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-   -   इश्क की डगर (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=3691)

Dr. Rakesh Srivastava 13-11-2011 07:30 AM

इश्क की डगर
 
पँछियों - से पर लेकर , बादलों के ऊपर हूँ ;
इक जूनून है दिल में , इश्क की डगर में हूँ .
गुनगुने नशे - जैसा , बह रहा हूँ रग - रग में ;
इक हसीँ की धड़कन में , सरगमों के रथ पे हूँ .
गुलबदन की चाहत हूँ , ख़ुश्बुओं को जीता हूँ ;
तितलियों के रंग लेकर , ख़ुशनुमा सफ़र में हूँ .
चौदहवीं की रातों में , गुलमोहर की शाखों पे ;
पुरवा से डोल रहे , चाँद की नज़र में हूँ .
पर्वतों का झरना था , पत्थरों से जूझा हूँ ,
आज तो मै दरिया हूँ , कल का मै समन्दर हूँ .
मुफ़लिसी थी रिश्तों की , धूप वो भी काटी है ,
गेसुओं के साए अब , इन दिनों सिकन्दर हूँ .
रास्ते का ज़र्रा था , आसमाँ में उड़ता हूँ ;
आँधियों की रहमत है , कुछ दिनों की ग़फलत हूँ .


रचयिता ~~~डॉ. राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड -2,गोमती नगर ,लखनऊ .

malethia 13-11-2011 08:10 AM

Re: इश्क की डगर
 
Quote:

Originally Posted by Dr. Rakesh Srivastava (Post 122092)

मुफ़लिसी थी रिश्तों की , धूप वो भी काटी है ,
गेसुओं के साए अब , इन दिनों सिकन्दर हूँ .
रास्ते का ज़र्रा था , आसमाँ में उड़ता हूँ ;
आँधियों की रहमत है , कुछ दिनों की ग़फलत हूँ .


रचयिता ~~~डॉ. राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड -2,गोमती नगर ,लखनऊ .

बहुत खूब,डॉ.साहेब :fantastic:
एक और शानदार प्रस्तुती के लिए आभार !

Ranveer 13-11-2011 09:36 PM

Re: इश्क की डगर
 
Bahut sundar....lajawab prastuti rakesh ji....ek aashiq ke man ki udan ko bade hi rumani andaz me pesh kiya aapne....manovigyan bhi kishoro or nabaliko ke prem ko samajha to sakta hai ... Par ek vyask prem ki jatilata ko bata pane me asamarth hi hai...apki ye kavita kafi achi lagi...

Dark Saint Alaick 13-11-2011 10:54 PM

Re: इश्क की डगर
 
रणवीरजी के कथन के बाद कहने को कुछ बचा नहीं; इसलिए बस, इतना ही - अति श्रेष्ठ सृजन, डॉ. साहब ! आभार !

abhisays 14-11-2011 07:01 AM

Re: इश्क की डगर
 
इश्क मोहब्बत और प्यार करने वालो के राकेश जी के तरफ से नायब थोहफा है यह कविता.. :cheers:

neelam 14-11-2011 07:13 AM

Re: इश्क की डगर
 
राकेश जी आप तो एक बहुत ही अच्छी कवितायें लिखते हैं.:fantastic:

Dr. Rakesh Srivastava 15-11-2011 01:33 PM

Re: इश्क की डगर
 
Quote:

Originally Posted by malethia (Post 122093)
बहुत खूब,डॉ.साहेब :fantastic:
एक और शानदार प्रस्तुती के लिए आभार !

मलेथिया जी ,
आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava 15-11-2011 01:45 PM

Re: इश्क की डगर
 
Quote:

Originally Posted by ranveer (Post 122438)
bahut sundar....lajawab prastuti rakesh ji....ek aashiq ke man ki udan ko bade hi rumani andaz me pesh kiya aapne....manovigyan bhi kishoro or nabaliko ke prem ko samajha to sakta hai ... Par ek vyask prem ki jatilata ko bata pane me asamarth hi hai...apki ye kavita kafi achi lagi...

रणवीर जी ,
कोई रचनाकार जितना डूब कर लिखता है ,
यदि कोई पाठक उतनी ही गहराई से विश्लेषण
भी करता है तो अच्छा लगता है .
आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava 15-11-2011 01:49 PM

Re: इश्क की डगर
 
Quote:

Originally Posted by dark saint alaick (Post 122643)
रणवीरजी के कथन के बाद कहने को कुछ बचा नहीं; इसलिए बस, इतना ही - अति श्रेष्ठ सृजन, डॉ. साहब ! आभार !

महोदय,
आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava 15-11-2011 01:50 PM

Re: इश्क की डगर
 
Quote:

Originally Posted by abhisays (Post 122653)
इश्क मोहब्बत और प्यार करने वालो के राकेश जी के तरफ से नायब थोहफा है यह कविता.. :cheers:

महोदय,
आपका शुक्रिया .


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