Re: ||कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की||
अब मालूम पड़ा आपका नाम सिकंदर यु ही नही पड़ा । दिलो को जीत ने के आपके हौसले भी आली है ।
बहुत ही उम्दा । आगे भी नजरे बिछाये बैठे है ।
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==========हारना मैने कभी सिखा नही और जीत कभी मेरी हुई नही ।==========
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