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Old 01-01-2012, 05:49 PM   #103
Ranveer
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Default Re: आइए भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएं

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Originally Posted by sam_shp View Post
विदेशो में भी नेता/राजकारणी बहुत भ्रस्टाचार करते है.और लेवल b,c,d कर्मचारियों को अच्छी पगार दे के चुप कर दिया गया है.

अगर हर एक इंसान ऐसा सोचेगा की एक के बदलने से क्या होगा तो आप को बता दू की जब नदी की पर्वत से समंदर की सफर सुरु होती है तब एक छोटे से बूंद से ही होती है जो आगे बढ़कर महा सागर बन जाता है....और उसी महासागर में मानवीय या कुदरती छेदछाड से उत्पन्न होती है सुनामी ...अभी आप सोचो एक बूंद में कितनी ताकत है...

माफ़ी चाहता हूँ मित्र लेकिन आपने जो कारण बताये है वो सभी अपना स्वार्थ या बुजदिली को छुपाने के लिए होते है.
अगर खुद में कुछ करने की चाह है तो रास्ते अपने आप बनते जाते है लेकिन सुरुआत खुद को करनी होती है....रास्ता खुद सामने से नहीं आएगा.

और सख्त से सख्त कानून का क्या मतलब रह जाता है जब कानून का पालन करने की चाह ही नहीं है तो तोड़ने के हजारों बहाने मिल जायेंगे.
मै भी लोकपाल का समर्थन करता हूँ
शाम भाई
आपने कहा की ‘ विदेशो में भी नेता/राजकारणी बहुत भ्रस्टाचार करते है.और लेवल b,c,d कर्मचारियों को अच्छी पगार दे के चुप कर दिया गया है.‘ पर सवाल है भ्रस्टाचार के लेवल का है ?
क्या अमेरिका या किसी यूरोपीय देश में अस्पताल में भर्ती होने के लिए घुस देना पड़ता है ?
क्या अपना खुद का वेतन या पेंशन पाने के लिए कोई घुस देता है ?
क्या कोई अपने उचित या कानूनी कार्य करवाने के लिए पैसे देने पडतें हैं ?
नहीं न ! लेकिन भारत में ऐसा है | वहाँ के राजनीतिज्ञ और ब्यूरोक्रेट वही पर भ्रष्टाचार करते हैं जहां पर कोई अनुचित या गैर कानूनी काम करवाना हो ...जैसे स्मगलिंग ,ट्रेफेकिंग, माग्रेशन आदि आदि | ये भ्रष्टाचार की उच्चतम सीमा नहीं होती |ऐसा हर सोसाइटी में मिलता रहा है |

दूसरी बात आपने कही जिससे में पूरी तरह असहमत हूँ “ अगर हर एक इंसान ऐसा सोचेगा की एक के बदलने से क्या होगा तो आप को बता दू की जब नदी की पर्वत से समंदर की सफर सुरु होती है तब एक छोटे से बूंद से ही होती है जो आगे बढ़कर महा सागर बन जाता है....और उसी महासागर में मानवीय या कुदरती छेदछाड से उत्पन्न होती है सुनामी ...अभी आप सोचो एक बूंद में कितनी ताकत है.”
उपरोक्त बात समस्या हल करने वाली व्यवहारिक बात की श्रेणी में नहीं आ पाएगी क्यूंकि हरेक इंसान नैतिक , सामाजिक ,स्तर पर एकसमान नहीं होता तो जाहिर है की सोच भी अलग अलग होगी ..अब हम राम राज्य की कल्पना करके समाज में लोगों को ऐसे ही नैतिक बनने के लिए छोड़ देंगें तो क्या आपको लगता है की कभी राम राज्य स्थापित हो सकता है ? गांधी जी ने कहा था की हम सारे लोग शुद्ध हो जाएँ तो भ्रष्टाचार स्वतः खत्म हो जाएगा तो क्या सारे लोग शुद्ध हो गए ? तब वैसे में न तो संविधान बनाने की जरुरत पड़ती न की किसी क़ानून बनाने की ! क्या उस स्थिति में एक एक बूंद से समंदर बन सकता है जब तापमान बहुत ज्यादा हो और बूंद एक जगह जमा होने के पहले ही भाप बनकर उड़ जाता हो ?

एक व्यक्ति नैतिक हो जाता है ...दुसरा भी हो जाता है ...तीसरा भी ...और चौथा नहीं होता है तो क्या उस स्थिति में तीनों मिलकर उसे दंड नहीं देंगे ?? अगर वो अपराधिक प्रवृति का इंसान हुआ तो क्या वो बिना दंड दिए सुधर सकता है ? यही दंड कानून की आवश्यकता को बतलाता है |

आपने कहा की “ अगर खुद में कुछ करने की चाह है तो रास्ते अपने आप बनते जाते है लेकिन सुरुआत खुद को करनी होती है....रास्ता खुद सामने से नहीं आएगा.
तो मै पूछना चाहूँगा की यदि आप घुस नहीं लेते हैं और आप से बड़े अधिकारी अप्रत्यक्ष रूप से घुस की मांग करतें हैं और न देने पर मानसिक प्रताडना दी जाती है तो ऐसे में क्या करेंगे ? तब जबकि आपकी नौकरी आपके जीवन के लिए महत्वपूर्ण हो और उससे आपका परिवार का भरण पोषण चल रहा हो |

सख्त कानून का अर्थ है क़ानून का डर होना ...ताकि लोग गलत काम करने से पहले अच्छी तरह सोचा करें |
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ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
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