दोस्त, दोस्ती और सिनेमा
1 Attachment(s)
|
Re: दोस्त, दोस्ती और सिनेमा
अगस्त के पहले रविवार को पूरे विश्व में फ्रेंडशिप डे या मित्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। एस एम् एस ने हमारे जीवन को कुछ इस तरह से आरामदेह बना दिया है कि एक ही मेसेज जो कि आपको भी किसी और ने भेजा है के साथ ज़रा सी फेरबदल करके आप उसे सेंड ऑल करके सभी दोस्तों को एक साथ फ्रेंडशिप डे की शुभकानाएं दे सकते हैं
खैर दोस्तों और दोस्ती की बात हो और सिनेमा के रुपहले परदे पर दिखाई गई दोस्ती की बात ना हो ऐसा तो हो नहीं सकता। 1964 में आई राजश्री बैनर के तले बनी फ़िल्म दोस्ती के टाइटल ट्रैक के साथ, सुधीर कुमार (जिन्होंने अंधे मोहन की भूमिका अदा की थी) और सुशील कुमार के अभिनय से सजी इस लो बजट फ़िल्म ने उस वर्ष सफलता के झंडे गाडे थे और उसके सफल होने के पीछे बहुत बड़ा कारण लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का सुमधुर संगीत भी था, जिसके लिए उन्हें उनका सबसे पहला फ़िल्म फेयर अवार्ड भी हासिल हुआ था, जबकि उनका मुकाबला उस वर्ष के दिग्गज संगीतकारों शंकर जयकिशन (संगम) के साथ था। आवाज़ मुहम्मद रफी की, तर्ज़ लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल की और बोल मजरूह सुल्तानपुरी के : |
Re: दोस्त, दोस्ती और सिनेमा
इसके बाद पेश है मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास गबन पर आधारित कृशन चोपडा और हृषिकेश मुख़र्जी द्वारा निर्देशित फ़िल्म गबन (1966) का यह गीत। फ़िल्म गबन कुछ ख़ास सफल नहीं हुयी पर शंकर जयकिशन के संगीत से सजा उसका यह गीत बड़ा ही मधुर है, जिसमें नायक रामनाथ (सुनील दत्त) अपने दोस्तों की दोस्ती से कुछ इस तरह प्रभावित है कि मोहम्मद रफी की आवाज़ में वह गुनगुना उठता है -
|
Re: दोस्त, दोस्ती और सिनेमा
इसके बाद चलते हैं अगले दशक में, जब 1973 में हृषिकेश मुख़र्जी द्वारा निर्देशित नमक हराम फ़िल्म में सोमनाथ (राजेश खन्ना) और विक्रम (अमिताभ बच्चन) की दोस्ती को दर्शाते इस सुमधुर गीत ने मानो दोस्ती को एक नया आयाम दे दिया। गीत आनंद बक्षी का, संगीत - राहुल देव बर्मन का, आवाज़ किशोर कुमार की, गीत - दिए जलते हैं...
|
Re: दोस्त, दोस्ती और सिनेमा
नमक हराम जब शुरू हुयी थी तो राजेश खन्ना सुपर स्टार थे और अमिताभ बच्चन एक उभरता हुआ कलाकार, पर जिस वर्ष यह फ़िल्म रिलीज़ हुयी उसे अमिताभ बच्चन का वर्ष कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि 1973 में ही रिलीज़ हुयी ज़ंजीर जिसकी सफलता ने अमिताभ बच्चन को वो ऊंचाइयां बख्शी कि भारतीय सिनेमा का इतिहास ही बदल गया। ज़ंजीर में भी दोस्ती की भावनाओं से भरा एक गीत शेर खान याने प्राण साहब पर फिल्माया गया था, आवाज़ मन्ना डे की, गीत गुलशन बावरा का (जिन्हें इस गीत के लिए BEST LYRICIST का फ़िल्म फेयर अवार्ड भी मिला था) , संगीत कल्याण जी-आनंद जी का। यहाँ गौरतलब बात ये भी है की यह गीत उस साल के बिनाका गीतमाला के वार्षिक पायदान का गीत नम्बर वन भी था :
|
Re: दोस्त, दोस्ती और सिनेमा
पर इन सभी गीतों में जो रुतबा 1975 में आई ब्लॉकबस्टर शोले के ये दोस्ती को हासिल है शायद ही किसी और गीत को वह हासिल हो। दोस्ती का एंथम बने इस गीत को गाया था मन्ना डे और किशोर कुमार ने, बोल आनंद बख्शी के और संगीत आर डी बर्मन का:
|
Re: दोस्त, दोस्ती और सिनेमा
इसके बाद और ढेर सारी फिल्मों ने दोस्त और दोस्ती के फॉर्मूले को भुनाना चाहा पर दोस्ताना (1980) और याराना (1981) के अलावा कोई फ़िल्म इतनी सफल ना रही, पेश है इन दोनों फिल्म्स के टाइटल गीत :
दोस्ताना (1980) : संगीत लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल , आवाजें - किशोर कुमार और मोहम्मद रफी |
Re: दोस्त, दोस्ती और सिनेमा
पर नए मिलेनिम में एक फ्रेश अप्रोच ले कर आई फरहान अख्तर की फ़िल्म दिल चाहता है (2001) ने दोस्ती की नई परिभाषा गढ़ी और फ़िल्म का टाइटल गीत नए ज़माने की युवा पीढी के लिए दोस्ती का नया एंथम बन गया :
|
Re: दोस्त, दोस्ती और सिनेमा
इन गीतों के अलावा कुछ और भी गीत हैं जिनमें दोस्ती की मीठी मीठी सी सौंधी महक है, जैसे KK की आवाज़ में ये गीत :
|
Re: दोस्त, दोस्ती और सिनेमा
बहुत ही शानदार सूत्र है
|
All times are GMT +5. The time now is 09:44 PM. |
Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.