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Israel / इजराइल क्या आपको पता है? 64 साल पहले यानी 17 सितंबर 1950 को भारत ने इजरायल को औपचारिक तौर पर मान्यता दी थी। दोनों देशों के बीच फुल डिप्लोमैटिक रिलेशन की शुरुआत 1992 में हुई। हालांकि, इस दौरान दोनों देशों के बीच का रिलेशन प्रत्येक सेक्टर में नजदीक आता गया। दुनिया के नक्शे पर एक छोटा सा देश इजरायल जिसका क्षेत्रफल मात्र 20770 वर्ग किमी है। जी हां, इतना छोटा देश है कि भारत के क्षेत्रफल का मात्र 0.63 प्रतिशत है। इतना ही नहीं इजरायल के पूरे क्षेत्रफल का मात्र 2 प्रतिशत ही पानी से युक्त है। जबकि भारत में 9.5 प्रतिशत से ज्यादा इलाका पानी से युक्त है। |
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Israel / इजराइल आतंकवाद के साए से दुनिया को बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में सभी राष्ट्रों सेएकजुट होने की पुरजोर अपील करने वाले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी अमरीका यात्रा के समय इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से भी मुलाकात की। भारत की तरह इस्राइलभी आतंकवाद का सामना करने वाले देशों मे से एक है। मुलाकात और बातचीत में इन दोनोंनेताओं ने अपने मजबूत संबंधों, सुरक्षा और व्यापार की समीक्षा की। कृषि सहित आपसीसहयोग के संबंधों को और ज्यादा बढ़ाने के बारे में विचार-विमर्श किया। उन्होंने रक्षा संबंधों और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर तथा साइबर सुरक्षा के क्षेत्रमें सहयोग के बारे में भी विचार-विमर्श किया। 2006 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप मेंइजराइल की यात्रा कर चुके हैं। भारत और इजराइल के बीच वर्तमान में करीब छह अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार है। इसमुलाकात में भारत-इस्राइल संबंधों का दायरा बढ़ा है। हमधरती पर दो सबसे पुरानी सभ्यताओं के प्रतिनिधि हैं, हम दोलोकतंत्र भी हैं, जिन्हें अपनी परंपरा पर गर्व है, परंतु भविष्य को भी उज्जवल बनानाचाहते हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम मिलकर काम करेंगे तो इससे हमारे दोनों देशों केलोगों को लाभ होगा। |
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Israel / इजराइल 5 दिसम्बर 2013 को राज्य सभा में एक प्रश्न के उत्तर में तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री ने बताया था कि 1992 में राजनयिक संबंधों के स्थापित होने के बाद भारत-इस्राइल द्विपक्षीय संबंध और अधिक सुदृढ़ हुए हैं। भारत के इस्राइल के साथ सौहार्दपूर्ण और विविधतापूर्ण संबंध है जो कि दोनों के लिए उपयोगी हैं। इस्राइल के सहयोग से भारत में विभिन्न क्षेत्रों में जैसे कि रक्षा कृषि, जल प्रबंधन, अनुसंधान एवं विकास और विज्ञान और प्रौद्योगिकी में लाभ प्राप्त हुआ है। भारत के इस्राइल के साथ संबंध स्वतः बलबूते पर हैं और अरब जगत के साथ सुदृढ, समय-परीक्षित और ऐतिहासिक संबंधों के मूल्य पर नहीं है। इस्राइल के साथ सुदृढ होते हुए संबंधों के बावजूद भी, अरब और फिलीस्तिनी पक्ष को ठोस समर्थन देने की पारम्परिक नीति में कोई परिवर्तन नहीं है। |
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Israel / इजराइल : गृह मंत्री राज नाथ की यात्रा का महत्व भारत से अपने रिश्ते को इजरायल कितना ज्यादा महत्व देता है इसका प्रदर्शन बृहस्पतिवार को भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के इजरायल पहुंचने पर हुआ. गृहमंत्री सिंह मौसम खराब होने की वजह से बुधवार की सुबह के बजाय रात में पहुंचे. इजरायल पहुंते भारतीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का सरकार द्वारा शानदार स्वागत किया गया. इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू, रक्षा मंत्री मोशे यालोन और जन सुरक्षा मंत्री वाई अहरोनोविच ने व्यस्तता के बावजूद अपने कार्यक्रम में बदलाव किए और राजनाथ सिंह से मुलाकात की. नेतन्याहू ने भारतीय गृह मंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय और इजरायली सरलता और निरंतरता के संबंध को साझा करते हैं. सुरक्षा सहयोग और आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह इजरायल पहुंचे हैं. भारत-इजरायल के संबंधों को देखते हुए इस यात्रा को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. गृहमंत्री ने अपने इजरायल दौरे की शुरुआत यरुशलम स्थित पवित्र स्थलों की यात्रा से की. इसके बाद देश में सुरक्षा हालातों का जायजा लेने के लिए उन्होंने इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार योसी कोहेन के साथ जॉर्डन वैली व इजरायल के उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों का हवाई दौरा किया.गौरतलब है कि राजनाथ सिंह जून 2000 में तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के बाद इजरायल आने वाले पहले गृह मंत्री हैं. ** |
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बर्लिन की दीवार (Berlin Wall or the Iron Curtain) https://encrypted-tbn0.gstatic.com/i...1xk68XipWAjDGk https://encrypted-tbn3.gstatic.com/i...wzrCB35XPZ0f5Q^^https://encrypted-tbn3.gstatic.com/i...4_6CU9ZIUEjnyF बर्लिन की दीवार के दो दृष्य. पूर्वी जर्मनी के सैकड़ों लोगों को इस दीवार को फांदने के प्रयास में गोलियों से भून दिया गया. |
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बर्लिन की दीवार आज बर्लिन की दीवार (which was known as the iron curtain during its existence) गिराये जाने की सिल्वर जुबली है. आज से 25 साल पहले गिरा दी गयी पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी को बांटने वाली बर्लिन की दीवार को फोटो और वीडियो के साथ गूगल ने डूडल बनाकर याद किया. जर्मनी को पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में बांटने वाली इस दीवार को 25 साल पूर्व आज ही के दिन गिरा दिया गया था और पूर्वी तथा पश्चिमी जर्मनी का एक बार फिर से एकीकरण कर दिया गया था. उल्*लेखनीय है कि बर्लिन की दीवार पश्चिमी बर्लिन और जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य के बीच एक बाधा के रूप में जानी जाती थी. इस दीवार ने 28 साल तक बर्लिन शहर को पूर्वी और पश्चिमी टुकड़ों में बांटकर रखा हुआ था. इस दीवार का निर्माण 13 अगस्त, 1961 को शुरू हुआ और 9 नवम्बर, 1989 के बाद के सप्ताहों में इसे तोड़ दिया गया था |
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बर्लिन की दीवार बर्लिन दीवार के विध्वंस की पृष्ठभूमि इस प्रकार है कि 7 मई 1989 को पूर्व जर्मनी (जिसकी सत्ता कम्युनिस्ट शासकों के हाथ में थी और जो सोवियत संघ द्वारा समर्थित थे) के लोगों ने संसदीय चुनाव में हिस्सा लिया. परिणाम क्या होंगे लोग जानते थे, क्योंकि एक बार फिर चुनावों में धांधली हुई. सत्ताधारियों का दावा था कि 98 फीसदी वोट उन्हें मिले. यहां से विरोध की शुरुआत हुई और अगले दिन लाइपत्सिष की सड़कों पर प्रदर्शनकारी उतर चुके थे. 1989 की जुलाई में वारसा संधि वार्ता हुई. सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाएल गोर्बाचेव ने ब्रेजनेव की नीति खारिज कर दी. इससे सोवियत संघ के समाजवादी पड़ोसी के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के अधिकार खत्म हो गए. इसके बाद से उनके पड़ोसी देशों को अपनी राष्ट्रीय समस्याओं का हल खुद निकालना था. |
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बर्लिन की दीवार 7 नवंबर 1989 तक प्रदर्शनकारी पूर्व जर्मनी की राजधानी तक पहुंच चुके थे. सैकड़ों हजार लोग अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों पर उतर आए थे. उनका स्लोगन था 'नो वॉयलेंस'. जीडीआर के 40 साल के इतिहास में यह सबसे बड़ा प्रदर्शन माना जाता है. उसके ठीक बाद ही दीवार को गिराकर पश्चिमी और पूर्वी जर्मनी को एक कर दिया गया. बर्लिन यूरोप की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में सबसे बड़ा योगदान देता है. सोवियत संघ के पतन और शीत युद्ध के अंत के बादबर्लिन की दीवार एकमात्र बाधा नहीं थी जो दूर हुई बल्कि इसके साथ ही धन, व्यापार, लोगों और विचारों के प्रवाह को बाधित करने वालो अवरोधों का भी पतन हो गया। इस सिल्वर जुबिली के अवसर पर जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल ने पूर्वी जर्मनी की कम्युनिस्ट सरकार के दौर में मारे गए लोगों की याद में समारोह में हिस्सा लिया. चांसलर मार्केल और दूसरे अन्य अधिकारीयों ने बर्लिन वॉल मेमोरियल पर फूल रखकर उन शहीदों को याद किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस बात समझना बेहद जरूरी है कि इस दीवार के कारण पूरा जर्मनी ही नहीं, बल्कि पूर्वी यूरोप भी पीड़ित रहा है. ** |
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आदरणीय रजनीश जी ... बहुत बहुत धन्यवाद इतनी रोचक जानकारी हम सबके साथ शेयर करने के लिए और एक नया सूत्र शुरू करने के लिए बधाइयाँ ...
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स्पॉटलाइट पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, पुष्पा सोनी जी.
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