarely fits into their tourist itinerary, leaving it a virtually unexplored territory.

A decade ago, we were driving from Mysore and had decided to take the longer route through the Nagarhole forest to reach Madikeri. Kutta greeted us on the way and we fell so much in love with the pretty nondescript town that we decided not to head any further.


rajnish manga 04-12-2017 12:59 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
Kutta (Karnataka) कुत्ता (कर्नाटका)


http://4.bp.blogspot.com/-r8ANWs_Xjs...meen+Ahmed.jpg
कुत्ता गाँव के नज़दीक राजीव गाँधी (नागराहोल, कर्नाटका) नेशनल पार्क जाने के रास्ते पर लगा बोर्ड

rajnish manga 04-12-2017 01:05 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
Kutta (Karnataka)
कुत्ता (कर्नाटका)


rajnish manga 04-12-2017 01:22 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
चुटिया (रांची, झारखंड)
CHUTIA (Ranchi, Jharkhand)


rajnish manga 04-12-2017 01:43 PM

Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
 
काला बकरा (भोगपुर, जालंधर)
Kala Bakra (Bhogpur, Jalandhar)

https://st2.indiarailinfo.com/kjfdsu...3313371941.jpg

Kala Bakra Railway Station is Located in Punjab, Jalandhar, Bhogpur. It belongs to Northern Railway, Firozpur Cant . Neighbourhood Stations are Alawalpur,Dhogri, Near By major Railway Station is Jalandhar City and Airport is Ludhiana Airport .


All times are GMT +5. The time now is 11:26 PM.

Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.