रूप और रुबाइयां
दोस्तो, जैसा कि यह शीर्षक ज़ाहिर कर रहा है, इस सूत्र में मैं अनेक सुंदरियों की अनेकानेक आकर्षक भंगिमाएं प्रस्तुत करूंगा और हर चित्र के साथ उसकी भंगिमा से तालमेल बिठाती एक रुबाई भी होगी ! यह स्पष्ट किए देता हूं कि रुबाई उर्दू शायरी की एक ऎसी छंद-बद्ध काव्य विधा है, जिसमें शायर सिर्फ चार पंक्तियों में अपने भावों की अभिव्यक्ति करता है ! मशहूर शायर मरहूम फ़िराक गोरखपुरी साहब इस विधा में गज़ब की महारत रखते थे ! इस सूत्र में (उनसे क्षमा याचना के साथ) ज्यादातर उन्हीं के सृजन का उपयोग होगा ! आइए, शुरू करते हैं यह रूप-यात्रा !
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Re: रूप और रुबाइयां
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इंसान के पैकर में उतर आया है माह
कद या चढ़ती नदी है अमृत की अथाह लहराते हुए बदन पे पड़ती है जब आंख रस के सागर में डूब जाती है निगाह http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1349651765 |
Re: रूप और रुबाइयां
एक ही शब्द है इस सूत्र के लिए और वो है बेहतरीन। और भी प्रविस्तियो का इंतज़ार रहेगा :cheers:
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Re: रूप और रुबाइयां
अति सुन्दर अलैक भाई
अद्भुत |
Re: रूप और रुबाइयां
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चित्र मैं प्रस्तुत कर देता हूँ
रुबाइ आप लिख दीजिये http://myhindiforum.com/attachment.p...1&d=1349693529 |
Re: रूप और रुबाइयां
अति सुन्दर
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Re: रूप और रुबाइयां
Quote:
अक्स अपना सेल में देखा मैंने आईना शायद सोच लिया मैंने रू-ब-रू होने की तमन्ना थी तेरे खुद को तुझमें पा लिया मैंने . :think: |
Re: रूप और रुबाइयां
Quote:
maja aa gaya alaik bhaai thanks for express service. |
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