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Old 08-10-2011, 03:48 PM   #2
malethia
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Default Re: कुछ यहाँ वहां से............

"क्या हुआ?….आते ही ना राम-राम..ना हैलो-हाय...बस..बैग पटका सीधा सोफे पे और तुरन्त जा गिरे पलंग पे...धम्म से...कम से कम हाथ मुँह तो धो लो".....
"अभी नहीं...थोड़ी देर में"..
"चाय बनाऊँ?"...
"नहीं!...मूड नहीं है".. .
"क्या हुआ तुम्हारे मूड को?...जब से आए हो..कुछ परेशान से...थके-थके से...लग रहे हो"..
"बस ऐसे ही"...
"फिर भी..पता तो चले"... .
"कहा ना...कुछ नहीं हुआ है"...
"ना..मैँ नहीं मान सकती...आप जैसा मस्तमौला इनसान इस तरह गुमसुम हो के चुपचाप बैठ जाए तो..कुछ ना कुछ गड़बड़ तो ज़रूर है...
"क्यों बेफिजूल में बहस किए जा रही हो?...एक बार कह तो दिया कि कुछ नहीं हुआ है"मैँ गुस्से से बोल उठा..
"हुँह!...एक तो तुम्हारी फिक्र करो और ऊपर से तुम्हारा गुस्सा भी सहो....नहीं बताना है तो ना बताओ...तुम्हारी मर्ज़ी"...
"ये तो तुम कुछ परेशान से...बुझे-बुझे से दिखे तो पूछ लिया...वर्ना मुझे कोई शौक नहीं है कि बेफाल्तू के चक्करों में माथापच्ची करती फिरूँ"..
"एक तुम हो जो सारी बातें गोल कर जाते हो और एक अपने पड़ोसी शर्मा जी हैँ कि आते ही...पानी बाद में पीते हैँ...अपनी राम कहानी पहले बतियाते हैँ"...
"तुम्हें?"..
"मुझे भला क्यों बताने लगे?...अपनी घरवाली को बताते हैँ"...
"ओह!...फिर ठीक है"मेरे चेहरे पे इत्मिनान था
"कल ही तो देखा था उसे पड़ोस वाले कैमिस्ट की दुकान से दवाई लेते हुए"...
"तो?"...
"पेट कमज़ोर है स्साले का...दस्त लगे रहते हैँ हमेशा...तभी तो कोई बात पचा नहीं सकता"...
"और तुम?..तुम तो सारी की सारी बात ही गोल कर जाते हो...कुछ बताते ही नहीं"..
"सुनो"मैं उसे अनसुना कर अपनी ही धुन में बोला...
"क्या?"...
"ज़रा कम्प्यूटर ऑन कर के नैट तो चलाना"...
"उफ...तौबा!...आप और...आप का कम्प्यूटर….शाम होते ही इंतज़ार रहता है कि कब जनाब आएँ और कब कड़क चाय की प्याली के साथ दो-चार प्यार भरी बातें हों"...
"कुछ मैँ इधर की कहूँ..कुछ आप उधर का हाल सुनाओ लेकिन आप हैँ कि..आते ही कम्प्यूटर ऑन करने को कह रहे हैँ....कम्प्यूटर ना हुआ..मेरी सौत हो गया"...
"इस मुय्ये कम्प्यूटर से तो अच्छा था कि तुम मेरी सौत ही ला के घर पे बिठा देते तो बढिया रहता"...
"वो कैसे?"...
"कम से कम लड़-झगड़ के ही सही...टाईम तो पास हो जाया करता मेरा"...
"ओह!....
"यहाँ तो बस चुपचाप टुकुर-टुकुर ताकते रहो जनाब को कम्प्यूटर पे उँगलियाँ टकटकाते हुए...और तो जैसे कोई काम ही नहीं है मुझे"..
"अरे यार!..राखी सावंत का नया आईटम नम्बर आया है ना"...
"कौन सा?"...
"जो सबको क्रेज़ी किए जा रहा है"...
"तो?":...
"उसी का विडियो डाउनलोड करना है"...
"किसलिए?"...
"रिंकू ने मंगवाया है"..
"सब पता है मुझे कि रिंकू ने मंगवाया है या फिर पिंकू ने मंगवाया है"...
"अरे यार!...तुम तो खामख्वाह शक करती हो...सच में..उसी ने मंगवाया है"...
"कम से कम झूठ तो ऐसा बोलो कि पकड़ में ना आए..क्यों अपने कमियों को छुपाने के लिए दूसरे का नाम ले ...उसे बदनाम करते हो?"...
"क्या मतलब?"...

(क्रमश

Last edited by malethia; 08-10-2011 at 03:51 PM.
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