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नोट के बदले वोट मामला: अदालत ने आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर पुलिस से जवाब मांगा
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने नोट के बदले वोट मामले में चार आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर पुलिस से जवाब मांगा है। दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए सोमवार को न्यायमूर्ति एम. एल. मेहता ने भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी एवं पार्टी के दो पूर्व सांसदों फग्गन सिंह कुलस्ते, महाबीर सिंह भगोरा और कथित भाजपा कार्यकर्ता सुहैल हिंदुस्तानी की याचिकाओं पर दिल्ली पुलिस से 14 नवंबर तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा। न्यायमूर्ति मेहता ने पुलिस से यह भी कहा है कि वह अगली सुनवाई के दौरान मामले की प्रगति रिपोर्ट सौंपे। इन चार आरोपियों ने उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर करके सुनवाई अदालत के आदेश को चुनौती दी है। सुनवाई अदालत ने इनकी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कुलकर्णी बीते 27 सितंबर से जेल में है। सुनवाई अदालत ने कुलकर्णी की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वह भारतीय गणराज्य का उपहास उड़ाने के मकसद से रची गई साजिश में दिशा-निर्देश देने वाले ‘गाइडिंग स्टार’ और ‘साजिशकर्ता’ थे।
कुलकर्णी ने वकील महिपाल आहलूवालिया के जरिए दाखिल की गई याचिका में दावा किया है कि वह भाजपा सांसदों के साथ एक निजी समाचार चैनल की ओर से किए गए स्टिंग आॅपरेशन में शामिल हुए थे ताकि जुलाई, 2008 में संप्रग की सरकार को बचाने के लिए चल रही ‘खरीद-फरोख्त’ को उजागर किया जा सके। खुद को भ्रष्टाचार की सच्चाई सामने लाना वाला (विस्टल ब्लोवर) होने का दावा करते हुए कुलकर्णी ने कहा कि सुनवाई अदालत ने गलत ढंग से उनकी याचिकाएं खारिज की हैं और उस आदेश को बदला जाना चाहिए। उधर, भाजपा सांसद अशोक अर्गल ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत की गुहार लगाई है। मामले में आरोपी अर्गल की याचिका पर सुनवाई मंगलवार को हो सकती है। पुलिस की जांच पर सवाल खड़े करते हुए कुलस्ते ने अपनी याचिका में कहा है कि वह जमानत के हकदार हैं, क्योंकि मामले की जांच ‘संदिग्ध’ है और पुलिस अब तक पैसे के स्रोत का पता नहीं लगा पाई है। सुनवाई अदालत ने 21 अक्टूबर को कुलकर्णी, भगोरा और कुलस्ते की याचिकाएं खारिज कर दी थी। अदालत ने 29 सितंबर को हिंदुस्तानी की याचिका भी यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उसने इस मामले में शुरुआत से लेकर अंत तक सक्रिय भूमिका निभाई। इन आरोपियों के अलावा समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव अमर सिंह और सपा सांसद रेवती रमण सिंह भी आरोपी हैं। चिकित्सा आधार पर उच्च न्यायालय ने अमर सिंह को जमानत दे दी थी और रेवती रमण को सुनवाई अदालत की ओर से भेजे गए सम्मन पर रोक लगा दी थी। कुलस्ते और भगोरा की जमानत याचिकाएं खारिज करते हुए सुनवाई अदालत ने कहा था कि ऐसा लगा है कि 21 जुलाई, 2008 से ये दोनों भी इस आपराधिक साजिश का हिस्सा थे। इसके अगले दिन 22 जुलाई को लोकसभा में विश्वास प्रस्ताव पर मतदान होना था। इन दोनों पूर्व भाजपा सांसदों को छह सितंबर को अमर सिंह के साथ ही गिरफ्तार किया गया था।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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