Re: बसावन भाई एसक्लूसिव
अभिषेक जी बीड़ी सुटियाते हुए चौपाल पर पहुंचे/
उनको देखते ही चाचा गरजे, अभिषेक यह क्या तुम फिर बीड़ी पि रहे हो, इससे कैंसर हो जाता है, जानते तो हो, फिर भी बाज नहीं आते/
अरे चचा कहाँ, दिन भर में एकाध मार लेता हूँ, दिन उसी के सहारे कट जाते है, और तुम भी तो खैनी खाते हो उसका क्या?
अभिषेक जी ने सफाई के साथ सवाल भी दागा/
अच्छा छोडो, यह बताओ इस देश के हाल कब सुधरेंगे और बम फूटने कब बंद होंगे? चाचा ने बड़ी आशा के साथ पूछा/
अभिषेक जी ने गहरी सांस भरी, फिर बोले .......
भैया मुझे तो सारे फसाद कि जड़ नेता लगते हैं, यही बम रखवाते हैं/ अब देखो न जब भी इनको ज्यादा खतरा लगता है तभी एक धमाका हो जाता है/
जो आतंकी पुलिस पकड़ भी लेती है, उसका पूरा आदर-सत्कार भी कराते हैं/ देश को तो लूट ही रहे हैं,बदमाशी भी करते हैं/ एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी कोई मेरी माने तो सभी नेताओं को मंगल गृह पर भेज दो, सुना है वहां हवा पानी भी है/ तेरह साल बाद इनका वापसी टिकट कटाओ, तब आएगी इनकी अकल ठिकाने,हालात भी तभी सुधरेंगे/ गलत कहूं तो बताओ.…अभिषेक जी बात पूरी करते करते तैश में आ गए/
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घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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