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-   -   "पनो"ग्रैफी (हिन्दी में) (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=10874)

internetpremi 20-10-2013 03:10 AM

"पनो"ग्रैफी (हिन्दी में)
 
सन्दर्भ: English Literature विभाग में मेरा "Punography" सूत्र।

There is plenty of scope for puns in Hindi too.
Can members please look for and contribute examples like this?
I am sure there is great scope for fun in Hindi too.
Example:
Ref: Gold hunt by ASI at Unnao and its criticism by BJP

भारती जनता पार्टी के श्री वेंकया नाइडु ने तीखी निन्दा करते हुए कहा:

"वे लोग सोना चाहते हैं, हम लोग सो रही सरकार को जगाना चाहते हैं।"





rajnish manga 20-10-2013 10:47 AM

Re: "पनो"ग्रैफी (हिन्दी में)
 
हिंदी विभाग में हम इस सूत्र का स्वागत करते हैं. मुझे विश्वास है कि इस प्रकार के (जोक्स से हटकर) हल्के-फुल्के, शिष्ट हास्य व गुदगुदी पैदा करने वाले सूत्र फोरम की शोभा बढ़ाने में अपना योग देंगे.

internetpremi 20-10-2013 09:34 PM

Re: "पनो"ग्रैफी (हिन्दी में)
 
सूचना के लिए:
Pun को हिन्दी में "श्लेष" कहते हैं
"यमक" भी सुनने को आया था।
शायद "यमक" उर्दू शब्द है?
यदि किसी को ठीक पता हो तो कृपया बताएं।


Dr.Shree Vijay 21-10-2013 07:02 PM

Re: "पनो"ग्रैफी (हिन्दी में)
 


प्रिय श्री विश्वनाथ जी आपने एक अच्छी शुरुआत की उसके लिए आपका हार्दिक आभार..............



internetpremi 21-10-2013 07:37 PM

Re: "पनो"ग्रैफी (हिन्दी में)
 
बाबू जगजीवन रामजी ने कुछ सांसदों के बारे में कहा था:
"आयाराम और गयाराम"
याद है?
Classic pun
I think Aayaaram was an MP known for frequent floor crossings.

internetpremi 21-10-2013 07:40 PM

Re: "पनो"ग्रैफी (हिन्दी में)
 
एक और उदाहरण:

मौनमोहन सिँह
?

neerathemall 24-10-2013 08:02 PM

Re: "पनो"ग्रैफी (हिन्दी में)
 
Quote:

Originally Posted by internetpremi (Post 398632)
सूचना के लिए:
Pun को हिन्दी में "श्लेष" कहते हैं
"यमक" भी सुनने को आया था।
शायद "यमक" उर्दू शब्द है?
यदि किसी को ठीक पता हो तो कृपया बताएं।





यमक हिन्दी शब्दालंकार है जब एक शब्द का प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है --


उदाहरण
कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय।
वा खाये बौराय नर, वा पाये बौराय।।

neerathemall 24-10-2013 08:07 PM

Re: "पनो"ग्रैफी (हिन्दी में)
 
Quote:

Originally Posted by internetpremi (Post 398632)
सूचना के लिए:
Pun को हिन्दी में "श्लेष" कहते हैं
"यमक" भी सुनने को आया था।
शायद "यमक" उर्दू शब्द है?
यदि किसी को ठीक पता हो तो कृपया बताएं।


The pun, also called paronomasia, is a form of word play that suggests two or more meanings, by exploiting multiple meanings of words, or of similar-sounding words, for an intended humorous or rhetorical effect

These ambiguities can arise from the intentional use of homophonic, homographic, metonymic, or metaphorical language. A pun differs from a malapropism in that a malapropism uses an incorrect expression that alludes to another (usually correct) expression, but a pun uses a correct expression that alludes to another (sometimes correct but more often absurdly humorous) expression.

neerathemall 24-10-2013 08:13 PM

Re: "पनो"ग्रैफी (हिन्दी में)
 
Quote:

Originally Posted by internetpremi (Post 398632)
सूचना के लिए:
Pun को हिन्दी में "श्लेष" कहते हैं
"यमक" भी सुनने को आया था।
शायद "यमक" उर्दू शब्द है?
यदि किसी को ठीक पता हो तो कृपया बताएं।


जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है।

उदाहरण
चिरजीवो जोरी जुरे क्यों न सनेह गंभीर।
को घटि ये वृष भानुजा, वे हलधर के बीर।।

इस जगह पर वृषभानुजा के दो अर्थ हैं-
वृषभानु की पुत्री राधा
वृषभ की अनुजा गाय।
इसी प्रकार हलधर के भी दो अर्थ हैं-
बलराम
हल को धारण करने वाला बैल


अंतर श्लेष और यमक अलंकार के बीच
अक्सर देखा गया है है कि कई शोधार्थी यमक और श्लेष अलंकार के अंतर में ही उलझ के रह जाते हैं| दरअसल दोनों अलंकार एक दूसरे के विपरीत हैं| यथा :-

शब्द एक बार ही आए अर्थ अनेक हों तो श्लेष अलंकार होता है
शब्द एक से अधिक बार आए और अर्थ भी एक से अधिक हों तो यमक अलंकार होता है


श्लेष अलंकार :-

आइये पहले उदाहरण के द्वारा श्लेष अलंकार को समझने का प्रयास करते हैं|

प्रसिद्ध कवि रहीम जी का एक दोहा लेते हैं :-


रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।
इस दोहे में कही गई बात बिलकुल साफ है| यदि पानी नहीं तो मोती, मनुष्य और चून / आटे की कोई महत्ता नहीं| मोती के संदर्भ में पानी का अर्थ हुआ चमक, मनुष्य के संदर्भ में पानी का आशय हुआ रुतबा या कि फिर यूं कहो कि मान-सम्मान और चून / आटे के संदर्भ में तो ये पानी ही हुआ|


शब्द एक ही आए, एक बार ही आए पर अर्थ अनेक निकलते हों, तो वहाँ श्लेष अलंकार होता है| आचार्य संजीव वर्मा सलिल जी के शब्दों में:-
वक्ता- श्रोता जब करें, भिन्न शब्द के अर्थ
रचें श्लेष वक्रोक्ति कवि, जिनकी कलम समर्थ..

एक शब्द के अर्थ दो, करे श्लेष-वक्रोक्ति.
श्रोता-वक्ता हों सजग, समझें न अन्योक्ति..

जहाँ पर एक से अधिक अर्थवाले शब्द के प्रयोग द्वारा वक्ता का एक अर्थ पर बल रहता है किन्तु श्रोता का दूसरे अर्थ पर, वहाँ श्लेष वक्रोक्ति अलंकार होता है. इसका प्रयोग केवल समर्थ कवि कर पाता है चूँकि विपुल शब्द भंडार, उर्वर कल्पना शक्ति तथा छंद नैपुण्य अपरिहार्य होता है. उदाहरण के लिए मेरा एक दोहा भी देखिये :-

सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक|
जो करते विप्लव, उन्हें, 'हरि' का है आतंक||

ऊपर के दोहे में प्रयुक्त 'हरि' शब्द के दो अर्थ हैं बंदर और ईश्वर - यह देखिये -
जो लोग सीधे चुप चाप रास्ते से निकल जाते हैं, वो निशंक रहते हैं यानि उन्हें कोई प्राबलम नहीं होती| पर जो विप्लव करते हैं यानि छेड़खानी करते हैं - वो ही बंदरों से आतंकित भी होते हैं|
जो लोग जीवन सीधे रास्ते जीते हैं उन्हें कोई भय नहीं| परंतु जो लोग विप्लवी होते हैं यानि कि सीधी राह नहीं चलते; हरि यानि ईश्वर का आतंक भी उन्हें ही होता है|
तो ये होता है श्लेष अलंकार| मेरा एक और छन्द देखिएगा:-


माना कि विकास, बीज - से ही होता है मगर
इस का प्रयोग किए- बिना, बीज फले ना|

इस में मिठास हो तो, अमृत समान लगे
खारापन हो अगर, फिर दाल गले ना|

इस का प्रवाह भला कौन रोक पाया बोलो
इस का महत्व भैया टाले से भी टले ना|

चाहे इसे पानी कहो, चाहे इसे ज्ञान कहो
सार तो यही है यार, 'नार' बिन चले ना||

इस छन्द में प्रयुक्त 'नार' शब्द के दो अर्थ हैं| पहला अर्थ है 'पानी' और दूसरा अर्थ है 'ज्ञान'| आप इस पूरे छन्द को दो बार पढ़ें, आप को लगेगा कि इस में कहा गया है कि पानी के बिना नहीं चलता / ज्ञान के बिना नहीं चलता| यही होता है श्लेष अलंकार का जादू| खासकर पूरे छन्द में जब सिर्फ एक ही शब्द के कारण पूरे के पूरे छन्द के दो अर्थ हो जाते हैं, तो ये एक जटिल काव्य कृति मानी जाती है| इसे विद्वतजन बहुव्रीहि समास कह कर भी संबोधित करते हैं|

और अब यमक अलंकार :-

एक शब्द एक से अधिक बार आए और अर्थ भी अलग अलग निकलें तो यमक अलंकार होता है| बहुत पुराना दोहा जो अमूमन हर साहित्य प्रेमी जानता है:-

कनक - कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय|
या खाएं बौराय जग, वा पाएँ बौराय|

यहाँ शब्द 'कनक' के दो अर्थ हैं| धतूरा और सोना / स्वर्ण| कवि कह रहा है कि धतूरे से ज्यादा मादक / नशीला है सोना| धतूरा खा कर आदमी बौराता है / पगलाता है परंतु सोना तो पाने के साथ ही बौरा जाता है|

यमक अलंकार का एक और उदाहरण भूषण कवि के कवित्त के माध्यम से:-

ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहन वारी
ऊँचे घोर मंदर के अन्दर रहाती हैं।
कंद मूल भोग करें कंद मूल भोग करें
तीन बेर खातीं, ते वे तीन बेर खाती हैं।
भूषन शिथिल अंग भूषन शिथिल अंग,
बिजन डुलातीं ते वे बिजन डुलाती हैं।
‘भूषन’ भनत सिवराज बीर तेरे त्रास,
नगन जड़ातीं ते वे नगन जड़ाती हैं॥
अर्थ -
[1] ऊंचे घोर मंदर - ऊंचे विशाल घर-महल / ऊंचे विशाल पहाड़
[2] कंद मूल - राजघराने में खाने के प्रयोग में लाये जाने वाले जायकेदार कंद-मूल वगैरह / जंगल में कंद की मूल यानि जड़
[3] तीन बेर खातीं - तीन समय खाती थीं / [मात्र] तीन बेर [फल] खाती हैं
[4] भूषन शिथिल अंग - अंग भूषणों के बोझ से शिथिल हो जाते थे / भूख की वजह से उन के अंग शिथिल हो गए हैं
[5] बिजन डुलातीं - जिनके इर्द गिर्द पंखे डुलाये जाते थे / वे जंगल-जंगल भटक रही हैं
[6] नगन जड़ातीं - जो नगों से जड़ी हुई रहती थीं / नग्न दिखती हैं

यमक अलंकार का एक उदाहरण डा. सरोजिनी प्रीतम की आधुनिका कविता / हास्य क्षणिका से :-

तुम्हारी नौकरी के लिए कह रखा था,
सालों से,
सालों से।

dipu 24-10-2013 09:34 PM

Re: "पनो"ग्रैफी (हिन्दी में)
 
Beautiful


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