Re: कुछ यहाँ वहां से............
जो न धरा से धर्म मिटा दे नेता वो किस बात का -शंशाक जौहरी
आओ तुम आरक्षण मांगो अपनी-अपनी जात का
जात-जात को जो न लड़ा दे नेता वो किस बात का
हम हैं धर्म निरपेक्ष धर्म को धर्म-धर्म से काटेंगे
पढ़ी लिखी जनता को हम सब अनपढ़ मिलकर बांटेंगे
नारी मोर्चा बाल मोर्चा है जूता इस लात का
कोमल मन में आग लगा दो झगड़ा हो दिन रात का
आओ तुम......
नारी घर में हक मांगेगी बच्चे रपट लिखाएंगे
घर में जब कोहराम मचेगा स्वामी खुद मर जायेंगे
अबला नेता की होगी झंडा ढोये बिन बाप का
आओ तुम ....
मधुशाला घर-घर खुलवादो बर्तन खुद बिक जायेंगे
पढ़े लिखे और समझदार कर्जे में जान गंवाएंगे
युवा नारियां कपड़े पहनेंगीं बच्चों के नाप का
जो न डरे भगवन से उसको डर क्या होगा बाप का
आओ तुम ...
अब सुभाष आज़ाद भगत सिंह पुस्तक में रह जायेंगे
देश विदेशी को देकर हम अरबपति बन जायेंगे
अगर मल्लिका और शिल्पा बनना सपना है आपका
तो समझो इमरान हाशमी है ये नेता आपका
आओ तुम ...
बाप नहीं होगा कोई अब बॉयफ्रेंड रह जायेंगे
मात पिता का नाम जानने फोन ओ फ्रेंड लगायेंगे
टी वी पर बैठे ज्योतिष दुःख दूर करेंगे आपका
इन्टरनेट पर होगा सबकुछ चाहे ज़हर लो सांप का
आओ तुम ...
राम नाम है सत्य न मरने पर भी अब कह पायेंगे
करूणानिधि जब पूछेंगे तो प्रूफ कहाँ से लायेंगे
समझदार खामोश रहेंगे आप मज़ा लो आपका
जो न धरा से धर्म मिटा दे नेता वो किस बात का
आओ तुम ...
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मांगो तो अपने रब से मांगो;
जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत;
लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना;
क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी।
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