Re: कतरनें
एक देसी, एक बीयर…एक किस्सा !
सुरक्षा पडताल से दरवाजा नंबर ४२ तक की सामान खींच कदमताल काफ़ी लंबी थी. मुझे डर हुआ की मेरे डीओ की परतों के नीचे से पसीना अपनी उपस्थिती ज़ाहिर ना करने लगे. गर्मी लग रही थी, शरीर का तापमान कम करने के अलावा आगे लंबी दूरी की उडान के लिये खुद को तैयार करना था.
मैं बैठा कुछ देर तक प्रथम श्रेणी सीट की आरामदायक चौडाई महसूस करता रहा. “मैं इस आराम से अनुकूलित हो सकता हूं!” मैंनें सोचा.
मेरी मां ने एकबार पूछा था – “तू शराब पीता है?” ”धरती पर आम तौर पे छूता नहीं और आसमान में आम तौर पे छोडता नहीं” ..ये जवाव सुन कर मां मुस्कुराईं तो नहीं, पर वो निश्चिंत हो गईं थीं!
जब २२ घंटे की उडान के बाद मुझसे मिलने पहली बार भारत से यहां आईं तो बोलीं ‘इतनी लंबी और पकाऊ फ़्लाईट में तो कोई भी पीने लगे.. सारे पीने वाले जल्दी ही खर्राटे लेने लगे थे!’
हजारों मील हवाई धक्के खा चुकने के बाद, एयरलाईन्स वालों नें आज वफ़ादारी का सिला दिया, कोच श्रेणी में यात्रा करने वाले को मुफ़्त का प्रथम श्रेणी उच्चत्व प्राप्त हुआ था.. आम तौर पर सूफ़ी में रहने वाले नाचीज़ का फ़ील गुड एक ग्लास बीयर पी लेने के बाद और भी सेट होने लगा .. ये चिट्ठा लिखने के लिये आदर्श समय था.
मैं मिल्लर कंपनी की बीयर पी रहा था.. इसकी डिस्टिलरी मिलवॉकी,विस्कॉंसिन में मेरे दफ़्तर के रास्ते में पडती थी. वहां यह बीयर पहली बार पिलाते हुए मित्र नें मुझे एक मजेदार किस्सा भी सुनाया था ..मित्र कहने लगा की उसके दफ़्तर की सच्ची घटना है.. भरोसा नहीं हुआ था.. लेकिन बीयर पी कर सुना गया किस्सा बीयर पी कर दोहराया भी तो जा सकता है – सो झेलें -
अप्पा पिल्लई नामक साफ़्टवेयर इंजीनियर h1 वीसा पर अमरीका मित्र की कंपनी में पधारा. गूढ दक्षिण भारतीय होने की वजह से जब वो अंग्रेजी बोलता तब भी यूं लगता जैसे कोई दक्षिण भारतीय भाषा ही बोल रहा है.
अप्पा कोई भी बात सीधे नहीं कहता था.
अप्पा एक बार अपने बॉस हैरी के पास गया और बोला “हैरी आर यूं एंग्री?”
हैरी ने जवाब दिया “नो अप्पा .. आई ऐम नाट ऐंग्री!”
अप्पा फ़िर बोला ..”इट्स १२:३० .. यू आर नाट ऐंग्री?”
हैरी संयत हो कर बोला “नो अप्पा.. व्हाई वुड आई बी ऐंग्री?”
अप्पा नें झल्ला कर मूंह की तरफ़ हाथ से खाने का इशारा करते हुए बोला “ऐंग्री?.. ऐंग्री??”
“ओह .. हंग्री यू मीन?” .. हैरी के पल्ले पडा!
दफ़्तर के लोग साथ में एक रेस्टोरंट जाने का कार्यक्रम बना रहे थे और अप्पा नें सोचा की हैरी को भी साथ लें लें!
हैरी मस्त किस्म का बॉस था, आते शुक्रवार वो सबको यूं भी अपने साथ खाने पर ले जाने वाला था.. बोला अगर सारे अपना काम खत्म कर लें तो शुक्रवार को खाने के बाद सप्ताहांत के लिये चंपत हो जाएं ..उसे कोई समस्या नहीं होगी!
तो अब अप्पा नें खुशी-खुशी दफ़्तर में ही पित्जा मंगवा कर काम खत्म करने आईडिया उछाला!
अप्पा स्पीकर फ़ोन पर पित्ज़ा का ऑर्डर दे रहा है .. ताकी सब अपनी फ़रमाईशें बता सकें ..
अप्पा: “हैल्लो .. एस .. आई वान्डू औऊडर पी जा!”
पीज्जा वाली भैन जी: “से यू वान्ट टू पाऊडर व्हाट?”
अप्पा: “पी जा ..पी जा.. पी एझ इन पैरोट.. आई एझ इन इडिओट..झेड एझ इन झेब्रा.. अनादर झेड एझ इन अनादर झेब्रा.. ए एझ इन अप्पा.. पीजा ”
पीज्जा वाली भैन जी: “ओह पित्ज़ा.. मे आई हैव यूअर नेम प्लीज़!”
अप्पा: “येस .. इस्ट अप्पा पिल्लई!”
पीज्जा वाली भैन जी: “एप्पा.. कैन यू स्पैल इट फ़ार मी?”
अप्पा: “सिंपिल .. सी अप्पा पिल्लई..Appa .. A एझ इन अप्पा, P एझ इन पिल्लई, अनादर P एझ इन अनादर पिलाई, आनादर A एझ इन अनादर अप्पा .. नऊ माई सरनेम.. P एझ इन पिल्लई ..”
पीज्जा वाली भैन जी: “ओह माई गाड .. कैन यू होल्ड फ़ार ए सेकेंड ..” दूसरी ओर से कुछ देर तक संगीत बजता रहा ..फ़िर पिज्जा वाली ने फोन काट दिया! … दफ़्तर में सभी का हंस हंस के बुरा हाल था… फ़िर किसी और मित्र नें पिज्जा का ऑर्डर पूरा किया!
टेक ऑफ़ के लिये विमान तैयार है .. अगली पोस्ट, कोई और किस्सा ऐसे ही कहीं से समय चुरा कर!
(ई-स्वामी से साभार)
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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