10-11-2010, 09:13 AM
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Originally Posted by bhaaiijee
वो माल इधर है निशांत भाई ..............
देखो.............
फोरम है एक सभा निराली
घूघट पगड़ी गोरी काली
नीली पीली लाल सुनहरी
श्वेत गुलाबी औ हरियाली
.............
डूबे को बन जाएँ सहारा
लड़खडायें तो कंधा वारा
बिना अर्थ 'जय' बने सहायक
दे कर के मुस्कराहट खाली
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सुभान अल्लाह....... ,
जय भाई, छा गए गुरु।
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