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Old 18-09-2011, 03:28 PM   #134
abhisays
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Default Re: लघु कथाएँ..........

वाह! धनवान हो तो एंड्रयू कारनेगी जैसा

दुनिया के इतिहास में एक से बढ़कर एक धनवान और समृद्ध व्यक्ति हुए हैं। लेकिन उनमें से धन की सार्थकता बहुत थोड़े से ही लोग समझ पाते हैं। अक्सर देखने में आता है कि धनवान बनने के बाद व् यक्ति अहंकारी, स्वार्थी और ऐशो-आराम के रास्ते पर चल पड़ता है। बहुत थोड़े ही इंसान ऐसे होते हैं जो पद, पैसा और प्रतिष्ठा पाने के बाद इस शक्ति को शालीनता से संम्हाल पाते हैं।

पानी की तरह बहने के स्वाभाव वाला धन-वैभव कभी किसी एक स्थान पर टिकता नहीं है। मेहनत, सौभाग्य या संयोग से धन-समृद्धि पा लेने के बाद जो इस शक्ति का सार्थक प्रयोग कर लेते हैं, इतिहास में उन्हीं नाम सदियों बाद भी चमकता-दमकता रहता है और अनेकों को प्रेरणा देता रहता है।

आइये चलते हैं ऐसी ही एक शख्सियत- एंड्रयू कारनेगी के जीवन से जुड़ी कुछ बेहद प्रेरणादायक घटनाओं की ओर, जो 100 वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी असंख्यों लोगों को गहरी प्रेरणा दे रही हैं...

अपने समय में दुनिया के दूसरे सबसे धनी व्यक्ति के रूप में विख्यात-एंड्रयू कारनेगी का जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ। पिता रुई के कारखाने में कारीगर और मां जूते की सिलाई का काम करके जैसे-तैसे परिवार को चला पाते थे। ऐसी कठिन परिस्थियों में उधार की पुस्तकों से एंड्रयू कारनेगी ने अपनी पढ़ाई पूरी की और कड़ी मेहनत और लगन से टेलीग्राफ ऑपरेटर के पद पर पहुंचे। ठीक-ठाक नोकरी पा जाने के बाद भी कड़ी मेहनत का सिलसिला रुका नहीं बल्कि तब तक चलता रहा जब तक कि वे सफलता और समृद्धि के सर्वोच्च शिखर पर नहीं पहुंच गए। गहन परिश्रम और अदम्य इच्छाशक्ति ने उन्हें दुनिया की विशालतम स्टील कंपनी का मालिक बना दिया।

प्रशंसा की बात यह है कि जब उनके समय के दूसरे धनपति, अपनी धन-दौलत को अनाप-शनाप कामों और ऐशो-आराम में बहा रहे थे, तब एंड्रयू कारनेगी ने अपनी आधे से ज्यादा संपत्ति इंग्लैंड, अमेरिका, यूरोप व ऑस्ट्रेलिया में नि:शुल्क पुस्तकालयों व विश्वविद्यालयों को स्थापित करने में खर्च कर दी।

वे कहा करते थे- ''धन के अभाव में शिक्षा प्राप्त करने में उन्हें जिन मुश्किलों का सामना करना पड़ा, वे नहीं चाहते गरीबी के कारण किसी जुरुरतमंद को शिक्षा से वङ्क्षचत रहना पड़े।''

आज के दौर में जो लोग सिर्फ अपना सुख, अपना नाम और अपना ही अपना स्वार्थ खोजते और साधते फिरते हैं, उनके लिये एंड्रयू कारनेगी का दिव्य जीवन सैकड़ों साल बीत जाने के बाद आज भी गहरा और प्रखर सबक है।
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