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-   -   खून अपना तुम यूँ जला कर बैठो (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=4141)

dipu 15-02-2012 06:42 PM

खून अपना तुम यूँ जला कर बैठो
 
खून अपना तुम यूँ जला कर बैठो,
खतरा-इ लहू को आंसू से बहा कर बैठो,
दोस्तों से जो मिले हिस्सा-इ-ग़म-ओ-नफरत,
तो लाजिम है फिर उससे संभल कर बैठो,
कुछ तो सामान ग़म-इ-दुनिया का भी हो,
जो अपनों से मिले वो गले लगा कर बैठो,
ख़ुरबत-इ सनम अगर हो तेरा गुनाह जैसा,
तो ज़िन्दगी में एक आखरी गुनाह कर बैठो,
सरे बाज़ार गुनाहों से पर्दा जो फाश करदे,
तो अपनी ज़िन्दगी से तुम साफ़ मुकर कर बैठो

sombirnaamdev 18-02-2012 11:14 PM

Re: खून अपना तुम यूँ जला कर बैठो
 
Quote:

Originally Posted by dipu (Post 134633)
खून अपना तुम यूँ जला कर बैठो,
खतरा-इ लहू को आंसू से बहा कर बैठो,
दोस्तों से जो मिले हिस्सा-इ-ग़म-ओ-नफरत,
तो लाजिम है फिर उससे संभल कर बैठो,
कुछ तो सामान ग़म-इ-दुनिया का भी हो,
जो अपनों से मिले वो गले लगा कर बैठो,
ख़ुरबत-इ सनम अगर हो तेरा गुनाह जैसा,
तो ज़िन्दगी में एक आखरी गुनाह कर बैठो,
सरे बाज़ार गुनाहों से पर्दा जो फाश करदे,
तो अपनी ज़िन्दगी से तुम साफ़ मुकर कर बैठो

very very very nice from sombir haryanvi

rafik 28-04-2014 03:56 PM

Re: खून अपना तुम यूँ जला कर बैठो
 
ये गजल इतनी अच्छी हे की इसका जवाब नहीं


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