Re: नेहरु भी चाहते थे कश्मीर में जनमत संग्रह
रेफ़रेंडम या प्लेबीसाइट
8. लंदन में 16 जनवरी, 1951 को अपनी प्रेस कान्फ़रेंस में, जैसा कि दैनिक 'स्टेट्समैन' ने 18 जनवरी, 1951 को अपनी रिपोर्ट में बताया, पंडित नेहरू ने कहा, "भारत ने बार-बार संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ काम करने का प्रस्ताव रखा है ताकि कश्मीर की जनता अपनी राय प्रकट कर सके और हम उसके लिए हमेशा तैयार हैं. हमने एकदम शुरू से ही इस बात को माना है कि कश्मीर के लोगों अपने भाग्या का फ़ैसला करने का हक है, चाहे रेफ़रेंडम के द्वारा या प्लेबीसाइट के द्वारा. बल्कि सच तो यह है कि हमारा ऐसा प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र संघ के बनने के बहुत पहले से है. अंततः मुद्दे का फ़ैसला तो होना ही है, जिसे आना चाहिए, सबसे पहले तो मुख्यतः कश्मीर की जनता की तरफ़ से, और फिर पाकिस्तान और भारत के बीच सीधे तौर पर. और यह भी याद रखा जाना ही चाहिए कि हम (भारत और पाकिस्तान) बहुत से मुद्दों पर अनेक समझौतों पर पहले ही पहुँच चुके हैं. मेरे कहने का अर्थ है कि कई मूलभूत बातें निपटाई जा चुकी हैं. हम सब इस बात से सहमत हैं कि कश्मीर की जनता को ही अपने भविष्य के बारे में निर्णय लेना होगा, चाहे भीतर या बाहर. यह जाहिर बात है कि हमारे समझौते के बिना भी कोई देश कश्मीर पर कश्मीरियों की इच्छा के विरूद्ध अपनी पकड़ बना कर नहीं रखने वाला.
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