पोल पट्टी खोल
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भट्टा पारसौल में १ दिन की नौटंकी करके राहुल बाबा कहा गए मालुम नहीं .. अभी कोंग्रेसवाले प्रियंका को आगे लाने में जुटे है .. कोंग्रेस के वरिष्ट घरेलु नौकर वसंत साठे ने इस बात की पुश्टी की ..
http://myhindiforum.com/attachment.p...7&d=1306861924 |
Re: पोल पट्टी खोल
इतना अच्छा सूत्र बनाया है भाई
इसे एक प्रविष्टि के बाद छोड़ क्यों दिया कुछ और फूल पिरोइए इस माला में |
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मित्र खोज जारी है , सहयोग के लिए धन्यवाद |
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लोगों ने सड़कों और गलियों को रेलवे की जनरल बोगी बना दिया, जहां जगह मिली फैल गए। छज्जे पर दीवार खड़ी कर दी और फिर दीवार पर छज्जा निकाल दिया। जितनी जगह मिली, उससे दो-चार हाथ आगे तक कब्जा जमा लिया। लोगों ने गलियां बंद कर दीं और प्रशासन ने चंद रुपये लेकर अपना मुंह। कुछ इलाकों में हालात ऐसे हो गए कि इमरजेंसी में न तो मदद लोगों तक पहुंच पाती है और न लोग मददगार तक। फिर कोसते हैं कि पुलिस देर से आई, एंबुलेंस देर से आई। ऐसे में नियमों को तोड़कर मकान बनाने वालों पर हथौड़ा चलाने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश सड़कों को सांस लेने की जगह दिलाएगा
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क्या गांधी ने कस्तूरबा को मारा था
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और अक्षर भी बहुत छोटे हैं/ अत: पढना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है/ |
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मित्र, हमारे शहर में प्रतिदिन कहीं ना कहीं बुलडोजर अवश्य गरजता रहता हैं किन्तु ............... किन्तु हमारी हठधर्मिता के आगे प्रशासन असहाय हो जाता है ..... आगे आगे बुलडोजर अवैध निर्माण गिराता जाता है और उसके पीछे पीछे हम फिर से उन्हें बनाते जाते हैं .... दो दिनों के बाद फिर वही स्थिति तैयार हो जाती है / हम सभी जानते हैं कि किसी भी शहर में रेल मार्ग अथवा सड़क मार्ग से प्रवेश करते ही सबसे पहले जिस विशाल दृश्य पर दृष्टि जाती है वह है अन्य शहर से आये हुए निर्धन और श्रमिकों की अवैध झुग्गियां / शहर का प्रवेश स्थान ही मात्र इनका स्थायी स्थान नहीं है बल्कि ये किसी भी उपरिगामी सेतु के नीचे, किसी भी सरकारी भवन की विशाल बाउंडरी के चारो ओर, रेलवे और बस स्टेशन के निकास द्वार पर, किसी बड़े पार्क की दीवार के पास, नदी-झील-तालाबों के घाटों और इनकी उथली जमीन पर और किसी भी सरकारी भूमि पर ये झुग्गियां मधुमक्खी के छत्ते की भाँति पनपती रहती हैं / इन झुग्गियों में ना केवल गरीब तबके के लोग रहते हैं बल्कि अपराधी भी शरण पाते हैं / कोई भी नगर निगम इनको हटाने का प्रयास नहीं करता क्योंकि इन झुग्गियों में नागरिक नहीं बल्कि उनके 'वोट' रहते हैं / अभी अभी क़ानून बना है कि नयी झुग्गी बनाने वाले व्यक्ति पर न्यूनतम तीन वर्ष का कारावास और एक लाख का अर्थ दंड आरोपित किया जाएगा तथा इसके लिए दोषी अधिकारी पर अधिकतम तीन वर्ष का कारावास और पचास हजार का अर्थ दंड निर्धारित किया गया है / क्या इससे इस समस्या का समाधान हो जाएगा ... यह भविष्य की कोख में है / |
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झुग्गी में रहने वाले पर एक लाख का जुर्माना, वाह रे वाह |
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