Re: मधुमेह - अनुभव
---मधुमेह २ किस्म की होती है . टाइप -१ और टाइप -२ .शुरुवाति दौर में सभी को टाइप २ मधुमेह होती है .इस प्रकार की मधुमेह में .पेनक्रियाज ग्रंथि इंसुलिन तो बनाता है ,पर वो ग्लूकोज को शक्ति में बदल ने के लिए काफी नहीं होती ,इसका असर शरीर में थकान ,ज्याद भूख लगाना ,बार बार पेशाब लगना आदि लक्षण होते है .इस टाइप ले मधुमेह के के लिए गोली लेनी पड़ती है ,और खान पान में भी परहेज करना पड़ता है .
जब शरीर में पेनक्रियाज ग्रंथि इंसुलिन बनाना बिलकुल बंद कर देता है तो टाइप -१ मधुमेह हो जाती है .ये एक खतरनाक स्थिति है .शरीर में इंसुलिन बिलकुल न होने की वजह से ,ग्लूकोज शक्ति में बदल ही नहीं पाती ,जिसकी वजह से रक्त में अधिक सुगर जमा हो जाती है .अगर रक्त में निश्चित मात्र से ज्यादा सुगर जमा हो जाए तो उसका परिणाम खतरनाक होते है .इसकी वजह से आख के रक्त धमनी में असर होती है और आख के रोशिनी कम हो जाती है ,यह किडनी के काम को भी प्रभाबित करती है ,अगर सुगर को नियंत्रण में न लाया जाए तो आख और किडनी दोनों खराब हो जाती है .
टाइप -१ मधुमेह का नियंत्रण भी बहुत तकलीफ देह होती है ,इसका मरीज को दैनिक २ बार इंसुलिन की इंजेक्सन लेनी पड़ती है और खान पान में कडा परहेज करना पडता है ,फिर इंसुलिन की दबाई भी एकदम महंगी होती है .........
इसलिए दोस्तों मधुमेह एक साइलेंट किलर है ,जो आदमी को धीरे धीरे खत्म करती है ...इस से बचिये..
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