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रूस ने भगवद गीता विवाद पर अफसोस जताया
मास्को ! साइबेरिया में हिंदू धर्मग्रंथ भगवद् गीता पर पाबंदी की मांग को लेकर खड़े हुए विवाद पर रूस ने अफसोस जताते हुए कहा है कि इस पवित्र ग्रंथ को अदालत में ले जाना अस्वीकार्य है। भारत में रूस के राजदूत अलेक्जेंदर एम कादाकिन ने आज रात एक बयान में कहा, ‘‘यह अजीब बात है कि साइबेरिया के खूबरसूरत शहर तोमस्क में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। यह अपनी धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता के लिए विख्यात रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह दुखद है। मैं इसे पूरी तरह अस्वीकार करता हूं कि पवित्र ग्रंध को अदालतों के ले जाया जाए।’’ उधर, रूस की एक अदालत ने भगवद् गीता पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर अपना फैसला 28 दिसंबर तक के लिए टाल दिया। ईसाई आर्थोडोक्स चर्च से जुड़े एक संगठन ने गीता को ‘चरमपंथी’ ग्रंथ करार दिया है।
साइबेरियाई शहर तोमस्क की एक अदालत द्वारा फैसला टालने के बाद इस्कॉन के साधु प्रिय दास ने पीटीआई से कहा, ‘‘फैसला 28 दिसंबर तक के लिए टाल दिया गया है क्योंकि इस्कॉन की स्थानीय इकाई के वकील ने अदालत से रूसी लोकपाल और रूस में इंडोलाजी के मुख्य केन्द्र मास्को तथा सेंट पीटर्सबर्ग के विशेषज्ञों से राय लेने की मांग की।’’
इससे पहले रूस के लोकपाल (औम्बुड्समैन) व्लादिमीर लुकिन ने अपना बयान जारी करके घोषणा की थी कि इस्कॉन के संस्थापक ए. सी. भक्तिवेदांता स्वामी द्वारा लिखित ‘भगवद् गीता एज इट इज’ विश्व भर में प्रतिष्ठित पुस्तक है और रूस में इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग अस्वीकार है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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