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jai_bhardwaj 05-04-2013 08:20 PM

क्या अरविंद केजरीवाल का संघर्ष: छलावा ?
 
आम जनता की हालत में अहम परिवर्तन लाने के मकसद से कभी टीम अन्ना के सदस्य रहे आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल बिजली-पानी के दामों में हुई बढ़ोत्तरी के विरोध में अनशन पर बैठे किंतु उन्हें अपेक्षित जन समर्थन हासिल नहीं हुआ। जबकि पिछली बार जब जनलोकपाल जैसे मुद्दे को उठाकर अन्ना हजारे भूख हड़ताल पर गए थे तो मीडिया के साथ-साथ पूरी दुनिया की नजरें उन पर टिकी थीं। किंतु अब अलग-थलग पड़ गए अरविंद केजरीवाल किसी भी परिदृश्य में नहीं रहे। ना ही उन्हें मीडिया फोकस कर रही है और ना ही जिस जनता के लिए उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर अनशन ठाना उसने ही उन्हें महत्व दिया। हालांकि इससे पहले जब अनशन करने के लिए अन्ना हजारे सामने आए थे तब क्या आम क्या खास सब के सब उनके साथ जुड़ने के लिए बेताब थे। आम जनता अन्ना की एक झलक पाने के लिए भीड़ जुटाया करती थी, उनके समर्थन में नारे लगाती थी और हर बड़ा राजनेता उनके साथ मंच साझा करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करता था। इतना ही नहीं नामचीन सिलेब्रिटीज तक ताक लगाए बैठते थे कि कब उन्हें निमंत्रण आए अन्ना के समर्थन में भाषण देने का। लेकिन अब जब अरविंद केजरीवाल अकेले अपने दम पर लड़ रहे हैं तो उन्हें कोई भी पूछने वाला नहीं रहा।

jai_bhardwaj 05-04-2013 08:20 PM

Re: क्या अरविंद केजरीवाल का संघर्ष: छलावा ?
 
जनता द्वारा अरविंद केजरीवाल के आंदोलन से मुंह मोड़ लेने के बाद बने सामाजिक और राजनीतिक हालातों पर बहस करने के लिए बुद्धिजीवियों के दो वर्ग बन गए हैं। दोनों वर्गों के लोग अरविंद केजरीवाल और उनके द्वारा किए जा रहे अनशन को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखते हैं।

कुछ लोगों का कहना है कि आज जबकि हर क्षेत्र में राजनीति हावी है और भारत की राजनीति को तो वैसे भी स्वार्थ की राजनीति का ही दर्जा दिया जाता है तो ऐसे में अगर कोई भी व्यक्ति समाज सुधार की दिशा में अपने कदम बढ़ाता है तो उसके उद्देश्यों को भुलाकर उसके हर कदम को राजनीति से प्रेरित मानकर नकार दिया जाता है। आमजन की मूलभूत जरूरत बिजली के बढ़ते दामों को वापस लेने के लिए अरविंद ने सरकार पर जोर देना चाहा। लेकिन जिस जनता के लिए वह यह कर रहे हैं वही उन्हें समर्थन देने के लिए तैयार नहीं है और वो भी बस इस आधार पर क्योंकि जनता अरविंद केजरीवाल का राजनीति की ओर रुख करने जैसी मंशा को पचा नहीं पा रही है। राजनीति को आजकल गंदगी माना जाने लगा है और यह भी कहा जाता है कि बिना इस गंदगी में उतरे इसे साफ करना नामुमकिन है। ऐसे में अगर अरविंद केजरीवाल स्वस्थ राजनीति का स्वप्न सजाए उसमें उतरना चाहते हैं तो इसमें गलत क्या है?

jai_bhardwaj 05-04-2013 08:20 PM

Re: क्या अरविंद केजरीवाल का संघर्ष: छलावा ?
 
वहीं दूसरी तरफ वे लोग हैं जो यह साफ कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल का कोई भी उद्देश्य जन हितार्थ नहीं है। वह पूरी तरह राजनीतिक मंतव्यों को साधने की फिराक में हैं जिसके लिए वह जनता को माध्यम बना रहे हैं। जनता उनकी राजनीतिक मंशाओं को समझती है इसीलिए अरविंद को समर्थन देने से बच रही है। वह जानती है कि राजनीति में कदम रखने के बाद कोई भी व्यक्ति जनता का हितैषी नहीं रहता। सत्ता के नशे में चूर वह सिर्फ वही निर्णय लेता है जिससे वह अपनी कुर्सी को बचाए रख सके। राजनीति के मैदान में कई ऐसे व्यक्तित्व मौजूद हैं जो भोलीभाली जनता की संवेदनाओं का फायदा उठाकर राजनीति में प्रदार्पित तो हुए लेकिन कुर्सी संभालते ही वह सारे वादे भूल गए जो कभी उन्होंने जनता के साथ किए थे। अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक पार्टी (आम आदमी पार्टी) अगर सरकार बनाने में सफल हो जाती है तो जाहिर है वो भी ऐसा ही करेंगे। जनता समझदार है इसीलिए वह उन पर विश्वास नहीं कर रही है।

jai_bhardwaj 05-04-2013 08:21 PM

Re: क्या अरविंद केजरीवाल का संघर्ष: छलावा ?
 
जनता द्वारा अरविंद केजरीवाल के आंदोलन में शामिल ना होने से जुड़े दोनों पहलुओं पर विचार करने के बाद निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने प्रस्तुत हैं, जैसे:

1. अरविंद केजरीवाल क्या वाकई सिर्फ व्यक्तिगत स्वार्थ आधारित राजनीतिक मंतव्यों से प्रेरित होकर अनशन पर बैठते हैं?
2. अन्ना का आंदोलन उस नतीजे तक नहीं पहुंच पाया जिसकी उम्मीद थी क्या उस हार का असर तो केजरीवाल पर नहीं पड़ रहा है?
3. कोई भी आंदोलन हो यह समझ लिया जाता है कि वह राजनीतिक हथकंडा है तो क्या हमारी इसी मानसिकता का खामियाजा अरविंद केजरीवाल के आंदोलन और संघर्ष को भुगतना पड़ रहा है?
4. राजनीति में उतरने का अधिकार हर भारतीय को है और अगर अरविंद ऐसा कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है?

इस बार फोरम अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है।

jai_bhardwaj 05-04-2013 08:49 PM

Re: क्या अरविंद केजरीवाल का संघर्ष: छलावा ?
 
अभी अभी .....

दिल्ली की राजनीति में हंगामा मचा रहे अरविंद केजरीवाल कल (06.04.2013) शाम पांच बजे उपवास तोड़ेंगे। केजरीवाल ने कहा कि अन्ना ने उन्हें उपवास तोड़ने के लिए पत्र लिखा है। अरविंद केजरीवाल ने अपने समर्थकों को धन्यवाद दिया। आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की जनता भूखी है। उनके आंदोलन को अपार जनसमर्थन मिला है।

जनसमर्थन के बारे में केजरीवाल ने बताया कि 10 लाख 52 हजार लोगों ने हस्ताक्षर किए। दिल्ली के लोगों में बिजली-पानी को लेकर भारी गुस्सा है।

केजरीवाल ने अपने आंदोलन को गांधी जी से प्रेरित बताते हुए कहा कि 6 अप्रैल 1930 को गांधी जी ने नमक आंदोलन किया था। अपने कार्यकर्ता को संदेश देते हुए कहा कि कल से सभी के घर में कनेक्शन जोड़ें। कल से आंदोलन का दूसरा दौर शुरू होगा । दिल्ली महगांई से भूखी है।

केजरीवाल के समर्थकों की संख्या दस लाख से ज्यादा पहुंच चुकी है और शुक्रवार को केजरीवाल की बिगड़ी हुई तबीयत के मद्देनजर सर्वधर्म प्रार्थना का आयोजन किया गया है। गौरतलब है कि बिजली के दाम बढ़ने और इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर पिछले 14 दिन से केजरीवाल अनशन कर रहे हैं।

आपको बता दें कि केजरीवाल के गुरु अन्ना ने रामलीला मैदान में जब अनशन किया था तो 13वें दिन हालत बिगड़ने के कारण उन्होंने एक बच्ची के हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ दिया था। उसके बाद उन्हें गुडगांव के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

jai_bhardwaj 05-04-2013 08:50 PM

Re: क्या अरविंद केजरीवाल का संघर्ष: छलावा ?
 
बिजली-पानी के बिलों में वृद्धि को लेकर नंदनगरी क्षेत्र के सुंदरनगरी में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने नए रणनीति के तहत एलान किया है कि जिन घरों की बिजली कनेक्शन काट दिए गए हैं, 6 अप्रैल से कार्यकर्ता घरों में जाकर कनेक्शन जोड़ेंगे।

इसके लिए सरकार कोई कदम उठा ले, दिल्लीवासी नहीं डरेंगे। सभा के दौरान ही मंच स्थल के कुछ ही दूरी एक युवक ने आत्मदाह करने की कोशिश की। लोगों ने उसे बचाकर पुलिस के हवाले कर दिया। मालूम हो कि युवक केजरीवाल के अनशन तुड़वाने के लिए ऐसा कर रहा था।

अनशन के 12वें दिन बुधवार शाम केजरीवाल किसी तरह मंच पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र से लोगों का समर्थन मिल रहा है। शायद सरकार इसी बात से डर गई है। उन्होंने कहा कि 6 अप्रैल को ही महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के काला कानून तोड़ा था। बिजली कंपनियां व सरकार की मिलीभगत से बढ़े भ्रष्टाचार को जनता सहन नहीं करेगी। जिन घरों की बिजली काट दी गई है, कार्यकर्ता हर घरों में जाकर कनेक्शन जोड़ेंगे।

सभा के दौरान मंच से कुछ ही दूरी 20 वर्षीय युवक विजय कुमार ने डिब्बे में रखे किरोसिन तेल अपने पर छिड़क आत्मदाह करने की कोशिश की। लोगों ने उसे किसी तरह रोका और पुलिस के हवाले किया। पुलिस का कहना है युवक मुरादनगर का रहने वाला है पूछताछ जारी है।

jai_bhardwaj 05-04-2013 08:52 PM

Re: क्या अरविंद केजरीवाल का संघर्ष: छलावा ?
 
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jai_bhardwaj 05-04-2013 08:52 PM

Re: क्या अरविंद केजरीवाल का संघर्ष: छलावा ?
 
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jai_bhardwaj 05-04-2013 08:52 PM

Re: क्या अरविंद केजरीवाल का संघर्ष: छलावा ?
 
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jai_bhardwaj 05-04-2013 08:53 PM

Re: क्या अरविंद केजरीवाल का संघर्ष: छलावा ?
 
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