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गूगल का जादुई चश्मा
गूगल ने संवर्धित रिएलिटी चश्मों पर किए गए शोध की जानकारी सार्वजनिक कर दी है. इस परियोजना का नाम है प्रोजेक्ट ग्लास और गूगल ने इससे जुड़ी संक्षिप्त जानकारी, जैसे इसकी तस्वीरें और वीडियो अपने सोशल नेटवर्किंग साइट गूगल+ पर जारी की हैं. इस उत्पाद को विकसित करनेवाले शोधकर्ताओं का कहना है कि उपभोक्ताओं को इससे 14 अलग-अलग तरह की सेवाएं मिल सकेंगी, जिनमें मौसम संबंधी जानकारी, उनकी भौगोलिक स्थिति और डायरी में दर्ज व्यस्तताओं की सूचना शामिल है. फिल्म में दिखाया गया है कि चश्मा प्रयोगकर्ता को शाम की एक मुलाकात की सूचना देता है और ये भी बताता है कि शाम को बारिश होने की दस फीसदी संभावना है.गूगल का चश्मा जीपीएस चिप के जरिए ये भी चेतावनी देता है कि सब-वे सेवा निलंबित है.उपभोक्ता का कोई दोस्त यदि उसे संदेश भेजता है कि वो उससे दिन में किसी वक्त मिलना चाहता है तो उसे भी बोलकर जवाब दिया जा सकता है.वीडियो डिस्प्ले वाला चश्मा ये भी बताएगा कि सब-वे सेवा निलंबित है. चश्मे में गूगल मैप की सुविधा भी उपलब्ध है जिसकी मदद से उपभोक्ता अपनी मंजिल तक आसानी से पहुंच सकता है.इसके साथ ही यूजर अगर किसी दृश्य को देख रहा है और उसकी तस्वीर लेना चाहता है तो वो भी इस चश्मे से संभव है, साथ ही तस्वीर को मित्रों के साथ शेयर करने का विकल्प भी मौजूद है और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा भी.वीडियो में ये भी दिखाया गया है कि गूगल के चश्मे से संगीत भी सुना जा सकता है. |
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अगर मंजूर हो जाता तो ऐप बताता वो लड़की है कहाँ
रूसी डेवलपर आई-फ़्री का 'गर्ल्स अराउंड मी' नाम का ये ऐप्लिकेशन या मोबाइल ऐप फ़ोरस्क्वायर ऐप की ओर से सार्वजनिक जानकारी का इस्तेमाल कर रहा था.वॉल स्ट्रीट जर्नल को ई-मेल से भेजे बयान में कंपनी ने कहा है, "निजता से जुड़ी चिंताओं के आधार पर किसी को बलि का बकरा बनाना उचित नहीं है." अमरीका में ये ऐप काफ़ी लोकप्रिय है जहाँ बार या दुकानों पर जाकर अपनी वहाँ मौजूदगी की जानकारी सार्वजनिक तौर पर दर्ज कराने पर उन्हें ख़ास डील मिलती है. बयान के अनुसार "गर्ल्स अराउंड मी ऐप ऐसी कोई भी जानकारी नहीं देगा जो उसका इस्तेमाल करने वालों के लिए पहले से उपलब्ध नहीं हो और न ही वह ऐसी जानकारी लोगों को दे रहा है जो इस्तेमाल करने वाले ने सार्वजनिक न की हो." अब ये ऐप बनाने वालों ने कहा है कि वे इस पर और काम करके देखेंगे कि सिर्फ़ वही सूचनाएँ सार्वजनिक हों जो लोग सार्वजनिक जगहों पर जाकर लोगों के लिए उपलब्ध कराते हैं. मगर जब तक फ़ोरस्क्वायर आई-फ़्री को अपने पास से ये जानकारी नहीं देता तब तक ये संभव नहीं हो पाएगा. |
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मोबाइल के स्क्रीन में ही होगा कैमरा
सोनी का दावा है कि फिंगर प्रिंट सेंसर आगे स्क्रीन पर होने से सहूलियत होगी. पेटेंट दस्तावेज के अनुसार, “लोग जो इस तकनीक के बारे में कुछ नहीं जानते वो भी इसका प्रयोग आसानी से कर सकेंगे.” विज्ञान और तकनीक के कई विश्लेषकों इस बात की संभावना जता रहे है कि ‘नियर फील्ड कम्युनिकेशन’ तकनीक वाले ये मोबाइल आने वाले समय में बाजार में खरीददारी के लिए क्रेडिट कार्ड की जगह ले लेंगे. उम्मीद जताई जा रही है कि लोग इस तरह की फिंगर प्रिंट तकनीक को क्रेडिट कार्ड के चार अंकों वाले खुफिया पिन से ज्यादा सुरक्षित मानेंगे. गार्टनर के शोध निदेशक ब्रायन ब्लॉ ने बीबीसी से कहा, “तकनीक निर्माताओं और व्यवसायियों की प्राथमिकता है कि वो खरीददारी के लिए पैसे लेने-देने की प्रक्रिया को और आसान बनाए.” सोनी के पेटेंट आवेदन में दी गई जानकारी से पता चलता है कि स्क्रीन के पीछे कैमरा सेंसर लगे होने की वजह से ये वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए भी उपयोगी साबित होगा| |
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'टैटू' से पता चलेगा मसेज आया !
आपके मोबाइल फोन पर आने वाले कॉल और एसएमएस की जानकारी देने के लिए नोकिया वाइब्रेटिंग मैग्नेटिक टैटू का इस्तेमाल कर सकता है.| त्वचा पर 'लौहचुंबकीय' पदार्थ से बना एक टैटू या तो चिपका दिया जाएगा या फिर स्प्रे कर दिया जाएगा और फिर इस टैटू को मोबाइल से जोड़ दिया जाएगा| कंपनी का ये भी कहना है कि वो अलग-अलग तरह के एसएमएस अलर्ट देने के लिए अलग-अलग किस्म के वाइब्रेशन भी इस्तेमाल कर सकता है| नोकिया ने अपनी इस तकनीक को पेटेंट कराने के लिए पिछले हफ्ते ही आवेदन किया है जिसे कैम्ब्रिज के जोरान राडिवोजेविक ने तैयार किया है| |
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उड़ने का दावा करने वाला निकला झूठा !
कुछ दिन पहले अपने घर पर बनाए पंखों के सहारे उड़ने का दावा करने वाले नीदरलैंड्स के एक व्यक्ति ने माना है कि वो एक धोखा था इस फिल्म में अपने आप को जार्नो स्मेट्स बताने वाला यह व्यक्ति उड़ते हुए दिखाई देता है. उन्होंने दावा किया था कि जिन पंखों के सहारे वो उड़ रहे हैं वो उन्होंने घर पर ही बनाए हैं.उनका कहना था कि ये पंख उन्होंने लियोनार्डो दा विंची के रेखाचित्रों और अपने दादा के स्केचों की सहायता से तैयार किए हैं.लेकिन अब एक एनिमेशन और फिल्म बनाने वाले फलोरिस कायक ने माना है कि दरअसल वे ही स्मेट्स हैं. उन्होंने कहा है कि वह एक छल था. |
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बन सकता है मोबाइल "जीवन रक्षक"
वॉशिंगटन में जीडब्ल्यू मेडिकल फ़ैकल्टी एसोसिएट्स के डाक्टर एक अध्ययन के ज़रिए मधुमेह के रोगियों के ख़ून में ग्लूकोस की मात्रा और उच्च रक्तचाप पर नज़र रख रहे हैं. इस पूरे अध्ययन में मोबाइल फ़ोन अहम भूमिका निभा रहे हैं. कुछ मोबाइल एप्लिकेशन्स के ज़रिए वे टेस्ट के नतीज़ों और संभावित ख़तरों के बारे में तत्काल जान सकते हैं और इलाज का ख़र्च भी घटा सकते हैं.पिछले कई वर्षों में मोबाइल के इस्तेमाल और ब्रेन कैंसर के बीच संबंध पर कई तरह के विवाद उठे हैं. लेकिन इस विवाद से पूरी तरह से अलग, एक अमरीकी अध्ययन से सामने आया है कि मोबाइल का इस्तेमाल रोगी अपनी बेहतर देखभाल के लिए कर सकते हैं. मधुमेह की मरीज़ "मुझे पूरा यकीन है इस प्रोग्राम से मेरी ज़िंदगी बच जाएगी और इससे से मैं ज़्यादा देर तक जीवित रह सकूँगी. ये प्रोग्राम मुझे बताया है कि मैं जब कुछ खाती हूँ तो क्या उससे मेरा रक्तचाप या ब्लड शूगर बढ़ता है. मैरी सेहत बेहतर होगी क्योंकि मुझे अब पता है कि क्या करना है और क्या नहीं" |
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गूगल और ओरेकल के बीच जंग में फसा एंड्रॉएड
गूगल और ओरेकल के बीच कॉपीराइट के उल्लंघन के विवाद पर सोमवार को सैन फ्रांसिस्को की अदालत में सुनवाई होनी है. ओरेकल का दावा है कि गूगल ने उसके कई पेटेंट और कॉपीराइट अधिकारों का हनन किया है.तकनीक के क्षेत्र में ये अब तक की सबसे बड़ी क़ानूनी लड़ाई है. गूगल द्वारा कथित रूप से किए गए उल्लंघनों के लिए ओरेकल ने उससे एक अरब डॉलर के मुआवज़े की मांग की है. डैन क्रो "अगर ओरेकल इस कानूनी विवाद को जीत लेता है और एपीआईज़ को कॉपीराइट के दायरे में ले आया जाता है तो सैद्धांतिक रूप से एंड्राएड, मैक, विंडोज़ और आईफ़ोन के सभी ऐप्लिकेशंस को नए लाइसेंस नियमों के तहत दोबारा जारी करने की ज़रूरत होगी." |
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आइकिया का गत्ते से बना डिजिटल कैमरा
स्वीडन की फर्नीचर कंपनी आइकिया ने लगभग पूरी तरह गत्ते से बना एक पर्यावरण अनुकूल डिजिटल कैमरा पेश किया है. इस कैमरे से 40 तस्वीरें खींचने के बाद उपभोक्ता, किसी भी और रिसाइक्लेबल पदार्थ की तरह इससे छुटकारा पा सकते हैं.रिसाइक्लेबल पदार्थ वो पदार्थ होते हैं जिनका फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है. ये कैमरा आइकिया के पीएस एट होम प्रोजेक्ट अभियान का हिस्सा है. कनापा नाम का ये कैमरा बेचा नहीं जाएगा बल्कि दुनिया भर में आइकिया की कुछ चुनी हुई दुकानों पर उपभोक्ताओं को दिया जाएगा. कैमरा स्वीडिश डिजाइनर जेस्पर कुथूफ्ड ने बनाया है. ये दो एए आकार की बैटरियों से संचालित होता है और इसे एक स्विंग-आउट यूएसबी कनेक्टर की मदद से कंप्यूटर से जोड़ा जा सकता है. |
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बिन बैटरी चलेगा टीवी का रिमोट, घड़ी'
शोधकर्ताओं के मुताबिक अपने तरह की पहली माने जानी वाली ये तकनीक इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में लगने वाली बैटरीयों की जगह ले सकती है. रोफ़ेसर ऐलेन और उनके सहयोगियों ने जो तकनीक निकाली है उससे घरेलू प्रयोग के इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में ऊर्जा के लिए बैटरी की जगह मीडियम वेव फ्रिक्वेंसी का प्रयोग किया जाएगा. 'ऊर्जा संरक्षण'' शोध के एक भाग के तौर पर इजाद की गई नई तकनीक रेडियो तरंगों की बची हुई ऊर्जा का प्रयोग करती है. प्रोफ़ेसर ऐलेन के मुताबिक़ रेडियो तरंगों में रोशनी, ध्वनि और वायु जैसी उर्जा होती है और इनका प्रयोग अधिक मात्रा में ऊर्जा बनाने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है. प्रोफ़ेसर ऐलेन ने कहा, ''ऊर्जा संरक्षण का बढ़ता दायरा उम्मीद बढ़ाता है कि आम बैटरीयों पर हमारी निर्भरता कम होगी. ये वाकई में काफ़ी रोचक है कि हम आम ऊर्जा स्रोतों की बजाए वैकल्पिक स्रोतों से ऊर्जा लें.'' |
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