My Hindi Forum

My Hindi Forum (http://myhindiforum.com/index.php)
-   The Lounge (http://myhindiforum.com/forumdisplay.php?f=9)
-   -   निराशा ... आशा (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=17243)

soni pushpa 15-12-2017 03:17 PM

निराशा ... आशा
 
कई बार जीवन में ऐसे अवसर आते हैं जब हम खुद को बिलकुल अकेला महसूस करते हैं और कई बार कुछ जीवन में होने वाली घटित घटनाएं हमें निराशावादी बना देती है , नकारात्मक सोच से मन को भर देती है। तब ऐसा लगता है की जी कर क्या करना है और नकारात्मक विचारों के बवंडर हमें इतना घेर लेते हैं की हर तरफ उदासी खिन्नता और निराशा ही निराशा नज़र आती है



जिस प्रकार कमजोर नीव पर ऊँचा मकान खड़ा नहीं किया जा सकता ठीक इसी प्रकार यदि विचारो में
उदासीनता, नैराश्य अथवा कमजोरी हो तो जीवन की गति कभी भी उच्चता की ओर नहीं हो सकती।
निराशा का अर्थ ही लड़ने से पहले हार स्वीकार कर लेना है और एक बात याद रख लेना निराश जीवन मे कभी भी हास्य (प्रसन्नता) का प्रवेश नही हो सकता और जिस जीवन में हास्य ही नहीं उसका विकास कैसे संभव हो सकता है ?
जीवन रूपी महल में उदासीनता और नैराश्य ऐसी दो कच्ची ईटें हैं, जो कभी भी इसे ढहने अथवा तबाह करने के लिए पर्याप्त हैं। अतः आत्मबल रूपी ईट जितनी मजबूत होगी जीवन रूपी महल को भी उतनी ही भव्यता व उच्चता प्रदान की जा सकेगी।

rajnish manga 15-12-2017 04:57 PM

Re: निराशा ... आशा
 
Quote:

Originally Posted by soni pushpa (Post 562483)

....जिस प्रकार कमजोर नीव पर ऊँचा मकान खड़ा नहीं किया जा सकता ठीक इसी प्रकार यदि विचारो में उदासीनता, नैराश्य अथवा कमजोरी हो तो जीवन की गति कभी भी उच्चता की ओर नहीं हो सकती।....
निराशा का अर्थ ही लड़ने से पहले हार स्वीकार कर लेना है ....अतः आत्मबल रूपी ईट जितनी मजबूत होगी जीवन रूपी महल को भी उतनी ही भव्यता व उच्चता प्रदान की जा सकेगी।

बहुत सुंदर. जिस मनोयोग से आपने इस आलेख को लिखा ओर पोस्ट किया है उसी मनोयोग से मैंने इसे पढ़ा है. इसके हर वाक्य से एक नया सत्य उभरता है जिसकी रोशनी में हम अपने जीवन के दुःख और सुख, आशा और निराशा की समीक्षा कर सकते है और अपने जीवन में वांछित सुधार ला सकते हैं. आपका बहुत बहुत धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.

soni pushpa 18-12-2017 12:37 AM

Re: निराशा ... आशा
 
Quote:

Originally Posted by rajnish manga (Post 562486)
बहुत सुंदर. जिस मनोयोग से आपने इस आलेख को लिखा ओर पोस्ट किया है उसी मनोयोग से मैंने इसे पढ़ा है. इसके हर वाक्य से एक नया सत्य उभरता है जिसकी रोशनी में हम अपने जीवन के दुःख और सुख, आशा और निराशा की समीक्षा कर सकते है और अपने जीवन में वांछित सुधार ला सकते हैं. आपका बहुत बहुत धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.

सबसे पहले इस आलेख को इतनी प्रसंशात्मक टिपण्णी देने धन्यवाद भाई

जी भाई हमारी जिंदगी हमें सिखलाते रहती है पर चिंताओं में हम इंसान धीरज खो देते हैं और सुख और खुशियों को हम अटल मान लेते हैं जबकि इस जीवन में कुछ भी नहीं टिकता न सुख न दुःख समय के साथ सब बदलते रहता है


All times are GMT +5. The time now is 10:58 AM.

Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.