कभी चांदनी तो कभी अँधेरी ये रात ।
सूरज की आखिरी किरण
आसमाँ का कहीं लाल ,कहीं गुलाबी कहीं नीले ,तो कहीं पीले रंग की चादर ओढ़ लेना अन्दर तक ठण्ड का एहसास जगाती शीतल हवा का मस्ती में आवारा भटकना । बता रहे है इस जागते जहाँ को कि शाम बस चंद पलों की मेह्मान है । इसी शाम की शीतल छांव में परिंदे ,इंसान ,जानवर सब थके हारे लौट पड़े है घर की तरफ । और देखते ही देखते कुछ ही पलों में चाँद आसमां को ही नदी बना हौले -हौले तैरने लगता है । और छा जाता है अँधेरा हर तरफ घुल जाती है इन अंधेरों में खामोशियाँ तो कभी खामोशियों में बाधा डालती हवाओं की सरसराहट । ये चाँद, ये हवाये ,ये खामोशियाँ बता रही हैं की रात आ गयी और सुला गयी इस जागते जहाँ को साथ में कितने सपने ,कितने बातें कितने वादे , कितनी तकरारे कितने दर्द ,कितनी पीड़ा सब को सुला देती है ये रात आजाद कर देती है हमें इनकी जकड़न से । और जगा जाती है मन में कुछ मीठे - प्यारे सपने अनमोल यादों के सुनहरे पल कोई प्यारा देखा -अनदेखा चेहरा और साथ में दे जाती है एहसास एक ऐसी जिन्दगी का जो हम हमेशा से जीना चाहते हैं । कितनी प्यारी, कितनी सुन्दर कितनी अपनी होती है न, ये रात कभी चांदनी तो कभी अँधेरी ये रात । |
Re: कभी चांदनी तो कभी अँधेरी ये रात ।
बहुत खूब!
फ़िल्म चोरी चोरी का वो गाना मन में आ गया। ये रात भीगी - भीगी, ये मस्त फ़िज़ाएँ उठा धीरे-धीरे वो चाँद प्यारा प्यारा |
Re: कभी चांदनी तो कभी अँधेरी ये रात ।
बेहतरीन.................................. |
Re: कभी चांदनी तो कभी अँधेरी ये रात ।
बहुत खूब
|
Re: कभी चांदनी तो कभी अँधेरी ये रात ।
:bravo: बहुत सुन्दर, ओमप्रकाश जी. आपकी उपरोक्त रचना में दिलकश प्रकृति-चित्रण भी है और मानव हृदय की भावनाओं का भी अच्छा चित्रण उभर कर आया है. |
All times are GMT +5. The time now is 07:52 AM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.