आम के औषधीय उपयोग
आम के औषधीय उपयोग (1) आम की ज्यादातर किस्मों में यह विशेषता रहती है कि एक साल तो पेड़ बहुत फल देता है दूसरे वर्ष कम देता है, तीसरे वर्ष पुन: भरपूर फल प्रदान करता है। रासायनिक गुण --आम में जल 86.1 प्रतिशत, प्रोटीन, 6.6 प्रतिशत, वसा 0.1 प्रतिशत, खनिज लवण 0.3 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 11.8 प्रतिशत, रेशा 1.1 प्रतिशत, कैल्शियम 0.01 प्रतिशत, फास्फोरस 0.02 प्रतिशत। 100 ग्राम आम में 5 मिलीग्राम लोहतत्व पाया जाता है। --पके आम के प्रति 100 ग्राम में 50 से 80 कैलोरी ऊर्जा तथा 4500 आइ.यू.विटामिन ‘ए’ पाया जाता है। इसके अलावा विटामिन बी, सी तथा डी भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। सोडियम, पोटेशियम, ताम्र, गंधक, मैग्नीशियम, क्लोरीन तथा नियासीन भी पके आम में पाए जाते हैं। रोगों में लाभकारी - आम में उपस्थित शक्कर को पचाने के लिये जीवनी शक्ति का अपव्यय नहीं करना पड़ता है अपितु वह स्वयं पच जाती है। - आम में सभी फलों से अधिक केरोटीन होता है जिससे शरीर में विटामिन ए बनता है। यह फल नेत्र-ज्योति तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिय वरदान है। एक व्यक्ति को प्रतिदिन 5000 अन्तर्राष्ट्रीय ईकाई ए चाहिये जो केवल 100 ग्राम आम से प्राप्त की जा सकती है अत: प्रतिदिन 100 ग्राम आम के प्रयोग से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है- रतौंधी में रसीला और चूसने वाला फल अधिक लाभदायक साबित होता है। - आम के रस को दूध में मिलाने से इसके गुणों में और वृध्दि हो जाती है। दूध के साथ खाया आम वात, पित्त नाशक, रूचिकर, वीयवर्ध्दक, वर्ण को उत्तम करने वाला, मधुर, आभारी और शीतल होता है। आम का रस चूस कर दूध पीने से आंतों को बल मिलता है तथा कब्ज दूर होती है। - आम खाने से मांसलता बढ़ती है, खून की मात्रा बढ़ती है और शरीर की थकावट दूर होती है। पका हुआ आम एक अच्छी खुराक है और एक बलदायक भोज्य पदार्थ माना गया है। - यदि शरीर में कोई घाव नहीं भर रहा हो तो आम खाने से वह शीघ्र भर जाता है। - एक कप आम का रस 50 ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से क्षय रोग में काफी लाभ होता है। - इसमें मौजूद पोटेशियम और मैग्नेशियम से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। - इसमें पेक्टिन होता है जो कोलेस्ट्रोल कम करता है। - पेक्टिन से केंसर की सम्भावना विशेषकर प्रोस्ट्रेट और आहार नाली के केंसर की संभावना कम होती है। - यह वजन बढाने में सहायता करता है। गर्भावस्था में रोज़ एक आम खाना अच्छा होता है। - बुढापे को रोकता है, ब्रेन की मदद करता है और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाता है। - आम के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से प्लीहा वृद्धि की विकृति मिटती होती है। - आम का रस 200 ग्राम, अदरक का रस 10 ग्राम और दूध 250 ग्राम मिलाकर पीने से शारीरिक व मानसिक निर्बलता नष्ट होती है। स्मरण शक्ति तीव्र होती है। - आम के बीज को धो कर सुखा कर उसे भून लेते है। उसे फोड़कर उसके अन्दर की गिरी मुखवास में इस्तेमाल की जाती है। यह बहुत पोषक होती है और पेट के लिए बहुत अच्छी होती है। - आम की गुठली के भीतरी की गिरी और हरड़ के बराबर मात्रा में दूध के साथ पीसकर मस्तक पर लेप करने से सिरदर्द नष्ट होता है। - आम की गुठली के भीतरी गिरी को सुखाकर बारीक चूर्ण बनाकर जल के साथ सेवन करने से स्त्रियों का प्रदर रोग दूर होता है। - आम वृक्ष पर लगे बौर को एरण्ड के तेल में देर तक पकाएं, जब बौर जल जाएं तो तेल को छानकर बूंद-बूंद कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है। |
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आम के औषधीय उपयोग (2)
पका आम रासायनिक तत्वों से परिपूर्ण होता है।इसमें विटामिन प्रोटीन वसा खनिज लवण आदि प्रमुख हैं।खनिजों में कैलशियम फासफोरस सोडियम पोटैशियम कापरगंधक मैगनीशियम क्लोरीन तथा नियमिन प्रमुख हैं।विटामिनों में विटामिन ए बी सी एवं डी प्रमुख हैं।आँखों में जलन होने पर कच्चे आम की पुल्टिस रात कोसोते समय साफ़ कपड़े में बाँधकर आँखों पर रखने सेलाभ होता है। अमचुर के चूर्ण में सेंधा नमकमिलाकर बनाए गए लेप को दाद पर लगाने लाभ होता है।बवासीर की शिकायत में भी आम लाभकारी माना गया है। इसी प्रकार पित्त की शिकायत होनेपर कच्चे आम पर काली मिर्च और शहद लगाकर सेवन करनाचाहिए। आम को पथरी की शिकायत में भी उपयोगी पाया गया है। यह गुर्दे की पथरी तक को गला देता है।यदि शरीर में फोड़े फुनसियाँ हों तो अमचुर के चूर्णको पानी में भिगोकर उसका लेप करने से आराम मिलता है। कच्चे आमका पना लू लगने की रामबाण औषधि है। कच्ची कैरियों कोपानी में उबालकर, उन्हें मसलकर निकाले गए गूदे को चलनी में से छानकर पानी शक्कर और नमकमिलाकर सेवन करने पर, लू लगने की स्थिति में आराममिलता है। गर्मियों मेंयह पना पीकर घर से निकलने पर लू का अंदेशा कम होजाता है। इसमें लौह तत्त्व की प्रधानता होती है। रेशेप्रधान होने के कारण यह कोष्ठबद्धता या कब्ज मेंलाभकारी है। क्षय रोग में भीआम के रस में शहद मिलाकर सेवन करने की सलाह दी गई है।विटामिन ए से भरपूर होने के कारण आम का सेवन आँखोंके लिए काफ़ी लाभदायक है।इसके सेवन से नेत्र ज्योति बढ़तीहै तथा रतौंधी की शिकायत नहीं रहती है।पीलिया रोग में भी यह लाभदायक है। यह यकृत को ठीक करताहै मधुमेह के रोगियों को आम के रस में बराबर मात्रामें जामुन का रस मिलाकर सेवन की सलाह दी जाती है। वायुविकार से पीड़ित होनेपर एक प्याला आम के रस मेंएक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से आराम मिलता है। नक्सीर होने पर इसकीगुठली की गिरी के रस की दो बूँदें नाक में डालने सेरक्तस्राव बंद हो जाता है।आम के बौर का चूर्णसूँघने से भी नाक से होने वाले रक्तस्राव में लाभहोता है। यदि दस्त लग गए हों तो आम की गुठली को पानीमें पीसकर नाभि पर लेप करने से आराम मिलता है। मूत्रसंबंधी रोगों से निजात पाने के लिए आम की जड़ काछिलका और शीशम के पत्ते बराबर मात्रा में मिलाकरपानी में उबालकर मिश्री के सात सेवन करने से आराममिलता है। डिप्थीरिया में आम की छाल के रसको पानी में मिलाकर गरारा करने से लाभ होता है। यदिदस्त लग गए हों तो आम की भीतरी छाल को पीस व छानकरशक्कर मिले पानी से सेवन करने पर आराम हो जाता है।आम के पेड़ की छाल का काढा बनाकर घाव पर लगाने से वहजल्दी भर जाता है। मधुमेह में आम की कोमल पत्तियोंको रात में पानी में भिगो कर सुबह इन्हें पानी केसाथ पीसकर पीने से मधुमेह में लाभ होता है। ** |
Re: आम के औषधीय उपयोग
आम के आम गुट्लियो के दाम अतिउत्तम..............................
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Re: आम के औषधीय उपयोग
फलों के राजा से होने वाली परेशानियों पर भी तो तनिक प्रकाश डालें बन्धुवर।
उपयोगी प्रस्तुति के लिए आभार। |
Re: आम के औषधीय उपयोग
मुझे तो एक परेशानी अवश्य होती है आम से ..
- तीन-चार दशहरी आम खा लेने से मेरा हाजमा बिगड़ जाता है। दरअसल दशहरी आम की प्रकृति ही 'रेचक' है। शायद यह किसी भी गूदेदार आम की प्रकृति हो जबकि देशी आमों को एक बाल्टी भर के भी खा लिया जाए तो भी पेट ख़राब नहीं होता क्योंकि देशी आम प्रायः रेशेदार होते हैं। |
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