ग़ ज़ ल: दीवाना कर दिया है दिले बेकरार ने.
कई रोज़ मेरी जानिब देखा न यार ने.
दीवाना कर दिया है दिले बेकरार ने. तेरी दोस्ती पे हमें बड़ा ऐतबार था, हमें सब सिखा दिया है तेरे ऐतबार ने. आज की बात का तेरा कल पे टालना, जीना मुहाल कर दिया है इस उधार ने. इस सिम्त मेरा दिल है, उस सिम्त ज़माना, इन दोनों से लड़ना है मेरे शहसवार ने. हर बार रकीबों ने ‘शरर’ जाल बिछाये, हर बार बचाया है मुझे रूह-ए-यार ने. ---- रजनीश कुमार मंगा “शरर” नजीबाबादी बकलम खुद |
Re: ** *ग़ ज़ ल
बहुत अच्छे !
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good one.. boss.. :cheers::cheers::cheers::cheers::cheers:
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Re: ** *ग़ ज़ ल
मँगा जी ,
आपकी रचनाएँ काफी अच्छी हैं । यदि आप अपनी रचनाओं का शीर्षक दिया करेंगे तो और भी सुंदर लगेंगी । |
Re: ** *ग़ ज़ ल
सेंट अलैक जी, ओंकार जी व रणवीर जी, आप सभी महानुभाव का ग़ज़ल की प्रशंसा करने एवं सम्मति देने के लिये हार्दिक धन्यवाद. रचनाओं का शीर्षक देने सम्बन्धी सुझाव के लिये मैं रणबीर जी का आभारी हूँ और भविष्य में ध्यान रखूँगा.
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Re: ** *ग़ ज़ ल
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काजू प्लेट में हैं तो व्हिस्की गिलास में. उतरा है लोकतंत्र विधायक निवास में. :cheers: |
Re: ** *ग़ ज़ ल
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Re: ** *ग़ ज़ ल
बहुत बढ़िया रजनीश जी, आपकी रचनाये काफी अच्छी हैं। :cheers:
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Re: ** *ग़ ज़ ल
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