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-   -   तुमको क्या मालूम.....! (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=5003)

Dr. Rakesh Srivastava 24-10-2012 08:22 AM

तुमको क्या मालूम.....!
 
तुमको क्या मालूम तुम्हारे बिन मैं कैसे जीता हूँ ;
ख़्वाब शहद - से जीवन के थे , उम्र नीम - सी पीता हूँ .

दिखने को तो बाहर से संपन्न दिख रहा हूँ सबको ;
कोई नहीं बस मैं जानूं भीतर से तुझ बिन रीता हूँ .

ऊंचा उड़ने की चाहत में बोझ समझ तुम छोड़ गयी ;
तेरी अभिलाषा में बाधक वक़्त तेरा मैं बीता हूँ .

साथ छोड़ना ही था तो मुझको क्यों तू भरमाती थी ;
' राम बनाकर रक्खूंगी , तेरी भावी परिणीता हूँ ' .

खुशियों की उम्मीद जगा तू ज़ख्म लगाकर दूर हुई ;
ग़ज़ल रिसा करतीं उतनी , ज़ख्मों को जितना सीता हूँ .

रोने को भी हुनर में मैंने जबसे है तब्दील किया ;
अपने गम को बेच के अब मैं इस दुनिया में जीता हूँ .

दुनियादारी का अंकुश पाखण्ड करा ले चाहे जो ;
पर सच है हर सच्चे आशिक़ सा स्मृतियाँ जीता हूँ .


रचयिता ~~ डॉ .राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ .
( शब्दार्थ ~ परिणीता = ब्याहता स्त्री )

Dark Saint Alaick 24-10-2012 09:52 AM

Re: तुमको क्या मालूम.....!
 
बहुत खूब कविवर ! 'ग़ज़ल रिसा करतीं उतनी, ज़ख्मों को जितना सीता हूं !' ग़ज़ब का शब्द संयोजन और अनुपम बिम्ब है यह ! :thumbup:

abhisays 24-10-2012 10:38 AM

Re: तुमको क्या मालूम.....!
 
गजब की रचना है, डॉक्टर साहब... :cheers::cheers:

ndhebar 24-10-2012 10:42 AM

Re: तुमको क्या मालूम.....!
 
Quote:

Originally Posted by dr. Rakesh srivastava (Post 171121)

रोने को भी हुनर में मैंने जबसे है तब्दील किया ;
अपने गम को बेच के अब मैं इस दुनिया में जीता हूँ .


रचयिता ~~ डॉ .राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ .
( शब्दार्थ ~ परिणीता = ब्याहता स्त्री )

बहुत खूब
भई, मजा आ गया
ये हुनर सबको थोड़े ना आता है

YUVRAJ 24-10-2012 07:10 PM

Re: तुमको क्या मालूम.....!
 
इस हुनर की क्या तारीफ करूँ, जब ये पढी गजल आपकी, दिल शुश्क हुआ, मिजाज मस्त,
तमन्ना सिर्फ इतनी रही कि इस हुनर की चाह दुआओं में सामिल करूँ।

Ranveer 26-10-2012 07:49 PM

Re: तुमको क्या मालूम.....!
 
आप एक अच्छे रचनाकार हैं ___इसमे कोई शक नहीं ।
बेहतरीन कविता । :cheers:

sombirnaamdev 26-10-2012 11:36 PM

Re: तुमको क्या मालूम.....!
 
ख़्वाब शहद - से जीवन के थे , उम्र नीम - सी पीता हूँ .

bahoot khoob aek achhi or sunder rachana ke dhanyavaad dr sahab

rajnish manga 27-10-2012 01:11 PM

Re: तुमको क्या मालूम.....!
 
बेहतरीन ग़ज़ल के लिये बधाई स्वीकार करें. आपकी आगामी रचनाओं का इन्तज़ार रहेगा.


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