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-   -   ग्रहों की दिशा कुछ प्रतिकूल दिखाई देती हैð (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=16372)

vaibhav srivastava 03-12-2015 02:18 AM

ग्रहों की दिशा कुछ प्रतिकूल दिखाई देती हैð
 
ग्रहों की दिशा कुछ प्रतिकूल दिखाई देती है।
देखता हूँ,, कब तक परछाईं साथ देती है।

मन थोड़ा अशांत सा तो रहता है अब
इसे अब कहाँ कोई रौशनी दिखाई देती है।

जीवन के इस मोड़ पे थोड़ा धैर्य रखो वैभव
वरना अँधेरी धूप में कब परछाई साथ देती है।

परिपक्वता के साथ ये कैसी दुर्बलता आई है

न तो कुछ कहने की क्षमता है……
न ही किसी को कोई बात सुनाई देती है।

भावों को गढ़ने में भी,,
अब
कितनी मुश्किल दिखाई देती है।

जो मरम है मन का वो कह नही सकते

अनर्गल भावों पर तालियाँ सुनायीं देतीं हैं।

ग्रहों की दिशा कुछ प्रतिकूल दिखाई देती है।
देखता हूँ,,, परछाईं भी कब तक साथ देती है।

rajnish manga 03-12-2015 06:00 PM

Re: ग्रहों की दिशा कुछ प्रतिकूल दिखाई देती हैð
 
Quote:

Originally Posted by vaibhav srivastava (Post 556574)

मन थोड़ा अशांत सा तो रहता है अब
इसे अब कहाँ कोई रौशनी दिखाई देती है।

परिपक्वता के साथ ये कैसी दुर्बलता आई है

न तो कुछ कहने की क्षमता है……
न ही किसी को कोई बात सुनाई देती है।

भावों को गढ़ने में भी,,
अब कितनी मुश्किल दिखाई देती है।

जो मरम है मन का वो कह नही सकते
अनर्गल भावों पर तालियाँ सुनायीं देतीं हैं।

ग्रहों की दिशा कुछ प्रतिकूल दिखाई देती है।
देखता हूँ,,, परछाईं भी कब तक साथ देती है।

'परिपक्वता के साथ ये कैसी दुर्बलता आई है' कभी कभी प्रतिकूल परिस्थितियों में मन में संशय घर कर लेते हैं. इस संशयात्मक स्थिति का आपने अत्यंत सुंदर व प्रभावपूर्ण वर्णन इस कविता में किया है. कविता की उपरोक्त पंक्तियाँ मैंने विशेष रूप से उदाहरणस्वरूप उद्धृत की हैं. धन्यवाद व शुभकामनाएं, वैभव जी.


vaibhav srivastava 03-12-2015 10:33 PM

Re: ग्रहों की दिशा कुछ प्रतिकूल दिखाई देती हैð
 
शुक्रिया रजनीश जी! आपका आशीर्वाद और प्रोत्साहन हमेशा से मुझे मिलता रहा है।
मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ।
धन्यवाद।

soni pushpa 22-01-2016 11:07 PM

Re: ग्रहों की दिशा कुछ प्रतिकूल दिखाई देती हैð
 
[QUOTE=rajnish manga;556582]'परिपक्वता के साथ ये कैसी दुर्बलता आई है' कभी कभी प्रतिकूल परिस्थितियों में मन में संशय घर कर लेते हैं. इस संशयात्मक स्थिति का आपने अत्यंत सुंदर व प्रभावपूर्ण वर्णन इस कविता में किया है. कविता की उपरोक्त पंक्तियाँ [size=4]मैंने विशेष रूप से उदाहरणस्वरूप उद्धृत की हैं. धन्यवाद व शुभकामनाएं, वैभव जी.



संशय जब घर करने लगे मन में तब न मिलता कोई रास्ता इंसा को और जो व्याकुलता उसके मन में होती है उसका बखूबी वर्णन किया आपने .... बधाइयाँ किन्तु एक बात और कहना चाहूंगी इस व्याकुलता का वर्णन ही नहीं इससे उबरने के उपाय की कविता भी लिखे ताकि हमारे समाज में जो आजकल डिप्रेसन नमक बिमारी अपनी जड़ें मजबूत कर रही है उसे नेस्तनाबूद किया जा सके .

सुन्दर कविता के लिए धन्यवाद

vaibhav srivastava 30-01-2016 05:06 PM

Re: ग्रहों की दिशा कुछ प्रतिकूल दिखाई देती हैð
 
शुक्रिया सोनी जी, आपकी बात बिलकुल सही है।
सच मे ये बहुत ही खतरनाक समस्या बनती जा रही है।
मैं आगे से इस बात का ध्यान रखूँगा और अपनी पूरी कोशिश करूँगा।

इतने अच्छे सुझाव के लिए आपका धन्यवाद।

sunnysingh16388 16-11-2016 05:54 PM

Re: ग्रहों की दिशा कुछ प्रतिकूल दिखाई देती है&
 
Aap bahut hi umdaa likhte ho....maine bhi apni website pe naye poets k liye community banayi hai...aap chahein toh use kr sakte hain ose
http://thepoetoflove.in/community/main-forum/#

vaibhav srivastava 24-11-2016 06:59 PM

Re: ग्रहों की दिशा कुछ प्रतिकूल दिखाई देती है&
 
Quote:

Originally Posted by sunnysingh16388 (Post 559904)
Aap bahut hi umdaa likhte ho....maine bhi apni website pe naye poets k liye community banayi hai...aap chahein toh use kr sakte hain ose
http://thepoetoflove.in/community/main-forum/#

sukriya Apka! main jaroor post karunga. :)


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