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Old 22-01-2012, 04:41 PM   #155
Kalyan Das
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Kalyan Das is a glorious beacon of lightKalyan Das is a glorious beacon of lightKalyan Das is a glorious beacon of lightKalyan Das is a glorious beacon of lightKalyan Das is a glorious beacon of lightKalyan Das is a glorious beacon of light
Default Re: प्रेम, प्रणय और धोखा


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Originally Posted by Kalyan Das View Post
"भीगा बदन था तेरा ,
नीयत मेरी गीली थी !
तन पे तेरे पानी की बुँदे,
नज़रें मेरी फिसली थी !
लगी जो आग लगन की देखो
गीला बदन जल गया !
छूने लगा था मैं जो तुझको,
पत्थर जैसे पिघल गया !!
प्रेम की बरखा बरस गयी
सब्र का बाँध चटक गया !
तू बस सिम्मट के रह गयी
अंग से अंग लिपट गया !!
कहने को थे दो बदन
जान जैसे एक हुई !
मैं ही मैं था तुझमे उस शुन,
तू भी मुझमे समां गयी !!
होठों का चुम्बन, हाथों की हरारत
आँखों में तेरी, भरपूर शरारत !
तन से तन मिला था तेरे,
मन से मन थे मिले !
गरम साँसे पाकर तेरी
मरुस्थल में थे फूल खिले !!
शर्म की ओढ़नी तेजकर देखो
प्यार तेरा पहन लिया !
कुवांरे सपनो को तुने
दुल्हन जैसा सजा दिया !
हर पल हुआ जैसे सिंदूरी,
अब रही न तू अधूरी,
पूरा तुझे जो बना दिया .................. !!!"
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"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!"
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