Re: हिंदी का पहला उपन्यास
सुखदेई की मॉं बोली कि तुम दौलत राम की सगाई रख लो। आई हुई लक्ष्*मी घर से कोई नहीं फेरता। और रुपया-पैसा हाथ-पैरों का मैल है। आगे लौंडिया लौंडे का भाग है।
सो नाई तनी गॉंठ करके चला गया। और उसी साल में विवाह की चिट्ठी ले के आया। इन्*होंने कहला भेजा कि अब के वर्ष तो हमारी लड़की विवाह की ठहर गयी है। अगले वर्ष विवाह रख लेंगे।
छोटेलाल की पत्री गुड़गॉंवे मिल ही गयी थी। लाला दीनदयाल के मारफत वहॉं से कहलावत आई कि सर्वसुख जी से कहना कि मरती जीती दुनिया है। आगे मैं सरकारी नौकर हूँ। आज यहॉं, कल जाने कहॉं को बदली हो जाय। सो लड़की का विवाह हम इसी साल में करेंगे।
इन्*होंने यहॉं से कहला भेजा कि हमारी इज्*जत उनके हाथ है। अभी तो दो विवाहों से निपटे हैं और इस साल में न केवल सूझता भी नहीं है। अगले साल जैसा मुन्*शी जी कहेंगे वैसा करेंगे।
__________________
जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है।
--------------------------------------------------------------------------
जिनके घर शीशो के होते हे वो दूसरों के घर पर पत्थर फेकने से पहले क्यू नहीं सोचते की उनके घर पर भी कोई फेक सकता हे -------------------------------------------- Gaurav Soni
|