Re: !! प्रसिद्द हिंदी कहानियाँ !!
सिध्देश्वरी भय तथा आतंक से अपने बेटे को एकटक निहार रही थी। कुछ क्षण बीतने के बाद डरते-डरते उसने पूछा, ''वहां कुछ हुआ क्या?''
रामचंद्र ने अपनी बडी-बडी भावहीन आंखों से अपनी मां को देखा, फिर नीचा सिर करके कुछ रूखाई से बोला, ''समय आने पर सब ठीक हो जाएगा।''
सिध्देश्वरी चुप रही। धूप और तेज होती जा रही थी। छोटे आंगन के ऊपर आसमान में बादल में एक-दो टुकडे पाल की नावों की तरह तैर रहे थे। बाहर की गली से गुजरते हुए एक खडख़डिया इक्के की आवाज आ रही थी। और खटोले पर सोए बालक की सांस का खर-खर शब्द सुनाई दे रहा था।
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