बजे वासना भी शहनाई
बजे वासना भी शहनाई
मन डोले,
तन बोले
कोष कोष मे सूत्र लिखे हैँ आखर ब्रह्रा के
रूपोँ के रूपाकारोँ मेँ भाव भंगिमा के
रचे गीत नूतन तरूणाई
मन बोले,
तन डोले
भाव भाव संवेग सुहावन
स्नेहिल बंधन के
अंतहीन रूपक जीवन की रचना गंगा के
मौसम लेते हैँ अंगड़ाई
मन डोले
तन बोले
अथक, अनगिनत,रामकथा मे प्रहसन लीला के
सद सौ असद भाव रूपोँ के शिवकी करूण के
सांस करे सुर की पहुनाई
मन डोले,
तन बोले
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."
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