Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
ख़ामोशी.............
[LEFT] लम्बी ख़ामोशी................
चलो अब इसका मज़ा भी चख लें..............
तुझसे होते हुए कई शब्दों को सुना मैंने ,
कुछ शहद की तरह मीठे थे
और
कुछ नीम की तरह कडवे............
कुछ में तेरे प्यार की खुशबू महकती थी
तो कुछ यूँ लगता था
जैसे कोई अजनबी ने राह चलते हुए पुकारा हो ..........
कुछ को समझ पाया
और कुछ उड़ते गए यूँ ही हवा में.........
शायद यही गलती हुई मुझसे...........
शायद उनको भी समझना जरुरी था...........
पर...............
अब जो हालात बन चुके हैं
दरम्यान अपने
शायद उन्ही शब्दों का नतीजा हैं..............
अब केवल ख़ामोशी सुनती है दोनों तरफ.........
अब शब्द गुफ्तगू करते नहीं आपस में.............
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."
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Last edited by Sikandar_Khan; 27-11-2011 at 04:07 PM.
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